बिलासपुर: राजस्व न्यायालयों में भ्रष्टाचार और उनकी हड़ताल सहित अन्य मुद्दों को लेकर दायर वकीलों की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। सोमवार को चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद राज्य शासन के मुख्य सचिव, राजस्व सचिव, आपदा प्रबंधन और बिलासपुर कलेक्टर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
दरअसल, रायगढ़ तहसील न्यायालय में नायब तहसीलदार और कर्मचारियों के बीच वकीलों के साथ हुए विवाद के बाद प्रदेश भर के राजस्व अफसर और कर्मचारियों ने हड़ताल शुरू कर दी थी। आरोप है कि उनके दबाव में आकर राज्य शासन और पुलिस प्रशासन ने वकीलों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई कर दी और वकीलों के खिलाफ केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इस घटना के बाद वकीलों ने भी राजस्व अफसर और कर्मचारियों के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया है। इसके साथ ही वकील अमियकांत तिवारी भारत गुलाबानी ,प्रभात सक्सेना,अनिल तावड़कर सहित अन्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दायर कर दी है। सोमवार को चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी की डिवीजन बेंच ने याचिका पर सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किया है।
हड़ताल को बताया है अवैध, वकील बोले-तालाबंदी का नहीं है अधिकार
याचिका में वकीलों ने बताया है कि राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की नियुक्ति सिविल सेवा आचरण और निषेध अधिनियम के तहत की जाती है। ऐसे में लोक सेवकों को इसके दायरे में रहकर काम करना है। उन्हें हड़ताल कर तालाबंदी करने का अधिकार नहीं है। उनके इस हड़ताल को अवैधानिक बताते हुए वकीलों ने दोषियों के खिलाफ अनुशाासनात्मक कार्रवाई करने की मांग की है।
वकीलों ने लगाए भ्रष्टाचार के आरोप
वकीलों ने राजस्व अफसरों और कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि राजस्व न्यायालयों में आमजनता से छोटे-छोटे काम के लिए अवैध रूप से रुपयों की उगाही की जाती है। वकील लेकर जाने के बाद भी पक्षकारों से रुपए मांगे जाते हैं। रकम नहीं देने पर उनके काम को बेवजह उलझा दिया जाता है। ऐसे में वकीलों ने राजस्व न्यायालयों में पारदर्शिता लाने के लिए सख्त नियम बनाने की भी मांग की है।
