Wednesday, October 23, 2024




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Chhattisgarh : गंदे पानी से तालाब में मरने लगी मछलियां, सेप्टिक टैंक और घरों के गंदे पानी से तालाब प्रदूषित, आसपास होगा नाली का निर्माण

कबीरधाम: जिले के पंडरिया नगर के दुर्जाबान्द तालाब और बांधा तालाब में गुरुवार को बड़ी संख्या में मछली मरकर पानी के ऊपर आ गई थी। यह देखकर स्थानीय लोग तालाब के पानी का इस्तेमाल करने से डर रहे हैं। वार्ड के लोगों की शिकायत पर पंडरिया नगर पालिका के सीएमओ कोमल ठाकुर मौके पर पहुंचे और तालाब में आने वाले गंदे पानी को रोकने प्लान तैयार कर रहे हैं।

दरअसल, पंडरिया नगर के दुर्जाबान्द तालाब और बांधा तालाब के आसपास रहने वाले लोगों के मकान के सेप्टिक टैंक और बाथरूम के गंदा पानी को पाइप के माध्यम से तालाब में डाला जा रहा है। इसके चलते तालाब का पानी पूरी तरह प्रदूषित हो गया है। अब स्थिति यह है कि तालाब की मछलियां मरने लगी है।

लगातार सूख रहा तालाब

स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले नगर में आठ से अधिक तालाब हुआ करता था। नगर के लोग नहाने, धोने और जानवरों को पानी पिलाने जैसे कार्य तालाबों में ही करते थे। नगर में अधिक तालाब होने से यहां का जलस्तर भी बहुत बेहतर था, लेकिन स्थानीय प्रशासन की अनदेखी के चलते तालाब एक-एक कर सूखने लगा।

दोनों तालाब भी हुए प्रदूषित

अब नगर में सिर्फ दो ही तालाब निस्तारी के लायक बचा हुआ है, मगर उसका भी पानी प्रदूषित हो चुका है। इसलिए अब इस तालाब का उपयोग करना भी मुश्किल है। प्रशासन जल्द ही तालाब को बचाने कोई पहल नहीं करता है तो बहुत जल्द यह तलाब भी अपना अस्तित्व खो देगी। फिर नगर में एक भी तालाब नहीं बचेगा।

क्या कहती है प्रशासन

पंडरिया नगरपालिका सीएमओ कोमल ठाकुर ने बताया कि तलाब में मछली मरने की सूचना पर टीम के साथ मौके पर पहुंचे थे। मौके पर पता चला कि तालाब के आसपास रहने वाले लोग अपने मकान का गंदा पानी तालाब में गिरा रहे हैं जिसके कारण तालाब प्रदूषित हुआ है और मछली मरने लगी है।

हम पहले आसपास मकान मालिकों का सर्वे करा कर नोटिस देंगे और तालाब में जाने वाले गंदे पानी को रोकने प्रयास किया जाएगा। साथ ही आसपास नाली निर्माण कराया जाएगा ताकि लोग घरों का पानी तालाब की जगह नाली में डाल सकें।

बारिश के पानी को सहेजने का प्रयास

बता दें कि पंडरिया नगर में तेजी से घटते भूजल स्तर गंभीर विषय है। पानी की समस्या को देखते हुए शासन और प्रशासन के अलावा जिलेवासी बेहद चिंतित हैं। शासकीय और निजी मकान व कार्यालयों में वाटर हार्वेस्टिंग बनाना अनिवार्य किया गया है। इसके साथ ही तालाब और नहर को पुनर्जीवित कर बारिश के पानी को सहेजने का प्रयास किया जा रहा है।

Muritram Kashyap
Muritram Kashyap
(Bureau Chief, Korba)
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