गरियाबंद: डिजिटल इंडिया का दौर है… ये टैग लाइन आपने अक्सर सुनी होगी। ऊपर लिखा स्लग भी आपको चौंका रहा होगा, लेकिन छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले की यह असलियत है। सरकार ने तमाम योजनाएं बना दीं। उसे हासिल करने के लिए तमाम तरह के कार्ड भी जारी कर रही है। पर इन कार्ड को बनाने यानी योजनाओं का फायदा उठाने के लिए इंटरनेट चाहिए, जो कि जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं है। ऐसे में आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए कर्मचारियों को पेड़ पर ही कैंप लगाना पड़ा है।
दरअसल, यह सारा मामला है आदिवासी विकासखंड मैनपुर से 16 किमी दूर स्थित ग्राम पंचायत छोटे गोबरा के आश्रित ग्राम बड़े गोबरा का। यहां प्रशासन की ओर से आयुष्मान कार्ड बनाए जा रहे हैं। कर्मचारी कार्ड बनाने के लिए लैपटॉप व अन्य उपकरण लेकर गांव पहुंचे, लेकिन कहीं सिग्नल ही नहीं मिल रहा था। ऐसे में सिग्नल की तलाश करते हुए गांव से करीब 2 किमी दूर जंगल में आ गए। वहां सड़क किनारे सिग्नल मिला तो पेड़ पर कैंप लगा दिया।
कर्मचारी बोले-जहां अच्छा नेटवर्क आता है, वहीं कैप लगाकर ग्रामीणों का आयुष्मान कार्ड बनाना पड़ रहा है।
कर्मचारी बोले- जहां इंटरनेट मिलता है, वहीं कैंप लगा लेते हैं
फिलहाल पेड़ पर गांव वालों के कार्ड बनाने का काम चल रहा है। आयुष्मान कार्ड बनाने पहुंचे कर्मचारी डोमेश पटेल, लक्ष्मण ठाकुर और शिक्षक दामोदर नेगी ने बताया कि गोबरा में इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं होने के कारण भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। इसलिए जहां अच्छा नेटवर्क आता है, वहीं कैप लगाकर ग्रामीणों का आयुष्मान कार्ड बनाना पड़ रहा है। अब नेटवर्क फिर गया तो तलाश करते-करते जंगल में आकर इस पेड़ के ऊपर मिला।
80% एरिया में इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं
मैनपुर से 16 किमी दूर वनांचल क्षेत्र गोबरा के ग्रामीण लंबे समय से मोबाइल टावर लगाने की मांग कर रह है, लेकिन आज तक लग नहीं सका है। इसके कारण नेटवर्क की समस्या बनी रहती है। ग्रामीणों का कहना है कि हमारे पास मोबाइल तो है, लेकिन उसमें नेटवर्क नहीं हैं। आज के युग में इंटरनेट कनेक्टिविटी बहुत जरूरी है। पंचायत में लगभग 80 प्रतिशत एरिया ऐसा है, जहां पर इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं है।