गरियाबंद: छत्तीसगढ़ के देवभोग में एक अंधे कत्ल की गुत्थी पुलिस ने 4 साल बाद सुलझाई है। पहले पुलिस हादसा मानकर केस को बंद कर दिया था। वहीं अब जांच में पता चला कि युवक की हत्या की गई थी। मामला देवभोग थाने के दहीगांव का है। गांव के युवक की लाश पुलिया किनारे मिली थी। पीएम रिपोर्ट में चोट के निशान पाए गए, लेकिन हत्या के सबूत नहीं मिले। 2021 में पुलिस ने केस का खात्मा कर दिया था।
इसी साल 22 जुलाई को मृतक के पिता ने गरियाबंद एसपी अमित तुकाराम कांबले से न्याय की गुहार लगाई। फाइल दोबारा खुली। पुलिस ने महज 5 दिन की तफ्तीश में हादसे को हत्या साबित करने वाले अहम सबूत जुटाते हुए युवक के हत्यारे और उसके सहयोगी को धरदबोचा है। रविवार को मामले का खुलासा किया गया। बताते हैं कि 27 जुलाई 2020 को दहीगांव में रहने वाले झजकेतन रजक को गांव में मिडिल स्कूल के पास पुलिया किनारे बेहोश पाया गया था।
गांव में शराब बेचने की बात पर हुआ था विवाद
उसके चचेरे भाई हेमसिंह रजक ने पुलिस को बताया कि ज्यादा सल्फी पीने की वजह से वह बेहोश होकर गिर पड़ा। पहले उसे घर ले गए। फिर प्राइवेट गाड़ी से अस्पताल ले गए। यहां डॉक्टरों से उसे मृत घोषित कर दिया। पीएम रिपोर्ट में साफ था कि झजकेतन के शरीर पर चोट के निशान हमले के थे। पुलिस ने घटना के दौरान मौजूद युवकों से पूछताछ की। सबूतों के अभाव में 2021 में केस बंद किया।
पिता फुलचंद रजक की शिकायत पर एसपी ने मामले में नए सिरे से जांच शुरू करवाई। घटना के दौरान पुलिया के पास मौजूद घनश्याम उर्फ कमलेश नागेश, खेमानिधि प्रधान, दिलीप प्रधान, हेमंत प्रधान का कोर्ट के सामने बयान करवाया गया। इसमें उन्होंने बताया कि घटना वाले दिन झजकेतन और देवीसिंह के बीच गांव में शराब बेचने की बात को लेकर विवाद हुआ था।
इस दौरान देवीसिंह ने पास में पड़ा पत्थर उठाकर झजकेतन के सिर पर पटक दिया। इसके बाद पुलिस ने घेराबंदी कर देवीसिंह को हिरासत में लिया। बारीकी से पूछताछ करने पर उसने हत्या की बात कबूल की। इसके बाद देवीसिंह (51) को आईपीसी की धारा 302 और मृतक के चचेरे भाई हेमसिंह (41) को साक्ष्य छिपाने के लिए आईपीसी की धारा 201 के तहत कोर्ट में पेश कर न्यायिक रिमांड पर भेजा गया है।
(Bureau Chief, Korba)