सरगुजा: जिले के सरकारी अस्पताल में फर्श पर हुई डिलीवरी के बाद सरकार ने सख्ती बरती है। अब अपर मुख्य स्वास्थ्य सचिव मनोज कुमार पिंगुआ ने सभी स्वास्थ्य केंद्रों, सरकारी और निजी अस्पतालों में फोटो और वीडियो बनाने पर सख्ती से रोक लगाने को कहा है। उन्होंने कहा कि, ऐसी घटनाओं से न सिर्फ अस्पताल की छवि खराब होती है, बल्कि मरीजों और उनके परिजनों की निजता का भी हनन होता है।
इससे पहले मंगलवार को डिलीवरी वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बिलासपुर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई थी। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच ने कहा था कि सरकार जब दूरस्थ क्षेत्रों में सुविधाओं का लाभ देने का दावा कर रही है, तो अफसर क्या कर रहे हैं।
अपर मुख्य स्वास्थ्य सचिव मनोज कुमार पिंगुआ ने जारी किया आदेश।
रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच ने स्वास्थ्य विभाग के चीफ सेक्रेटरी, स्वास्थ्य संचालक से जवाब मांगा था। साथ ही सरगुजा के कलेक्टर, CMHO और सिविल सर्जन सहित अफसरों को शपथ पत्र के साथ जवाब देने को कहा है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अंबिकापुर जिले के सरकारी अस्पताल में फर्श पर डिलीवरी कराने के मामले को हाईकोर्ट ने जनहित याचिका मान कर सुनवाई शुरू की है।
अस्पताल में डॉक्टर और नर्स नहीं थे
8 जून: दरिमा के नवानगर ग्राम पंचायत की 25 वर्षीय गर्भवती को जब प्रसव पीड़ा शुरू हुई, तो मितानिन उसे शनिवार सुबह 9 बजे नवानगर उपस्वास्थ्य केंद्र ले गई। उस समय अस्पताल में न तो कोई डॉक्टर थे और न नर्स। प्रसव पीड़ा बढ़ने पर मितानिन ने प्रसूता को जमीन पर लिटा दिया।
मितानिन ने फर्श पर कराया प्रसव
गर्भवती महिला दर्द से कराह रही थी। बताया जा रहा है कि, परिजन और मितानिन ने कई बार डॉक्टर-नर्स को फोन लगाया, लेकिन किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। ऐसे में मितानिन ने फर्श पर महिला का असुरक्षित ढंग से प्रसव कराया।
नवानगर के स्वास्थ्य केंद्र का यह मामला है, जहां फर्श पर असुरक्षित ढंग से प्रसव कराया गया।
ANM और स्टाफ नर्स पर हुई कार्रवाई
9 जून: वीडियो वायरल होने और मीडिया में खबर चलने के बाद मामला आगे बढ़ा तो कलेक्टर ने जांच के निर्देश दिए। कलेक्टर के निर्देश पर सीएमएचओ के दल ने मामले की जांच की। जांच में चिकित्सक सहित एएनएम, नर्स की लापरवाही मिली है।
इस पर अस्पताल के एएनएम को हटा दिया गया है और स्टॉफ नर्स को निलंबित कर दिया गया। साथ ही बीएमओ और प्रभारी चिकित्सक पर कार्रवाई की सिफारिश करते हुए प्रतिवेदन स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजा गया।
खंड चिकित्सा अधिकारी पर एक्शन का आदेश।
खंड चिकित्सा अधिकारी पर एक्शन का आदेश।
BMO पर भी गिरी गाज
9 जून: मामले में कलेक्टर विलास भोस्कर के निर्देश पर रविवार को जिला स्तरीय जांच दल के सीएमएचओ डॉ. आर.एन.गुप्ता, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, जिला मितानिन समन्वयक की उपस्थिति में जांच की गई और संबंधितों के बयान लिए गए।
सभी के बयान के बाद बीएमओ के खिलाफ कार्रवाई का प्रतिवेदन राज्य शासन को भेजा गया था। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के विशेष सचिव चंदन कुमार ने बीएमओ डॉ. पी.एन. राजवाड़े को निलंबित कर दिया। इसके अलावा RMA को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया।
रविवार को जांच दल ने सभी के बयान लिए थे इसके बाद एक्शन भी हुआ।
सरकार के बाद हाईकोर्ट ने लिया था संज्ञान
12 जून: इस मामले में स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने जांच के निर्देश दिए थे। उसके बाद हाईकोर्ट ने भी जनहित याचिका मानकर सुनवाई शुरू कर दी है। डिवीजन बेंच ने सरकारी अस्पतालों की अव्यवस्था पर चिंता जाहिर की है।
हाईकोर्ट ने कहा कि, सरकार की तरफ से योजनाएं लागू कर पैसे खर्च किया जा रहा है। इसके बाद भी लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। हाईकोर्ट ने पूछा कि जब राज्य सरकार दूरदराज इलाकों में रहने वाली जनता को चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के लिए धन खर्च कर रही है तो ऐसी स्थिति क्यों बन रही है।
(Bureau Chief, Korba)