होलिका दहन: जानकारी के आभाव में कई बार लोग हरे भरे पेड़ का इस्तेमाल होलिका दहन में करते हैं. जबकि होलिका दहन में एरंड और गूलर के पेड़ की लकड़ियों का ही इस्तेमाल करना चाहिए.
- गाय के गोबर के कंडे शुभ.
- इन पेड़ों का न करें इस्तेमाल.
होलिका दहन: होली का त्योहार आने ही वाला है. इससे पहले होलिका दहन होगा और ठीक आठ दिन पहले से होलाष्टक लग जाएंगे. होलिका दहन का पर्व बुराई के समाप्त होने और अच्छाई के सदैव सुरक्षित रहने का पर्व है. इस साल होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 17 मार्च 2022, गुरुवार की रात को किया जाएगा. इसके लिए शुभ मुहूर्त रात 09:20 बजे से रात 10:31 बजे तक ही यानी कि करीब सवा घंटे तक ही रहेगा. इसके साथ ही जरूरी है कि होलिका दहन में लकड़ियों के चुनाव में सावधानी बरती जाए.
इन पेड़ों का कर सकते हैं इस्तेमाल
दरअसल जानकारी के आभाव में कई बार लोग हरे भरे पेड़ का इस्तेमाल होलिका दहन में करते हैं. जबकि होलिका दहन में एरंड और गूलर के पेड़ की लकड़ियों का ही इस्तेमाल करना चाहिए. ऐसे तो गूलर के पेड़ का का भी सनतान धर्म में धार्मिक महत्व है लेकिन इस मौसम में गूलर के पेड़ की पत्तियां झड़ने लगती हैं. ऐसे में अगर इन वृक्षों की टहनियों को न जलाया जाए तो इसमें कीड़े लगने लगते हैं.
गाय के गोबर के कंडे शुभ
होलिका दहन में गाय के गोबर के कंडों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. इसके साथ ही खरपतवार को भी होलिका दहन में जलाया जा सकता है. आप सिर्फ आय के गोबर के कंडों से भी होलिका दहन कर सकते हैं. गाय का गोबर पूजा-पाठ में विशेष तौर पर काम में लाया जाता है. यह अत्यंत शुभ होता है. ऐसे में होलिका दहन में गाय के गोबर का इस्तेमाल, इससे बने कंडों का प्रयोग जरूर कर सकते हैं.
इन पेड़ों का न करें इस्तेमाल
होलिका दहन में पीपल के पेड़, शमी का वृक्ष, आम के पेड़, आंवले के पेड़, नीम के पेड़, केले के पेड़, अशोक के पेड़ और बेल के पेड़ या फिर इनकी लकड़ियों का बिल्कुल भी प्रयोग न करें. इन पेड़ों का सनातन परंपरा में विशेष महत्व है इसलिए होलिका दहन में इन पेड़ों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.