रायपुर: प्रदेश में पिछले दो माह में 100 से ज्यादा स्वाइन फ्लू के मरीज मिल चुके हैं। 7 मरीजों की मौत हो चुकी है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 27 अगस्त तक प्रदेश में केवल 19 मरीजों की पुष्टि हुई है। आंबेडकर अस्पताल में बुधवार को 4 मरीज भर्ती हैं।
वहीं बिलासपुर में 37 मरीजों का इलाज चल रहा है। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग की बेपरवाही देखिए, मरीजों के इलाज के लिए प्रोटोकाल तक जारी नहीं कर सका है। अस्पतालों ने भी कोई प्रोटोकाल तय नहीं किया है। वहां उपलब्ध पीपीई किट एक्सपायर भी हो गई है, क्योंकि वह कोरोनाकाल में खरीदी गई थी।
राजधानी में जुलाई के पहले सप्ताह में स्वाइन फ्लू मरीज की पुष्टि हुई थी। मरीज कांकेर का रहने वाला था। इसके बाद राजधानी के निजी अस्पतालों में ही 37 से ज्यादा मरीजों का इलाज किया जा चुका है। रायपुर में दूसरे जिलों के मरीजों की मौत हो रही है।
दूसरी ओर बिलासपुर स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए सबसे संवेदनशील बना हुआ है। यही कारण है कि स्वास्थ्य विभाग पूरे प्रदेश के बजाय केवल बिलासपुर के लिए अलर्ट जारी किया था। जिलेवार मरीजों की संख्या कितनी है, इसकी जानकारी देने वाला कोई अधिकारी नहीं है। पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (Swine Flu) में माइक्रो बायोलॉजी विभाग की एचओडी डॉ. निकिता शेरवानी ने बताया कि अगस्त में 60 सैंपलों की जांच हुई है, उनमें 6 पॉजीटिव आए हैं।
आंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक कार्यालय में बुधवार की दोपहर 12 बजे आइसोलेशन वार्ड की दो सीनियर नर्सिंग अधिकारी ये जानने आई थीं कि इलाज का प्रोटोकाल क्या है? पीपीई किट पहननी है या नहीं। थ्री लेयर मॉस्क पहनें या एन-95 मॉस्क। सामान्य सर्जिकल मॉस्क पहनकर आईं नर्स अधिकारी से इलाज का प्रोटोकाल पूछ रही थी और शासन के आदेश के बारे में पूछ रहीं थीं। तब ये बात सामने आई कि स्वास्थ्य विभाग (Swine Flu) ने तो प्रोटोकाल संबंधी कोई निर्देश अस्पतालों को नहीं दिया है। आइसोलेशन वार्ड में मरीजों की जरूरी सुविधा के लिए वे जरूरी सामानों की सूची लेकर आई थी। ताकि इसे स्टोर से ले सकें या नहीं होने पर लोकल पर्चेस करवाया जा सके।
अस्पताल के लिए ये गाइडलाइन
पीपीई किट का विवरण में ग्लाेव्स, हाई इफिसिएंसी या थ्री लेयर सर्जिकल मॉस्क, लांग गाउन, प्रोटेक्टिव आई वियर, कैप, प्लाटिक एप्रेन।
इन दिनों सर्दी-खांसी व बुखार को हल्के में न लें। तीन दिनाें में हर हाल में विशेषज्ञ डॉक्टर से इलाज करवाकर दवा लें। जिन्हें किडनी, लीवर, हार्ट या कैंसर की बीमारी है, उनके लिए स्वाइन फ्लू का रिस्क ज्यादा है। जिन मरीजों की जांच व इलाज में देरी हो रही है, या पहले से दूसरी बीमारी है, उन्हीं की मौत हो रही है।
क्या है स्वाइन फ्लू
स्वाइन फ्लू को H1N1 वायरस भी कहते हैं। यह इंफ्लुएंजा के एक नए स्ट्रेन जैसा है, क्योंकि इसके लक्षण भी सामान्य फ्लू जैसे ही होते हैं। स्वाइन फ्लू मूल रूप से सूअरों में होने वाली बीमारी है, जो इंसानों में भी फैल गई। इंसानों में इसका संक्रमण रेट यानी एक व्यक्ति से दूसरे में फैलने की गति काफी तेज है।
इसके H1N2 और H1N3 वैरिएंट भी हैं। हालांकि, इंफ्लुएंजा के ये वैरिएंट इंसानों में उतनी तेजी से नहीं फैलते हैं। इनके केस भी बहुत कम ही देखने को मिलते हैं।
(Bureau Chief, Korba)