Friday, October 25, 2024




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Chhattisgarh : SECR की बिलासपुर, रायपुर और नागपुर सेक्शन की 460 किलोमीटर रेलवे लाइन ऑटोमैटिक सिग्नल सिस्टम से लैस, अब एक ट्रैक पर चल सकेंगी एक से ज्यादा ट्रेनें; हादसे का डर नहीं

बिलासपुर: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) की बिलासपुर, रायपुर और नागपुर सेक्शन की 460 किलोमीटर रेलवे लाइन ऑटोमैटिक सिग्नल सिस्टम से लैस हो चुकी है। यह बड़ी उपलब्धि है। 136 किलोमीटर के सेक्शन में ऑटोमैटिक सिग्नलिंग की कमिशन के साथ ही बिलासपुर जोन देश में पहले स्थान पर है। इससे ट्रेनों को समय पर चलाने में आसानी होगी।

इस आधुनिक सिस्टम के लगने के बाद अब ट्रेनें 100-100 मीटर के दायरे में एक के पीछे एक चल सकेंगी। सिस्टम चालू हो चुका है और कई बार ऐसी ट्रेनों को एक के पीछे एक देखकर लोगों में भ्रम की स्थिति​ भी बनने लगी है। ऐसे में कुछ लोग हादसे की आशंका पर सोशल मीडिया पर पोस्ट भी कर देते हैं।

ऑटो सिग्नल सिस्टम से ट्रेनों की बढ़ेगी रफ्तार।

ऑटो सिग्नल सिस्टम से ट्रेनों की बढ़ेगी रफ्तार।

ट्रेनों की बढ़ेगी रफ्तार, लेटलतीफी की समस्या भी दूर होगी

रेलवे का दावा है कि ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम के लागू होने से एक ब्लॉक सेक्शन में एक ही रूट पर एक से ज्यादा ट्रेनें चल सकती हैं। इससे रेल लाइनों पर ट्रेनों की रफ्तार के साथ ही संख्या भी बढ़ गई है। वहीं, कहीं भी खड़ी ट्रेन को निकलने के लिए आगे चल रही ट्रेन के अगले स्टेशन तक पहुंचने का भी इंतजार नहीं करना पड़ता है। स्टेशन यार्ड से ट्रेन के आगे बढ़ते ही ग्रीन सिग्नल मिल जाता है, यानि कि एक ब्लॉक सेक्शन में एक के पीछे दूसरी ट्रेन आसानी से चलती है। इसके साथ ही ट्रेनों के लोकेशन की जानकारी मिलती रहती है।

एडवांस टेक्नोलॉजी से एक ट्रैक पर कई ट्रेनें

आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए SECR ने पटरियों के सिग्नल सिस्टम में भी बदलाव किया है। अब ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस सिस्टम में दो स्टेशनों की निश्चित दूरी पर सिग्नल लगाए गए हैं।

नई व्यवस्था में स्टेशन यार्ड के एडवांस स्टार्टर सिग्नल से आगे लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर पर सिग्नल लगाए गए हैं। नतीजतन सिग्नल के सहारे ट्रेनें निश्चित दूरी पर एक-दूसरे के पीछे चलती रहती हैं।

नए सिस्टम में एक पटरी पर चल रही एक साथ कई ट्रेनें।

नए सिस्टम में एक पटरी पर चल रही एक साथ कई ट्रेनें।

सिग्नल में तकनीकी खामी की सूचना मिल जाएगी

अगर किसी वजह से आगे वाले सिग्नल में तकनीकी खामी आती है तो पीछे चल रही ट्रेनों को भी सूचना मिल जाएगी। जो ट्रेन जहां रहेगी, वहीं रुक जाएगी। कई बार इन सेक्शनों के एक ही दिशा में एक से ज्यादा ट्रेनों के रुकने से यात्रियों को भ्रम की स्थिति हो जाती है।

खासकर जब आगे वाली ट्रेन रुकती है, तो पीछे वाली ट्रेन सिग्नल के इशारे को फॉलो कर एक निश्चित दूरी में उसके पीछे रुक जाती है। जहां पहले दो स्टेशनों के बीच केवल एक ट्रेन चल सकती थी, वहीं अब ऑटो सिग्नलिंग के जरिए 4, 5 या 6 ट्रेनों को हर सेक्शन में चलाया जा सकता है, जो दो स्टेशनों के बीच की दूरी पर निर्भर करता है।

460 किलोमीटर ट्रैक ऑटो सिग्नलिंग से लैस

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में बिल्हा से जयरामनगर (30 KM), कलमना से दुर्ग (259 KM), बिलासपुर से घुटकू (16 KM), चांपा से उरगा (28 KM) रेल लाइन में ऑटो सिग्नलिंग सिस्टम का काम पिछले वित्तीय सालों में पूरा किया गया था। पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान 136.25 किलोमीटर ऑटो सिग्नलिग सिस्टम का कार्य पूर्ण किया गया है।

इसमें जयरामनगर-अकलतरा (34 KM), उरगा-गेवरा रोड (16.25 KM), दुर्ग-कुम्हारी (54 KM), धनोली-गुदमा (18 KM), सालवा-कामठी (11 KM), बिलासपुर कार्ड केबिन-उसलापुर (3 KM), रेल लाइन शामिल है । इस तरह वर्तमान में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का 460 किलोमीटर सेक्शन ऑटोमैटिक सिग्नल सिस्टम से लैस है।

कम खर्च पर बेहतर सिस्टम

ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली लागू हो जाने से कई फायदे हो रहे हैं। इससे एक ओर गाड़ियों की रफ्तार तो बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर लागत के नजरिए से भी यह काफी कम खर्चीला है। अब ऑप्टिकल फाइबर केबल लगाए जा रहे हैं, जिसकी लागत भी कम होती है और इसके चोरी होने का भी डर नहीं रहता है।

Muritram Kashyap
Muritram Kashyap
(Bureau Chief, Korba)
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