Saturday, April 20, 2024
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BCC News 24: BIG न्यूज़- गुलाम नबी ने की मोदी की तारीफ.. बोले- मैं उन्हें कठोर समझता था, पर उनमें इंसानियत है; चौकीदार चोर है का नारा सिर्फ राहुल का

नईदिल्ली: कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद गुलाम नबी आजाद ने पीएम मोदी की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि मैं उन्हें बहुत कठोर आदमी समझता था, लेकिन उनमें इंसानियत तो है। मुझे लगता था कि उनकी बीवी नहीं है, बच्चे नहीं हैं तो उनको कोई परवाह नहीं होगी, लेकिन ऐसा नहीं है। आजाद ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी पर हमला भी बोला है। उन्होंने कहा कि इस संस्था का कोई मतलब नहीं रह गया है। चौकीदार चोर है का नारा सिर्फ राहुल गांधी का था। उसके समर्थन में कोई वरिष्ठ नेता नहीं आया था।

इस्तीफा देने के बाद से सोया नहीं हूं- आजाद
गुलाम नबी आजाद ने न्यूज एजेंसी को बताया, ‘इस्तीफे की चिठ्‌ठी लिखने के पहले और उसके बाद 6 दिन तक मैं सोया नहीं हूं। इस पार्टी को मैंने अपने खून से सींचा है। उसमें कहां-कहां से लोग आ गए है, जो किसी काम के नहीं हैं। कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा… वो हमसे मुकाबला कर रहे हैं। जिन्हें अपने घर का पता नहीं है और वो हमसे सवाल करते हैं।’

‘सोनिया गांधी के लिए मेरे मन में आज भी वही इज्जत है, जो 30 साल पहले थी। राहुल गांधी के लिए भी वही इज्जत है क्योंकि वे इंदिरा गांधी का परिवार हैं, राजीव-सोनिया के बेटे हैं। निजी तौर पर मैं उनके लंबे जीवन की कामना करता हूं। हमने उन्हें एक सफल नेता बनाने की कोशिश की, पर वे ही राजी नहीं हुए।’

मोदी तो सिर्फ बहाना हैं, कांग्रेस मुझसे चिढ़ी हुई थी
आजाद ने कहा कि उन पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने PM मोदी से नजदीकी के चलते कांग्रेस से इस्तीफा दिया है। वे बोले, ‘मोदी तो सिर्फ एक बहाना हैं, कांग्रेस लीडरशिप को मुझसे तब से परेशानी है जब से G23 ने पत्र लिखकर आला-कमान को सुझाव दिए थे। वे कभी नहीं चाहते थे कि कोई उन्हें पत्र लिखे, उनसे सवाल पूछे। तब से कई कांग्रेस मीटिंग हो चुकीं, लेकिन कभी कोई सुझाव नहीं माना गया।’

उन्होंने कहा, ‘मुझसे कहा जा रहा है कि मैं मोदी से मिला हुआ हूं, लेकिन मैं आपको बता दूं कि मोदी और भाजपा से वो मिले हैं, जिन्होंने उनका सपना पूरा किया है। ये बात तो खुद नरेंद्र मोदी ने भी कही थी कि राहुल गांधी उनके खिलाफ बयानबाजी करते हैं और फिर संसद में गले मिलकर कहते हैं कि हमारा दिल साफ है। तो आप बताइए कि वो लोग मोदी जी से मिले हैं कि मैं मिला हूं।’

सोनिया ने मुझ पर भरोसा किया, मैंने रिजल्ट दिया
NDTV के हवाले से आजाद ने कहा, ‘1998 से 2004 के बीच सोनिया गांधी वरिष्ठ नेताओं से राय लेती रहीं। वे उनकी सलाह मानती थीं और उनके पूछे बिना कोई फैसला नहीं लेती थीं। उन्होंने मुझे 8 राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी, मैंने उसमें से सात राज्यों में जीत दिलाई। उन्होंने मेरे काम में दखलंदाजी नहीं की।’

‘लेकिन जब राहुल गांधी आए, तो 2004 के बाद सोनिया गांधी वरिष्ठ नेताओं की बजाय राहुल गांधी की ही बात मानने लगीं। राहुल के पास राय देने का कोई अनुभव या कला नहीं है, फिर भी सोनिया गांधी चाहती थीं कि सभी नेता राहुल के हिसाब से काम करें।’

‘चौकीदार चोर है’ नारे ने कांग्रेस में डाली दरार
आजाद ने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और राहुल गांधी के बीच दरार तब साफ हुई, जब राहुल ने 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ‘चौकीदार चोर है’ का नारा दिया। किसी वरिष्ठ नेता ने इस नारे का समर्थन नहीं किया। राहुल ने पार्टी मीटिंग में पूछा था कि जिन्हें नारा अच्छा लगा वे हाथ ऊपर उठाएं। तब कई बड़े नेताओं ने इस नारे को लेकर असहमति दर्ज कराई थी। उस बैठक में मनमोहन सिंह, एके एंटनी और पी चिदंबरम भी थे।

बड़े नेताओं पर पर्सनल अटैक कहां तक सही?
आजाद ने कहा, ‘हमने अपनी राजनीतिक पढ़ाई इंदिरा गांधी के नेतृत्व में की है। जब मैं जूनियर नेता था, तो वे एमएल फोतेदार और मुझे कहा करती थीं कि हम अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिलते रहें। हमें सिखाया गया था कि हमें अपने से बड़ों की इज्जत करनी चाहिए और विपक्ष के नेताओं को उतना ही सम्मान देना चाहिए जितना अपनी पार्टी के नेताओं को देते हैं, लेकिन राहुल की पॉलिसी सिर्फ मोदी पर हमला करने की है। वे हर तरफ से मोदी पर हमलावर रहते हैं।’

आजाद ने कहा कि उनके मन में राहुल गांधी के प्रति कोई निजी द्वेष नहीं है। वे एक अच्छे इंसान हैं, लेकिन राजनीतिज्ञ के तौर पर उनमें वो बात नहीं है। उनमें हार्डवर्क करने की कुशलता नहीं है।

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