Thursday, October 23, 2025

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा- भारत-अमेरिका के बीच कोई कट्टी नहीं, ट्रेड पर बातचीत जारी है; रूसी तेल बेचने पर कहा- जिन्हें दिक्कत, वो नहीं लें, हम मजबूर नहीं करते

नई दिल्ली: विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि अभी भी भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड को लेकर बातचीत जारी है और उनके बीच कोई ‘कट्टी (झगड़ा)’ नहीं हुआ है।

नई दिल्ली में आयोजित इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फोरम 2025 में शनिवार को बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत किसानों और छोटे उत्पादकों के हितों को ध्यान में रखकर फैसले ले रहा है।

रूसी तेल खरीद पर उन्होंने कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय हित को देखते हुए ही फैसले लेगा। उन्होंने रूसी तेल को ऊंचे दाम पर बेचने के आरोप पर कहा कि अगर किसी देश को भारत से तेल खरीदने में समस्या है तो वे इसे न खरीदे। भारत किसी भी देश को इसके लिए मजबूर नहीं कर रहा।

टैरिफ विवाद पर बोलते हुए जयशंकर ने तीन मुद्दों पर बात की जिनमें व्यापार, रूसी तेल खरीद और भारत-पाक के बीच मध्यस्थता शामिल है ​​​​​​।

जयशंकर बोले- पाकिस्तान को लेकर मध्यस्थता स्वीकार नहीं करते

जयशंकर ने भारत-पाक संघर्ष के मुद्दे पर कहा कि हम पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों में मध्यस्थता स्वीकार नहीं करते हैं।

उन्होंने कहा- मध्यस्थता के विरोध की बात आती है, तो हम बहुत स्पष्ट हैं। दरअसल, ट्रम्प मई में हुए भारत-पाक संघर्ष को लेकर कई बार सीजफायर कराने का दावा कर चुके हैं। हालांकि, इसे भारत हमेशा खारिज करते आया है।

जयशंकर ने कहा- जब कोई संघर्ष होता है, तो देश एक-दूसरे से बात करते हैं। अमेरिका और अन्य देशों ने भी फोन किए थे, यह कोई सीक्रेट नहीं है।

मेरे सभी फोन कॉल्स मेरे X अकाउंट पर हैं। जैसे मैंने इजराइल-ईरान या रूस-यूक्रेन संकट के दौरान फोन किए थे। आज के ग्लोबल रिश्तों में यह आम बात है। लेकिन यह कहना कि भारत-पाकिस्तान के बीच समझौता उनकी वजह से हुआ, गलत है।

अमेरिका, पाकिस्तान के साथ अपने पुराने रिश्ते भूल रहा है

जयशंकर ने आगे कहा कि अमेरिका, पाकिस्तान के साथ अपने पुराने रिश्तों को भूल रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि दुनिया का सबसे खतरनाक आतंकी लादेन 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद शहर में ही मिला था।

जयशंकर ने कहा- अमेरिका और पाकिस्तान का एक इतिहास है,और वे इसे बार-बार नजरअंदाज करते हैं। यह पहली बार नहीं है। कुछ देश सुविधा के लिए राजनीति करते हैं, जिसमें कुछ रणनीतिक फायदे हो सकते हैं।

जयशंकर ने कहा कि जब हम अमेरिका-पाकिस्तान रिश्तों को आगे बढ़ते हुए देखते हैं तो भारत इस बात पर ध्यान देता है कि अमेरिका के साथ उसके संबंध कितने मजबूत हैं और उन्हें प्रासंगिक बनाए रखने वाली बातें क्या हैं।

जयशंकर ने कहा कि उन्हें पूरी तरह पता है कि भारत क्या है, उसकी ताकतें क्या हैं और भारत-अमेरिका रिश्तों का महत्व और प्रासंगिकता कितनी है। यही सोच और आत्मविश्वास उनके रुख़ और प्रतिक्रिया को तय करता है।

ट्रम्प की विदेश नीति दूसरे राष्ट्रपतियों से अलग

ट्रम्प पर बात करते हुए जयशंकर ने कहा कि अब तक ऐसा कोई राष्ट्रपति नहीं हुआ जिसने विदेश नीति को ऐसे चलाया हो जैसे ट्रम्प चला रहे हैं।

जयशंकर ने इसे बड़ा बदलाव बताया जो सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रम्प का दुनिया के साथ व्यवहार करने का तरीका, यहां तक ​​कि अपने देश के साथ व्यवहार करने का तरीका, रूढ़िवादी तरीके से बहुत अलग है।

ट्रम्प के ट्रेड एडवाइजर ने भारत पर मुनाफाखोरी का आरोप लगाया था

इससे पहले ट्रम्प के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो ने भारत पर रूस से तेल खरीदकर मुनाफाखोरी का आरोप लगाया था।

नवारो ने गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए कहा था कि भारत सस्ते दाम पर रूस से कच्चा तेल खरीद रहा है, इंडियन कंपनियां उसे रिफाइन कर महंगे दाम पर दुनिया में बेच रही हैं। उन्होंने कहा कि इससे रूस को यूक्रेन जंग के लिए पैसा मिल रहा है, जबकि भारत मुनाफा कमा रहा है।

उन्होंने कहा कि भारत हमें सामान बेचकर उससे मिलने वाले पैसों से रूसी तेल खरीदता हैं, जिससे तेल कंपनियां खूब पैसा कमाती हैं। इसलिए भारत पर टैरिफ लगाना जरूरी है।

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि रूस-यूक्रेन जंग की शांति का रास्ता भारत से होकर ही जाता है।

रूसी तेल खरीदने से भारत पर एक्स्ट्रा 25% टैरिफ

ट्रम्प ने रूसी तेल खरीदने की वजह से भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, जो 27 अगस्त से लागू हो जाएगा।

इससे पहले ट्रम्प जुलाई में भारत पर 25% टैरिफ लगा चुके हैं, जिससे आने वाले दिनों में भारतीय सामान के आयात पर अमेरिका में 50% टैरिफ देना होगा।

भारत रूसी तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार

भारत, चीन के बाद रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है। यूक्रेन युद्ध से पहले भारत रूस से सिर्फ 0.2% (68 हजार बैरल प्रतिदिन) तेल इम्पोर्ट करता था। मई 2023 तक यह बढ़कर 45% (20 लाख बैरल प्रतिदिन) हो गया, जबकि 2025 में जनवरी से जुलाई तक भारत हर दिन रूस से 17.8 लाख बैरल तेल खरीद रहा है।

पिछले दो साल से भारत हर साल 130 अरब डॉलर (11.33 लाख करोड़ रुपए) से ज्यादा का रूसी तेल खरीद रहा है।



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