गरियाबंद: जिले में पेट दर्द का इलाज कराने आई एक आदिवासी महिला के गर्भाशय में कैंसर के शुरुआती लक्षण दिखे, तो निजी अस्पताल ने बिना विशेषज्ञ की राय के ऑपरेशन कर दिया। तबीयत बिगड़ने पर एक महीने तक अलग-अलग अस्पतालों में रेफर किया जाता रहा, जिससे महिला की मौत हो गई।
मैनपुर ब्लॉक के कुल्हाड़ीघाट निवासी भागीरथी मरकाम पत्नी गैंदी बाई (29) की मौत के 10 दिन बाद बुधवार को अपने तीन बच्चे, मां और परिजनों के साथ जिला मुख्यालय पहुंचे। कलेक्टर-एसपी को आवेदन देकर दोषियों के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की है। वहीं, कांग्रेस जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम ने कार्रवाई नहीं होने पर सीएमएचओ कार्यालय का घेराव करने की बात कही है।
अधिकारी को आवेदन देते हुए परिजन।
महीने भर में 4 अस्पतालों का चक्कर लगवाया
पति भागीरथी ने बताया कि, पेट दर्द की शिकायत पर उसे अप्रैल महीने में छुरा के लक्ष्मी नारायण अस्पताल में भर्ती कराया गया। शुरुआती जांच के बाद उसे अस्पताल ने 8 अप्रैल को भर्ती किया। फिर बच्चे दानी में कैंसर का लक्षण बताकर 12 अप्रैल को ऑपरेशन किया।
दर्द से कराहती रही, हो गई मौत
इस ऑपरेशन के बाद लगातार गैंदी बाई की तबीयत बिगड़ने लगी। इस बीच अस्पताल प्रबंधन अपने संपर्क के रायपुर, खरोरा महासमुंद के अस्पताल में भेजता रहा। पत्नी दर्द से कराहती रही। इन सभी ने इलाज से हाथ खड़े कर दिया। अस्पताल बदलने से पहले हर बार छुरा निजी अस्पताल आते रहे।
9 मई को गरियाबंद जिला अस्पताल भेजा गया, हालात नाजुक होने के कारण 10 मई को मेकाहारा रेफर किया गया। निजी अस्पताल की लापरवाही के चलते महिला की मेकाहारा अस्पताल में मौत हो गई। 11 मई को उसका अंतिम संस्कार हुआ।
आयुष्मान योजना के बावजूद लिए पैसे
भागरथी ने बताया कि, पहले भर्ती कर आयुष्मान कार्ड से इलाज किया, फिर इलाज के नाम पर 6 लाख रुपए नगद भुगतान करवाया। इलाज के पैसे देने के लिए बाइक और गहने तक गिरवी रख दिया।
लेनी थी एक्सपर्ट की राय- सीएमएचओ
इस मामले में सीएमएचओ गार्गी यदु का कहना है कि, शुरुआती जांच में लक्ष्मी नारायण अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही सामने आई है। बच्चा दानी में कैंसर के लक्षण के बाद ऑपरेशन से पहले एक्सपर्ट की राय नहीं ली गई। भुगतान से लेकर अन्य बिंदुओं पर जांच की जा रही है। रिपोर्ट आने के बाद उच्च अधिकारियों के निर्देश पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
(Bureau Chief, Korba)