Wednesday, May 22, 2024
Homeछत्तीसगढ़कोरबाBCC News 24: BIG न्यूज़- पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी की पत्नी...

BCC News 24: BIG न्यूज़- पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी का इंटरव्यू.. एक बड़े अखबार को दिए साक्षात्कार में कहा- ‘इंदौर में दंगे हुए तो 3 दिन घर नहीं आए जोगी, राज्यसभा गए तो खाने के लाले पड़े’

छत्तीसगढ़/मध्यप्रदेश: इंदौर के पूर्व कलेक्टर और छत्तीसगढ़ के पहले सीएम रहे स्व. अजीत जोगी की पत्नी शनिवार को इंदौर आईं। उन्होंने बताया कि जोगी दंगों को लेकर बेहद सख्त मिजाज थे। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद इंदौर में हुए दंगे में 22 लोगों की मौत हुई थी। वे दंगों को नियंत्रित करने के लिए तीन दिन तक कंट्रोल रूम में ही रहे। जब तक हालात नियंत्रित नहीं हुए घर नहीं आए। रेणु जोगी ने अजीत जोगी के राजनीति में आने के उस खास किस्से का भी खुलासा किया, जिसके बाद अजीत जोगी इंदौर कलेक्टर रहते हुए सीधे राज्यसभा सांसद बनाए गए थे। पढ़िए खास बातचीत में उन्होंने क्या कहा...

अगर इंदौर शहर को कुछ हो जाता तो मैं भी जीवित नहीं रहता
  • रेणु ने बताया कि 1985 में इंदौर के वल्लभ नगर में एक पेट्रोलियम डिपो हुआ करता था, जहां एक दिन अचानक आग लग गई। उस समय जोगी शास्त्री ब्रिज से मीटिंग में कमिश्नर कार्यालय जा रहे थे, तभी उन्होंने धुआं निकलते हुए देखा और खुद ही पेट्रोलियम डिपो में लगी आग को काबू करने के लिए कूद गए। मैंने उनसे पूछा कि आप इतना रिस्क क्यों लेते हैं, ऐसे मैं आपकी जान भी जा सकती है। तब उन्होंने मुझसे कहा कि अगर इंदौर शहर को कुछ हो जाता तो मैं भी जीवित नहीं रहता, मुझे यह रिस्क लेनी ही थी।

लैंडलाइन फोन अपने पास रखकर सोते थे, इंदौर से बहुत प्यार था

  • इंदौर कलेक्टर रहते हुए दो से तीन बड़ी घटनाएं हुई थीं। इंदिरा जी का आकस्मिक निधन हुआ था। जिसके बाद जो भी दुर्घटना हुई उसमें दिल्ली और कानपुर के बाद सबसे ज्यादा करीब 22 लोगों की मौत इंदौर में हुई। वे तब तीन दिन तक ही घर नहीं आए कंट्रोल रूम में ही बैठे रहे। वह इंदौर से बहुत प्यार करते थे। उस समय मोबाइल नहीं हुआ करते थे जो वह लैंडलाइन को अपने बिस्तर के पास ही रखते थे। जबकि फोन सुनने के लिए अलग ही अर्दली हुआ करते थे।
अजित जोगी की खुद पर लिखी किताब 'सपनों का सौदागर' का विमोचन पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इंदौर में किया। ये किताब लिखने के बाद जोगी का निधन हो गया था। इसका विमोचन अभी तक नहीं हो सका था।

अजित जोगी की खुद पर लिखी किताब ‘सपनों का सौदागर’ का विमोचन पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इंदौर में किया। ये किताब लिखने के बाद जोगी का निधन हो गया था। इसका विमोचन अभी तक नहीं हो सका था।

राज्यसभा के लिए इमरजेंसी में बुलाया, मुझसे पूछा बताओ क्या करूं

  • 16 या 18 जून 1986 की बात है। हमारा इंदौर से जाने का सारा सामान पैक हो गया था। इनका देपालपुर व सांवेर में फेयरवेल चल रहा था। तब मेरे पास ही जॉर्ज और अर्जुन सिंह का फोन आया और कहा कि जोगी जी को जल्दी बुलाया है। मैंने सोचा विभाग से जुड़ा कोई काम होगा। जिसके बाद जोगी जी ने फोन लगाया कि आखिर इतनी इमरजेंसी में क्यों बुलाया जा रहा है तो पता चला कि राज्यसभा में भेजा जा रहा है। तब उन्होंने मुझसे पूछा बताओ क्या करूं।

