Thursday, April 25, 2024
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CG: डॉक्टर की गलती से बच्चे का कटा हाथ, लगा 5 लाख का हर्जाना… जिला उपभोक्ता आयोग के फैसले पर राज्य आयोग की मुहर

रायपुर: डाक्टर की लापरवाही से एक बच्चे के हाथ में गैंगरीन हो गया। इसकी वजह से उसका हाथ काटना पड़ा। जिला उपभोक्ता आयोग ने डाक्टर को 5 लाख का हर्जाना देने का कहा। डाक्टर ने फैसले को न मानते हुए राज्य आयोग में अपील कर दी। वहां भी जिला आयोग के फैसले को बरकरार रखते हुए इलाज का खर्च और मानसिक क्षतिपूर्ति व वाद व्यय देने का आदेश दिया गया। परिवाद के अनुसार भाटापारा में रहने वाला 11 वर्षीय राकेश कुमार 25 जुलाई 2018 को खेलते हुए पेड़ से गिर गया। उसके बाएं हाथ में गंभीर चोट आई। इलाज के लिए उसे भाटापारा में आस्था नर्सिंग होम ले जाया गया। डाक्टर ने प्लास्टर बांधा और दवा लिखकर घर भेज दिया। कुछ दिन बाद राकेश के हाथ में सूजन आने लगा और चमड़ी काली पड़ने लगी। तब 27 जुलाई को वह फिर डाक्टर के पास गया।

इस बार भी डाक्टर ने कुछ अतिरिक्त दवाई लिखकर लौटा दिया। दो दिन बाद दर्द असहनीय होने पर वह फिर डाक्टर के पास गया। तब भी उसे फौरी राहत देकर लौटा दिया गया। दो-तीन दिन बाद बच्चा अपने परिजनों के साथ फिर नर्सिंग होम गया। तब तक बच्चे के हाथ की स्थिति काफी गंभीर हो गई थी। 31 जुलाई को जब राकेश डाक्टर के पास पहुंचा तो उसने इलाज करने में असमर्थता जताते हुए बिलासपुर सिम्स जाने की सलाह दी। जांच के दौरान सिम्स अस्पताल के डाक्टरों ने बताया कि हाथ में गैंगरीन हो गया और रायपुर मेडिकल कालेज जाने की सलाह दी। तब राकेश के पिता ने उसे आरबी हास्पिटल में दिखाया। वहां डाक्टरों ने हाथ में गैंगरीन फैलने से पूरे शरीर में इसके दुष्प्रभाव का खतरा बताया। बच्चे का जीवन बचाने के लिए हाथ काटना पड़ा। राकेश के परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए जिला उपभोक्ता आयोग में परिवाद दायर किया। आयोग ने इलाज का खर्च पांच लाख, 10 हजार मानसिक क्षतिपूर्ति और एक हजार वाद व्यय देने का आदेश दिया। इसके खिलाफ अस्पताल के डाक्टर ने राज्य आयोग में अपील की। सुनवाई के दौरान आयोग ने कहा कि हाथ में असहनीय दर्द होने, चमड़ी काली पड़ने के बाद भी डाक्टर ने सावधानी व सतर्कता नहीं बरती। विशेषज्ञ प्रोफेशनल्स से इलाज कराना चाहिए। दूसरे अस्पताल में रिफर करने से पहले डाक्टर ने दो-दो दिन करके चार बार मरीज को लौटाया। इससे उसकी स्थिति गंभीर हो गई और गैंगरीन होने पर हाथ काटना पड़ा। राज्य आयोग ने जिला आयोग के फैसले को यथावत रखने का आदेश दिया।

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