Friday, September 20, 2024




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GPM जिले की पंचायतों में 64.43 लाख रुपए से ज्यादा का गबन: 6 ग्राम पंचायतों के सचिव निलंबित; सरपंच, ऑपरेटर, सप्लायर, ठेकेदार सब पर FIR…

14वें वित्त आयोग की राशि में गबन का मामला सामने आने के बाद अब मरवाही जनपद की सभी 78 ग्राम पंचायतों का सार्वजनिक ऑडिट कराए जाने और जांच की मांग शुरू हो गई है।

​​​​​​​पेंड्रा/ छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले में मरवाही जनपद की पंचायतों को मिली 14वें वित्त आयोग की राशि में गबन कर लिया गया। विकास कार्यों के लिए आई राशि से काम हुए नहीं और फर्जी बिल के जरिए खाते से 64.43 लाख रुपए से ज्यादा निकाल लिए गए। मामला सामने आने के बाद 6 ग्राम पंचायतों के सचिव को निलंबित कर दिया गया है। वहीं जिला पंचायत CEO ने सचिव सहित सभी पंचायतों के सरपंच, डाटा ऑपरेटर, सप्लायर और ठेकेदार पर FIR के लिए मरवाही थाने में आवेदन दिया है।

बिलासपुर जिला पंचायत CEO हरीश एस की ओर से दी गई 6 अलग-अलग FIR में तिलगांव पंचायत सचिव गुलाब सिंह, डाटा एंट्री ऑपरेटर अजित मरकाम, बदरौड़ी के सरपंच आनंद सिंह ओट्‌टी, मालाडाड सरपंच सोनू सिंह आर्मो, सिवन के पंचायत सचिव भुनेश्वर सिंह ओट्‌टी, सरपंच लखन सिंह कंवर, पोंड़ी सचिव हरिलाल केवट, सरपंच डोम बाई मराबी, उषाढ़ सचिव गया प्रसाद, सरपंच अर्जुन सिंह मरकाम, पथर्रा सचिव मूल विजय सिंह, सरपंच रामचरण मार्को, दरमोही सरपंच बिमला बाई और मटेरियल सप्लायर अर्जुन सिंह व मेसर्स तिपान कंप्यूटर का नाम शामिल है।

बिना काम कराए, रेत, सीमेंट, गिट्‌टी के बनवाए फर्जी बिल

इन सभी पर आरोप है कि बिना ग्राम पंचायत में विकास कार्य कराए फर्जी बिल बनवाया गया। मटेरियल सप्लायर अर्जुन सिंह से रेत, सीमेंट, गिट्‌टी के सप्लायर से बिना सामान लिए ही बिल तैयार कराया गया। इसका बिल लगाकर खातों में आई 14वें वित्त की राशि से रुपए प्राप्त किए गए। ऐसे ही मेसर्स तिपान कंप्यूटर को भुगतान किए जाने का तो पंजीयक में दर्ज है, लेकिन पंचायत के पास रिकार्ड नहीं उपलब्ध है। जबकि इन कार्यों के लिए टेंडर निकाल कर सामग्री खरीदने का प्रावधान है, पर ऐसा नहीं किया गया।

पंचायत के प्रस्ताव के बिना बैंक खातों से निकाले गए रुपए
जांच में यह भी सामने आया कि आरोपियों ने पंचायत में विकास कार्यों का प्रस्ताव लेकर ही नहीं आए। बिना प्रस्ताव के ही बैंक खातों से फर्जी बिल के जरिए भुगतान प्राप्त कर लिया। आरोप है कि डाटा ऑपरेटर ने इसके लिए कई स्थानों पर फर्जी तरीके से बिल भुगतान करना भी दिखाया था। सरपंच और सचिव ने ऑपरेटर से सांठ-गांठ कर डीएससी के माध्यम से इन रुपयों को खाते से निकाल लिया। विकास कार्यों में स्ट्रीट लाइट और सड़क निर्माण कार्य तक शामिल हैं। यह घोटाले सितंबर 2020 से दिसंबर 2020 के बीच के हैं।

मरवाही की सभी 78 ग्राम पंचायतों के ऑडिट कराए जाने की मांग
14वें वित्त आयोग की राशि में गबन का मामला सामने आने के बाद अब मरवाही जनपद की सभी 78 ग्राम पंचायतों का सार्वजनिक ऑडिट कराए जाने और जांच की मांग शुरू हो गई है। इस मामले में मरवाही जनपद के तत्कालीन CEO की भूमिका भी संदेह के घेरे में हैं। इससे पहले बिलासपुर की मस्तुरी जनपद पंचायत में भी इस तरह के गबन का मामला सामने आया था। जिसमें पंचायत सचिव के फर्जी हस्ताक्षर से 7.29 लाख रुपए की राशि निकाली गई थी। इस मामले में मस्तुरी के पूर्व CEO सहित 6 के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई थी।

कांग्रेस नेताओं ने की थी गबन की शिकायत

मरवाही जनपद पंचायत अध्यक्ष प्रताप मराबी और उपाध्यक्ष अजय राय ने आरोप लगाते हुए करीब एक माह पहले शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें कहा गया था कि साल 2020 में अधिकांश गांवों में शासन की ओर से प्राप्त 14वें वित्त की राशि से 20 – 20 लाख रुपए की बंदरबांट की गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब कुछ सरपंच और सचिव की सांठगांठ के चलते हुआ है। फर्जी तरीके से दुकानों, फर्म और निजी लोगों को भुगतान कर हर ग्राम पंचायत में लाखों रुपए के घोटाले को अंजाम दिया गया। इसकी शिकायत जिला पंचायत, कलेक्टर और राज्य शासन से की गई थी। 

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