Tuesday, July 1, 2025

पाठ्य पुस्तक निगम के पूर्व GM एके चतुर्वेदी अरेस्ट.. रिश्तेदारों को 98 लाख बांटने का आरोप, तीन साल से फरार था अफसर

RAIPUR: रायपुर में पाठ्य पुस्तक निगम के GM रह चुके एक अधिकारी को गिरफ्तार किया गया है। आरोप हैं कि अफसर ने निगम में पद में रहते हुए करोड़ों के घपले किए। सूत्रों के अनुसार अधिकारी को ACB ने शुक्रवार सुबह पकड़ा। इसके कई दिनों से आंध्रप्रदेश में होने की जानकारी सामने आ रही थी। रायपुर में चतुर्वेदी का घर है। जानकारी के मुताबिक घर से ही टीम ने चतुर्वेदी को गिरफ्तार कर लिया ।

चतुर्वेदी के खिलाफ तीन साल पुरानी शिकायतें ACB में थीं। EOW में भी कुछ आर्थिक मामलों की शिकायत की गई हैं। कई कांग्रेस नेताओं ने इसके खिलाफ शिकायतें की थीं। चतुर्वेदी पर कुछ भाजपा नेताओं के करीबी होने और उनके इशारों पर काम करने के आरोप लगाए गए थे। हालांकि भाजपा नेता चतुर्वेदी से खुद को हमेशा अलग बताते रहे।

ये थे आरोप

तीन साल पहले 2020-21 में पाठ्य पुस्तक निगम बोर्ड में 6 करोड़ का टेंडर घोटाला सामने आया था। अफसरों ने स्कूलों में ग्रीन और मैग्नेटिक बोर्ड सप्लाई के लिए टेंडर निकाला, फिर जिस कंपनी को ठेका देना था उसके साथ सांठगांठ कर दो बड़ी कंपनियों के नाम से फर्जी टेंडर भर दिए। फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से बोर्ड के तत्कालीन जीएम अशोक चतुर्वेदी अपनी करीबी कंपनी को ठेका दिलवा दिया था।

जांच के बाद घोटाले का पर्दाफाश होने पर राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ईओडब्ल्यू ने जीएम और उसके करीबी कर्मियों और ठेका लेने वाली फर्म के जिम्मेदारों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में केस दर्ज किया था। ईओडब्ल्यू ने जीएम के अलावा ठेका लेने वाली फर्म के हितेश चौबे और फर्जीवाड़े में शामिल उनकी कंपनी के स्टाफ बृजेंद्र तिवारी और निगम की निविदा समिति के सदस्यों के खिलाफ भी अपराध पंजीबद्ध किया था। मामले की जांच चल रही थी।

अनुदान घर रिश्तेदारों को बांट दिया

चतुर्वेदी के खिलाफ ये जानकारी भी सामने आई कि पाठ्य पुस्तक निगम (पापुनि) में वर्ष 2017-18 और 2019 के दौरान स्वेच्छानुदान के नाम पर 98 लाख के गोलमाल का खुलासा किया गया। किसी को इलाज के नाम पर तो किसी को सामान खरीदने के लिए पैसे दे दिए। पैसे जिन्हें दिए गए, उनका न तो पापुनि से कोई संबंध है और न ही उन्होंने निगम के लिए कोई योगदान दिया है। इस मामले की शिकायतकर्ता विनोद तिवारी ने भी की थी। उन्होंने पापुनि के तत्कालीन जीएम अशोक चतुर्वेदी पर आरोप लगाते हुए शिकायत की थी कि उन्होंने अपने नाते-रिश्तेदारों और परिचितों के लिए इस राशि का उपयोग किया था। इसलिए पापुनि की ओर से चतुर्वेदी से ही इसकी पूरी वसूली की जानी चाहिए और उन्हें शासकीय सेवा से बर्खास्त किया जाना चाहिए।


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