अहमदाबाद: गुजरात के वडोदरा जिले में महिसागर नदी पर बने पुराने पुल के ढहने से मरने वालों की संख्या बढ़कर 19 हो गई है। शुक्रवार को एक घायल शख्स की अस्पताल में मौत हो गई। दो लोग अभी भी लापता हैं। NDRF और SDRF का सर्च ऑपरेशन जारी है।
वडोदरा कलेक्टर अनिल धमेलिया ने कहा कि नदी में गिरे एक टैंकर में सल्फ्यूरिक एसिड भरा था। ऐसे में पता लगाया जा रहा है कि उसमें से कोई रिसाव न हो। वहीं पानी सोडा ऐश (सोडियम कार्बोनेट) होने के कारण रेस्क्यू टीम को जलन और खुजली हो रही है।
हादसे में एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत हो गई है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने पुल ढहने के सिलसिले में राज्य के सड़क एवं भवन विभाग के चार इंजीनियरों को निलंबित कर दिया है।
शुरूआती जांच में पाया गया कि पुल की नींव और जोड़ कमजोर हो चुके थे, जिससे यह हादसा हुआ। जांच समिति 30 दिन में पूरी रिपोर्ट देगी।
महिसागर नदी पर बना ब्रिज बुधवार सुबह टूट गया था। चलते ट्रैफिक के बीच पुल टूट जाने से दो ट्रक, दो कार और एक रिक्शा नदी में गिर गए थे। एक टैंकर टूटे सिरे पर फंस गया था।
45 साल पुराना यह ब्रिज दक्षिण गुजरात को सौराष्ट्र से जोड़ता था। इसके टूटने से भरूच, सूरत, नवसारी, तापी और वलसाड से सौराष्ट्र पहुंचना मुश्किल हो गया है। अब इसके लिए अहमदाबाद होकर जाना होगा।
5 तस्वीरों में टूटा पुल और नदी में गिरी गाड़ियां

वडोदरा जिले में महिसागर नदी पर बने पुल का एक बड़ा हिस्सा बुधवार सुबह गिर गया था।

ब्रिज पर ट्रैफिक चल रहा था। इसके टूटने से 2 ट्रक, 2 कारें और एक ई-रिक्शा नदी में गिर गया था।

पुल टूटने के बाद एक टैंकर टूटे सिरे पर अटक गया था।

नदी मे गिरी 5 गाड़ियों में फंसे लोगों को रस्सियों के सहारे निकाला गया था।

हादसे के बाद नदी में गिरी महिला, जिसे रस्सियों के सहारे रेस्क्यू किया गया था।
अब रेस्क्यू ऑपरेशन की 3 तस्वीरें..

स्थानीय लोगों ने गाड़ियों को नदी से बाहर निकालकर लोगों का रेस्क्यू किया था।

स्थानीय लोगों ने SDRF की सहायता से घायलों को नदी से रेस्क्यू किया।

ब्रिज टूटने के बाद आस-पास के लोग मौके पर पहुंचे और रेस्क्यू ऑपरेशन में SDRF की हेल्प की।
2015 में पुल की बेयरिंग बदलनी पड़ी थी
गंभीरा पुल का निर्माण 1981-82 में उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम ने किया था। जानकारी के मुताबिक 2015 में भी गंभीरा पुल जर्जर पाया गया था। उस समय सरकार ने इसका निरीक्षण करवाया था और बेयरिंग बदलनी पड़ी थी। यह स्थिति इसलिए बनी थी, क्योंकि पुल के निर्माण में अच्छी सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया गया था।
लोग बोले- शिकायत के बाद भी मरम्मत नहीं हुई
हादसे के बाद स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और लोगों को रेस्क्यू किया। एक स्थानीय युवक ने बताया, ‘हम सुबह से ही बचाव अभियान चला रहे हैं। अब तक 13 शव बरामद हुए हैं, जिनमें से एक बच्चा है और एक बच्चा लापता है। इस दौरान हमें प्रशासन और अधिकारियों से कोई मदद नहीं मिली है।’
इनका कहना है कि 45 साल पुराने इस पुल की मरम्मत के लिए प्रशासन को कई बार सूचित किया जा चुका है। प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई न किए जाने के कारण आज यह हादसा हुआ है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस हादसे के लिए पूरी तरह से प्रशासन ही जिम्मेदार है।
हादसे में बचे लोगों ने बताई आंखो-देखी…
- बाइक के साथ मैं और मेरा दोस्त नदी में गिरे: हादसे में घायल राजूभाई अथिया ने बताया, “मैं और मेरा दोस्त द्वारका से अंकलेश्वर जा रहे थे। हम पुल पर थे तभी वह अचानक ढह गया और हम बाइक समेत नदी में गिर गए। मैं पानी से बाहर निकला और एक गाड़ी के ऊपर चढ़कर बैठ गया। मेरा दोस्त लापता है। थोड़ी देर बाद लोग नाव लेकर मदद के लिए आए।”

राजूभाई दुदाभाई अथिया वडोदरा के सयाजी राव अस्पताल में भर्ती हैं। उनका दोस्त लापता है।
- बाइक पंक्चर होने से जान बची: ब्रिज से गुजर रहे महेशभाई परमार (उम्र 23) भी इस घटना में बाल-बाल बच गए। महेश ने बताया, ‘हम दो दोस्त काम पर जा रहे थे। पुल के पास ही बाइक पंक्चर हो गई। पंक्चर ठीक करवाने के बाद हम ब्रिज पर जैसे ही पहुंचे, तभी अचानक पुल टूट गया। हम तीन-चार गाड़ियों के पीछे थे। देखा तो एक इको कार, एक पिकअप और एक ट्रक पुल से नीचे गिर गए थे। नीचे चीख-पुकार मची थी।’
- गाड़ियां गिरते ही ब्रेक लगाया: हादसे के चश्मदीद 25 साल के संजयभाई सोमाभाई चावड़ा ने दिव्य भास्कर को बताया कि हम तीन दोस्त बाइक से काम पर जा रहे थे। तभी अचानक मुझे ब्रेक लगाना पड़ा, क्योंकि पुल बीच में से टूट गया था। ब्रेक नहीं लगाते तो हम भी हादसे का शिकार हो गए थे।

संजयभाई सोमाभाई चावड़ा और उनके दोस्त। ये लोग हादसे में बाल-बाल बचे हैं।
- एक महिला डूबती दिखी, उसे बचाया: स्थानीय अतुल पढियार ने कहा कि हादसे की खबर मिलते ही मैं और मेरे एक साथी तुरंत रिक्शा लेकर वहां पहुंचे। हमने देखा कि लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे। एक महिला को डूबते देखा। हम फौरन नदी में पहुंचे और उन्हें बाहर निकाला, उनकी जान बच गई है। अतुल ने बताया कि दो-तीन ड्राइवरों के हाथ-पैर में चोटें आईं। उन्हें अस्पताल भेज दिया गया है। हमने और आसपास के कुछ लोगों ने सात-आठ लोगों को नदी से बाहर निकाला।

(Bureau Chief, Korba)