रायपुर: छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय ने बुधवार को चौथे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। वह प्रदेश के पहले निर्विवादित आदिवासी सीएम का चेहरा हैं। विष्णुदेव साय साफ-सुथरी छवि और लंबी राजनीतिक पारी खेलने वाले बड़े आदिवासी चेहरा हैं। पहली बार 26 साल की उम्र में विधायक बने साय का बचपन संघर्षों में बीता है।
पिता राम प्रसाद साय के निधन के बाद चुनौतियों से लड़ते हुए वे आगे बढ़े। पारिवारिक जिम्मेदारी के कारण उन्हें पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी और खेती का काम संभाला। पहली बार पंच और निर्विरोध सरपंच बने तो दिलीप सिंह जूदेव ने उनका हाथ थामा। साय को जूदेव छोटा भाई मानते थे।
दिलीप सिंह जूदेव के साथ विष्णुदेव साय, नंदकुमार साय व अन्य भाजपा नेता।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के साथ बगिया गांव के प्राथमिक शाला में पढ़ाई करने वाले अनिल कुमार तिवारी बताते हैं कि वे बचपन से मेधावी छात्र थे। पढ़ाई के लिए वे लोयला स्कूल कुनकुरी चले गए थे। लोयला स्कूल के प्राचार्य मर्यानुस केरकेट्टा ने बताया कि विष्णुदेव ने 1975 से 1981 तक पढ़ाई की। वे कुजुर सर के घर किराए से रहते थे।
लोयला स्कूल से 11वीं तक विष्णुदेव साय ने पढ़ाई की। इसके बाद उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा।
पिता के निधन के बाद छोड़ी पढ़ाई
उनके छोटे भाई जय प्रकाश साय बताते हैं कि जब पिता का निधन हुआ तो अन्य तीन भाई उम्र में काफी छोटे थे। ऐसे में विष्णुदेव साय ने पढ़ाई बीच में छोड़ दी और घर की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने तीन भाइयों को पढ़ाया। एक पिता की तरह सभी फर्ज पूरे किए।
जय प्रकाश साय बताते हैं कि जब विष्णुदेव बगिया के निर्विरोध सरपंच बने तो दिलीप सिंह जूदेव उनके घर आए। दिलीप सिंह जूदेव ने विष्णुदेव साय का हाथ थामा। उन्हें तपकरा सीट से भाजपा का प्रत्याशी बनवाया। वे पहला चुनाव जीतकर उस समय अविभाजित मध्यप्रदेश की विधानसभा में पहुंचे।
सरपंच से शुरू हुआ राजनीतिक करियर
विष्णुदेव साय ने अपना राजनीतिक करियर गांव की राजनीति से शुरू किया। 1999 में दिलीप सिंह जूदेव ने उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार किया और रायगढ़ लोकसभा सीट से सांसद बनें। वे 2004, 2009 और 2014 में लगातार चार बार लोकसभा का चुनाव जीता।
बस में चढ़कर पहुंचे थे नामांकन करने
जशपुर के वरिष्ठ भाजपा नेता कृष्ण कुमार राय ने बताया कि दिलीप सिंह जूदेव ने अपनी ओडिशा की फैक्ट्री बेचकर तीनों विधानसभा से भाजपा प्रत्याशियों को चुनाव लड़वाया था। तपकरा से विष्णुदेव साय, जशपुर से गणेश राम भगत और बगीचा से विक्रम भगत भाजपा के प्रत्याशी थे।
तीनों प्रत्याशी नामांकन फॉर्म भरने के लिए राज्य परिवहन की बस से रायगढ़ पहुंचे थे। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सहपाठी प्रकाश तिवारी ने बताया कि जब साय चुनाव जीत कर मध्यप्रदेश विधान सभा भवन पहुंचे तो उनके कम उम्र और सादगी को देखकर, विधायक होने पर वरिष्ठ-जन विश्वास नहीं करते थे।
शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, डिप्टी सीएम अरुण साव और विजय शर्मा।
विष्णुदेव के नाम पर ही मुहर क्यों?
भाजपा ने छत्तीसगढ़ में मिली ऐतिहासिक जीत में आदिवासी बहुल क्षेत्र सरगुजा और बस्तर संभागों में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। पार्टी ने सरगुजा की सभी 14 सीटों व बस्तर संभाग की 12 में से 8 सीटों पर कब्जा किया है। ऐसे में लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने आदिवासी कार्ड खेला है।
छत्तीसगढ़ में हमेशा से स्थानीय और आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग होती रही है। प्रदेश की सियासत में विष्णुदेव साय कथित तौर पर रमन सिंह के खेमे के ही माने जाते हैं। साय को संघ का करीबी भी कहा जाता है। उनको करीब 35 साल का राजनीतिक और प्रदेश अध्यक्ष रहते संगठन चलाने का अनुभव भी है।
पूर्व सीएम बघेल से 3 साल छोटे हैं साय
विष्णुदेव साय का जन्म 21 फरवरी 1964 को जशपुर के ग्राम बगिया में स्व. रामप्रसाद साय और जसमनी देवी के घर हुआ था। पूर्व सीएम भूपेश बघेल से वे 3 साल छोटे हैं। किसान परिवार से आने वाले साय ने लंबा राजनीतिक सफर तय कर ऊंचा मुकाम हासिल किया। प्रदेश और देश की राजनीति में सक्रिय रहे।
भूपेश से संपत्ति के मामले में पीछे हैं साय
विधानसभा चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग को दिए गए शपथपत्र के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की संपत्ति 6.5 करोड़ रुपए है। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विष्णुदेव साय की संपत्ति 3.80 करोड़ रुपए है। इसमें उनकी कृषि, जमीन और घर भी शामिल हैं। आय का स्रोत भी किसानी ही है।
तस्वीरों में देखिए विष्णुदेव साय का सफर…
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की मां जसमनी देवी और छोटे भाई जय प्रकाश साय।
इस तस्वीर को भाजपा नेता प्रबल प्रताप सिंह ने ट्वीट किया है। इसमें उनके पिता दिलीप सिंह जूदेव और मुख्यमंत्री बने विष्णदेव साय साथ हैं।
बगिया में सीएम विष्णुदेव साय का पैतृक आवास, जहां बीता बचपन। अब कुछ हिस्से ही पुराने मकान के बचे हैं।
पहली बार प्रदेश अध्यक्ष चुने जाने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ विष्णुदेव साय।
विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद समर्थकों ने विष्णुदेव साय को लड्डुओं से तौला था।
विष्णुदेव साय और उनकी पत्नी कौशल्या की यह तस्वीर उनकी विदेश यात्रा की है।
विष्णुदेव साय अपनी बेटी के साथ। उनकी दो बेटियां और एक बेटा है।
विष्णुदेव साय ने भाजपा विधायक रामविचार नेताम को मिठाई खिलाकर स्वागत किया।
चुनाव अभियान के दौराय साय कुनकुरी विधानसभा के ग्राम भुरसा में अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा आयोजित करम कहानी प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल हुए थे।