दिग्विजय सिंह और कमिश्नर से पूछा तो बोले कोई सवाल ही नहीं बिल्कुल जाओ

  • राज्यसभा का बुलावा आया तब हमें जरा भी आइडिया नहीं था कि क्या होगा। सैलरी कितनी रहेगी, रहने का खाने का क्या होगा। साधारण परिवार से थे तो यह लगा था कि शायद सैलरी भी बढ़ेगी। उस समय बच्चों की पढ़ाई भी चल रही थी। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या करें, तब मैंने कहा कि आपकी इच्छा है तो मैं आप पर छोड़ देती हूं। आप जो भी निर्णय लेंगे, मैं आपके साथ हूं। फिर उन्होंने दिग्विजय सिंह और कमिश्नर से पूछा तो सभी ने बोला कोई सवाल ही नहीं हैं बिल्कुल जाओ।
रेणु जोगी ने अजीत जोगी के कॅरियर से जुड़े कई किस्से शेयर किए। उन्होंने इंदौर में हुए दंगों के दौरान कलेक्टर रहने से लेकर राज्यसभा जाने तक का सफर साझा किया।

रेणु जोगी ने अजीत जोगी के कॅरियर से जुड़े कई किस्से शेयर किए। उन्होंने इंदौर में हुए दंगों के दौरान कलेक्टर रहने से लेकर राज्यसभा जाने तक का सफर साझा किया।

दो हजार रुपए मिलते थे, कई बार खाने-पीने के भी लाले पड़ गए

  • सबको दूर से यह दिखता है कि राज्यसभा में बहुत ग्लैमर है। वहां जाकर मालूम पड़ा कि सिर्फ 2 हजार रुपए सैलरी है। राज्यसभा जाने के बाद कई बार तो खाने-पीने के लाले पड़ गए। मैं हर महीने जाकर राशन रख आती थी, क्योंकि मु़झे इंदौर में नौकरी करना भी जरूरी था। हां, सरकार की तरफ से एक कमरे में एसी लगा हुआ था। हम चारों लोग जब जाते थे गर्मी में तो वहीं एक कमरे में सोते थे। ऐसे में कोई मेहमान आ जाता तो उस कमरे में ही नीचे गद्दे लगाकर साथ ही सोते थे। बड़ा ही कष्ट का जीवन था, लेकिन अंत भला तो सब भला।

मुख्यमंत्री बनने पर आश्चर्य हुआ, दिग्विजय ने कहा था कि आप ही मुख्यमंत्री बनोगे

  • पहली बार जोगी मुख्यमंत्री बने तो बहुत ही आश्चर्य हुआ। क्योंकि यह तो विधायक थे ही नहीं। चुनाव हार गए थे, जिससे इन्हें भी दु:ख था कि मैं मुख्यमंत्री के लिए क्लेम नहीं कर सकता, लेकिन सोनिया गांधी, माधवराव सिंधिया, गुलाम नबी आजाद और दिग्विजय सिंह ने इन्हें आगे बढ़ाया और मुख्यमंत्री बनाया। दिग्विजय ने उन्हें छत्तीसगढ़ जब मप्र से अलग नहीं हुआ था तब एक बार प्लेन में कहा था कि यदि मप्र में कोई आदिवासी मुख्यमंत्री बना तो आप ही बनेंगे। तब शपथ ग्रहण के दौरान दिग्विजय ने इन्हें याद दिलाया कि मैंने कहा था न कि आप ही मुख्यमंत्री बनेंगे।

मैकेनिकल इंजीनियर, आईपीएस, आईएएस और फिर बने सांसद

  • अजीत जोगी मैकेनिकल इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट थे और उसके बाद वे आईपीएस बने। उनकी पहली पोस्टिंग इंदौर में एडिशनल एसपी के रूप में हुई थी। जिसके बाद वे इंदौर 1981 से 1985 तक कलेक्टर रहे। 1986 में कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा सांसद बनाया। उनकी पत्नी रेणु डॉक्टर हैं और इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज में नौकरी करती थी। वहीं, अजीत जोगी के बच्चों की पढ़ाई इंदौर में ही हुई। बच्चों ने स्कूली शिक्षा सेंट पॉल स्कूल में ली।
RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular