Monday, May 6, 2024
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BCC News 24: CG न्यूज़- भ्रष्टाचार में फंसे बिलासपुर निगम के EE.. ट्रांसपोर्टर की शिकायत- पत्नी व रिश्तेदारों के नाम फार्म हाउस, मकान-दुकान सहित अरबों की संपत्ति; ACB ने शुरू की जांच

छत्तीसगढ़: बिलासपुर नगर निगम में पदस्थ कार्यपालन अभियंता (EE) पीके पंचायती आय से अधिक संपत्ति के मामले में ACB की राडार पर आ गए हैं। भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद ACB ने जांच शुरू कर दी है। कार्यपालन अभियंता पंचायती के खिलाफ शहर के ट्रांसपोर्टर ने शिकायत की है। इसमें अफसर की पत्नी, मां और अन्य रिश्तेदारों के नाम से खरीदी गई फार्म हाउस, प्लाट, मकान, दुकान की जानकारी देते हुए दस्तावेज भी सौंपे हैं।

ACB को सौंपे दस्तावेजों में बताया गया है कि 57 साल के पीके पंचायती नगर निगम के कार्यपालन अभियंता के पद पर कार्यरत हैं। उनकी पहली नियुक्ति नगर निगम में 10 फरवरी 1986 सब इंजीनियर के पद पर हुई थी। इसके बाद 10 जून 1990 को असिस्टेंट इंजीनियर बने। फिर 20 मार्च 2002 को गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में तीन साल प्रतिनियुक्ति पर रहे। 24 फरवरी 2017 को कार्यपालन अभियंता के पद पर नगर पालिका निगम में वापस आ गए।

वर्तमान में प्रभारी अधिकारी अमृत मिशन के साथ IHSDP आवास , विभिन्न योजनाओं के नोडल अधिकारी, स्मार्ट सीटी के मैनेजर जैसी जिम्मेदारियां संभाल रहे हैं। आरोप है कि 35 साल की सेवा में सभी मलाईदार पद पर रहते हुए विभाग में भ्रष्टाचार कर अरबों रुपए की चल-अचल संपत्ति अर्जित की है। ऐसे में दस्तावेजों के आधार पर उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1968 की 13 ( 1 ) वी , 13 ( 2 ) के तहत केस दर्ज करने की मांग की है।

हर एक जमीन का दिया है राजस्व रिकार्ड
शिकायतकर्ता ने EE पीके पंचायती और उनसे संबंधित रिश्तेदारों के मकान, फार्म हाउस, जमीन, प्लाट, दुकान और आवासीय कॉम्प्लेक्स का पूरा राजस्व रिकार्ड एकत्र किया है। इसमें बाकायदा एक-एक जमीन का खसरा नंबर भी प्रस्तुत किया है।आरोप है कि उन्होंने अपनी पत्नी व मां के नाम पर शहर में मकान, फार्म हाउस, दुकान और प्लाट के साथ ही जमीन भी खरीदी है। बिलासपुर के साथ ही रायपुर और इंदौर की भी संपत्ति का ब्यौरा प्रस्तुत किया गया है।

विभाग से अनुमति लेने के बाद हो सकेगी जांच
ACB या CBI की एंटी करप्शन विंग सामान्य तौर पर तीन तरह से कार्रवाई करती है। पहला शिकायत पर सीधे किसी अफसर को रंगे हाथों रिश्वत लेते ट्रैप करना, दूसरा किसी शिकायत पर आरोपों की पुष्टि कर गोपनीय तरीके से दस्तावेज तैयार कर और तीसरा किसी केस में शिकायत पर परिवाद दर्ज कर उसकी जांच करना शामिल है। संशोधित कानून के तहत अब ACB सिर्फ सीधे ट्रैप करने की कार्रवाई कर सकती है। जबकि अन्य कार्रवाई करने से पहले ACB को संबंधित विभागों की स्वीकृति लेना जरूरी है।

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