Saturday, May 18, 2024
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छत्तीसगढ़: संभाग के सबसे बड़े अस्पताल सिम्स में ‘दलाल’ राज.. प्राइवेट अस्पताल ले जाए जा रहे मरीज, कम कीमत में इलाज कराने का दावा, प्रबंधन बना अनजान

छत्तीसगढ़: बिलासपुर संभाग के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में मरीजों को फ्री में इलाज कराने का दावा कर प्राइवेट अस्पताल लेकर जाने का मामला सामने आया है। यहां प्राइवेट अस्पताल के एजेंट सक्रिय रहते हैं, जो मरीज और उनके परिजन को बहलाकर कमीशन लेकर प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करा देते हैं। ऐसे में उनके झांसे में आकर मरीज फंस जाते हैं और उन्हें प्राइवेट अस्पताल में जाने के बाद मोटी फीस वसूली की जाती है। सब कुछ जानने के बाद भी सिम्स प्रबंधन ऐसे मामलों को नजरअंदाज कर अस्पताल प्रबंधन को सहयोग करता है।

दरअसल, सिम्स में मरीजों को बिना डिस्चार्ज कराए (लाामा) गायब करने का खेल लंबे समय से चल रहा है। सिम्स के स्टाफ मरीजों के बिना डिस्चार्ज किए जाने पर रजिस्टर में लामा केस दर्ज कर खानापूर्ति कर लेते हैं। इसमें स्टाफ के साथ ही डॉक्टरों की भी मिलीभगत रहती है। लामा होने वाले मरीजों की न तो कोई जानकारी जुटाई जाती और न ही इसके कारणों का पता लगाया जाता। जबकि, परदे के पीछे की सच्चाई यह है कि सिम्स परिसर में प्राइवेट अस्पताल प्रबंधन के एजेंट सक्रिय रहते हैं, जो कमीशन की लालच में आकर मरीजों को बेहतर, सस्ता और आयुष्मान कार्ड से इलाज कराने का झांसा देते हैं। प्राइवेट अस्पताल जाने के बाद दूर-दराज से आए मरीज और उनके परिजन से इलाज के नाम पर मोटी फीस वसूली की जाती है।

मरीज और परिजन को भड़का कर निजी अस्पताल ले गया एजेंट।

मरीज और परिजन को भड़का कर निजी अस्पताल ले गया एजेंट।

बिना डिस्चार्ज कराए ले गए मरीज
कोरबा के बांगो क्षेत्र में रहने वाले चमरू सिंह पिता सोहन सिंह (23) को पीलिया हो गया है। उसे इलाज के लिए परिजन ने सिम्स में भर्ती कराया गया है। इलाज के दौरान उसके सीने में दर्ज होने लगा। वह शनिवार से सिम्स के मेडीसीन वार्ड में भर्ती था। डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि उसके फेफड़ों में पानी भर गया है। मरीज के परिजन ने बताया कि रविवार को उस्लापुर स्थित नर्मदा हॉस्पिटल का एजेंट मेडीसीन वार्ड पहुंचा। उसने मरीज के मामा से संपर्क किया और सिम्स में सही इलाज नहीं होने की बात कहने लगा। इस दौरान उसने प्राइवेट अस्पताल में बेहतर इलाज कराने के लिए कहा। साथ ही यह भी बताया कि वह कम खर्चे में प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराएगा और आयुष्मान कार्ड से इलाज भी होगा। पहले परिजन तैयार नहीं हुए, तब एजेंट सोमवार को दोबारा पहुंचा और फिर से सिम्स में इलाज नहीं होने के बाद कहते हुए परिजन को भड़काने लगा। उसने वंदना अस्पताल में 50-60 हजार रूपए में पूरा उपचार कराने का दावा किया। एजेंट की बात मानकर परिजन मरीज को वार्ड से लेकर बाहर आ गए।

गार्ड ने पूछताछ की, तब भाग निकला
मरीज और उनके परिजन को बाहर निकलते देखकर सिम्स के गार्ड ने पूछताछ की, तब परिजनों ने बताया कि वे मरीज को लेकर जा रहे हैं। इस दौरान उसने डिस्चार्ज संबंधी कागजात मांगने पर एजेंट की तरफ इशारा किया। इधर, गार्ड को देखकर एजेंट वहां से भाग निकला।

वार्ड बॉय और डॉक्टर का कोट पहनकर घूमते हैं एजेंट
सिम्स से मरीजों को प्राइवेट अस्पताल लेकर जाने का खेल पिछले लंबे समय से चल रहा है। एजेंट परिसर में वार्ड बॉय और डॉक्टर का कोट पहनकर घूमते रहते हैं। मरीज और उनके परिजन को सरकारी इलाज में इलाज नहीं होने की बात कहकर भड़काते हैं। मरीज और परिजन को लगता है कि जब यहां के स्टाफ ही जब बुराई कर रहे हैं, तो कैसे सही इलाज होगा। ऐसे में वे एजेंट के बहकावे में आकर उनकी बात मानकर प्राइवेट अस्पताल चले जाते हैं।

एक्स-रे, सोनोग्राफी और सिटी स्केन कराने में भी चल रहा कमीशन
सिम्स मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में जिले के साथ ही दूसरे जिले और मध्यप्रदेश के सीमावर्ती इलाकों से मरीज इलाज कराने आते हैं। यहां मरीजों की जांच की सुविधा के लिए एक्स-रे, सोनोग्रॉफी, सिटी स्केन मशीन लगाया गया है। लेकिन, यहां या तो मशीन खराब होने या फिर सही तरीके से जांच नहीं होने के बहाने मरीजों को बाहर से जांच कराने की सलाह दी जाती है। कर्मचारी मरीज और परिजन को जांच के लिए प्राइवेट संस्थान का नाम भी बता देते हैं। दरअसल, इसमें भी कमीशन का ही खेल चल रहा है, जिसके कारण मरीजों को जांच के लिए उपकरणों की सुविधा नहीं मिल पा रही है।

प्रबंधन ने झाड़ा पल्ला
सिम्स में मरीजों को प्राइवेट अस्पताल लेकर जाने के सवाल पर सिम्स प्रबंधन अनजान बना रहता है। अधीक्षक और डीन इस तरह की जानकारी होने से इंकार करते हैं। मरीजों के लामा होने के संबंध में भी यह कहकर पल्ला झाड़ लिया जाता है कि जब मरीज और परिजन ही बिना बताए चले जाए तो इसमें प्रबंधन क्या कर सकता है।

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