Saturday, May 4, 2024
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निगम का भ्रष्टाचार उजागर, अधिकारियों ने सारी हदें की पार… एक LED की कीमत 25 हजार; डेढ़ लाख रुपए की 60 लाइट्स लगाकर 24 लाख से अधिक का किया गया भुगतान

BHILAI: भिलाई नगर निगम के अधिकारियों ने भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दी है। यहां शासन से 2700 रुपए प्रति लाइट की स्वीकृति लेने के बाद अधिकारियों ने एक लाइट का 9 गुना अधिक 25 हजार रुपए का भुगतान कर दिया। इस बात की जानकारी होने के बाद पूरे निगम महकमे में हड़कंप मच गया है। आयुक्त रोहित व्यास ने जांच के लिए उच्चस्तरीय कमेटी गठित करने की बात कही है।

निगम से मिली जानकारी के मुताबिक नगर निगम भिलाई के जोन चार के तहत वार्ड-30 कन्या स्कूल के पीछे रोशनी की व्यवस्था और अन्य काम किए जा रहे हैं। निगम के अधिकारियों ने यहां एलईडी लाइट और ट्यूबलर पोल लगाने के लिए राज्य शासन से स्वीकृत भी ली। लाइट लग जाने के बाद शासन को भेजे गए इस्टीमेट से 9 गुना अधिक राशि खर्च कर दी गई। इससे दूसरे काम के लिए बजट नहीं बचा तो अधिकारियों ने काम रोक दिया है। जब इसकी पड़ताल की गई तो पता चला कि शासन को भेजे गए इस्टीमेंट में प्रति एलईडी का दर 27 सौ दर्शाया गया है।

इसकी जगह जोन कमिश्नर ने 25 हजार का भुगतान कर दिया है। 9 गुना अधिक भुगतान करने से पहले उन्हें संशोधन करने के बाद शासन से स्वीकृति लेनी थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। अब मामले की जांच के लिए भिलाई निगम आयुक्त की ओर से जोन-4 के अधिकारियों से इसकी रिपोर्ट मांगी गई है।

स्टेडियम बनाने के दौरान लगाई गई है हाई मास्क एलईडी और ट्यूबलर लाइट।

स्टेडियम बनाने के दौरान लगाई गई है हाई मास्क एलईडी और ट्यूबलर लाइट।

जोन कमिश्नर एक दूसरे के ऊपर फोड़ रहे ठिकरा
जिस जोन 4 के अंतर्गत ये भ्रष्टाचार हुआ है, वर्तमान में वहां की जोन कमिश्नर पूजा पिल्ले हैं। जब उनसे बात की गई तो उन्होंने कहा कि ये मामला उनके समय का नहीं है। जब तत्कालीन जोन कमिश्नर अमिताभ शर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस्टीमेंट इंजीनियर बनाता है। आइटम चेंज होने पर उसकी स्वीकृति भी वही लेता है। उनके समय इस्टीमेट बना था। भुगतान के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। अगर ऐसा हुआ है तो इसके लिए संबंधित इंजीनियर जिम्मेदार है।

शिवाजी नगर खुर्सीपार स्थित जोन-4 कार्यालय भिलाई नगर निगम।

शिवाजी नगर खुर्सीपार स्थित जोन-4 कार्यालय भिलाई नगर निगम।

एक ही काम में कर दी आधे से अधिक राशि खर्च
इस्टीमेट के मुताबिक 45 वॉट की 60 एलईडी लगाने में सिर्फ 1 लाख 63 हजार 740 रुपए खर्च आना था। जो कमिश्नर ने इसकी जगह 9 गुना अधिक यानी 24 लाख 83 हजार 616 रुपए का भुगतान कर दिया है। इसके साथ-साथ पोल और एमसीबी लगाने में करीब 11 लाख से अधिक का खर्च आया है। इस तरह से एलईडी और पोल लगाने में ही निगम ने 36 लाख से अधिक का भुगतान कर दिया है। बाकी बचे 24 लाख रुपए में अब उसे 7 काम कराने हैं, जो कि संभव नहीं है।

बिना निविदा निकाले खुर्सीपार में इसी डोम शेड का निर्माण कर दिया गया था।

बिना निविदा निकाले खुर्सीपार में इसी डोम शेड का निर्माण कर दिया गया था।

डोम निर्माण में भी हो चुका है बड़ा भ्रष्टाचार
जोन चार के अंतर्गत भ्रष्टाचार का ये पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी पुराने बने डोम को दिखाकर बिना निविदा जारी किए 20 लाख रुपए का डोम शेड बनाना दिखा दिया गया था। भाजपा के वरिष्ठ पार्षद पीयूष मिश्रा ने दुर्ग कलेक्टर पुष्पेंद्र मीणा से इस संबंध में लिखित शिकायत की थी, लेकिन आज तक इसमें दोषी इंजीनियर्स के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। पीयूष मिश्रा ने आरोप लगाया था कि खुर्सीपार श्रीराम चौक के पास बने खेल मैदान के अंदर एक साल पहले जन सहयोग से काफी बड़ा मंच और उसके ऊपर शेड का निर्माण किया गया था। इस शेड के बनने के एक साल बाद जोन 4 कमिश्नर अमिताभ शर्मा और ईई ने मिलकर इसका टेंडर जारी कर दिया। उन्होंने बृजेश साहू नाम के ठेकेदार को टेंडर देना दिखाकर उसके नाम से 20 लाख रुपए का भुगतान करने के लिए नोटशीट भी चला दी थी। निगम कमिश्नर ने उस समय इस भुगतान को रोक दिया था।

मामला पकड़ में न आए इसलिए नहीं कराई गई ऑडिट
नगर निगम भिलाई में बिल का भुगतान करने से पहले उसकी ऑडिट की जाती है। निगम में हो रहे भ्रष्टाचार को आसान से दबाया जा सके, इसके लिए यहां ऑडिट की व्यवस्था खत्म कर दी गई। अब शासन से साल में एक बार ऑडिट करवाया जाता है। इस वजह से एक एलईडी का 27 सौ की जगह 25 हजार का भुगतान करने का बिल को ऑडिट से हटा दिया गया।

तत्कालीन जोन- 4 के अमिताभ शर्मा कमिश्नर थे तब ये इस मामले में गड़बड़ी की गई थी।

तत्कालीन जोन- 4 के अमिताभ शर्मा कमिश्नर थे तब ये इस मामले में गड़बड़ी की गई थी।

ये अधिकारी हैं जिम्मेदार
नगर निगम में किसी भी काम का टेंडर होने के बाद एल-1 आने वाले ठेकेदार से निगम एग्रीमेंट करता है। वर्क ऑर्डर जारी होने के बाद निगम के सब इंजीनियर ठेकेदार को साइड क्लियर करके देते हैं। तब ठेकेदार इस्टीमेट के मुताबिक काम शुरू करता है। वर्क इस्टीमेट के मुताबिक हो रहा है कि नहीं, इस पर सब इंजीनियर, सहायक अभियंता को पूरी नजर रखना होता है। इसके बाद ईई और जोन आयुक्त को भी समय-समय पर काम का निरीक्षण करना होता है। काम के दौरान फाइल सब इंजीनियर से, सहायक अभियंता, ईई, जोन आयुक्त, एसी, आयुक्त और वित्त विभाग तक पहुंचती है। इस दौरान जिन-जिन के नजरों से होकर यह गुजरती है, इसके लिए वो सभी अधिकारी जिम्मेदार हैं।

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