रायपुर: भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) को छत्तीसगढ़ समेत देश के चार राज्यों में हीरे के नए भंडार के संकेत मिले हैं। जिन स्थानों पर हीरे के प्रमाण मिले हैं, इनमें छत्तीसगढ़ में रायगढ़, मध्यप्रदेश में बरायथा, ओडिशा में पदमपुर-पाइकमाल-झारबंध और आंध्रप्रदेश के कनागनपल्ले-धर्मावरम इलाका शामिल है।
चारों स्थानों पर हीरे की मौजूदगी रिपोर्ट जल्द तैयार की जाएगी। टेस्टिंग रिपोर्ट के आधार पर यह भी पता लगाया जाएगा कि व्यावसायिक उत्खनन के लिए खदान उपयुक्त है या नहीं। इसके बाद खनन की प्रक्रिया शुरू होगी।
छत्तीसगढ़ के चार जिलों रायगढ़, गरियाबंद, महासमुंद और बस्तर में पहले ही हीरे और सोने की मौजूदगी के संकेत मिल चुके हैं। इसके बाद नबंवर 2019 में भूपेश सरकार ने केन्द्र की नवरत्न कंपनी एनएमडीसी के साथ मिलकर छत्तीसगढ़ में चारों जगह हीरे और सोने की खोज का अभियान शुरू किया।
इस रिपोर्ट के आधार पर जीएसआई ने इन स्थानों में सोने और हीरे का सर्वेक्षण शुरू कर दिया। दरअसल छत्तीसगढ़ में यहां भू-वैज्ञानिक संरचना को देखते हुए हीरा व यूरेनियम समेत 8 बहुमूल्य खनिजों की तलाश पिछले कुछ सालों से जारी है।
सबसे पहले डी-बीयर्स नामक कंपनी ने गरियाबंद इलाके में हीरे के व्यावसायिक उत्खनन के लिए एरियल सर्वे किया था। इसके बाद रियो टिंटो नाम की दूसरी कंपनी को इसका जिम्मा सौंपा गया था। दोनों कंपनियों के सर्वे के बाद ही जीएसआई ने यहां सर्वे शुरू किया और यहां खदान में बहुतायत में हीरे होने के प्रमाण मिले हैं।
300 मीटर गहराई पर मिश्रित धातु से निकाला जाता है साेना
सोना मिश्र धातु के रूप में मिलता है। आमतौर पर कैलेवराइट, सिल्वेनाइट, पेटजाइट और क्रेनराइट अयस्कों के रूप में यह पाया जाता है। 300 से 500 मीटर की गहराई से करीब 1 टन पत्थर निकाला जाता है। जीएसआई के मुताबिक एक टन गोल्ड ओर में 0.69 ग्राम शुद्ध सोना मिलता है। इसके अलावा इन इलाकों में सिल्वर और कॉपर भी अच्छी मात्रा मिलते हैं।
यहां हीरे की मौजूदगी
जीएसआई द्वारा उर्दना, तारापुर, जैमुरा, कोड़ातराई, रेंगाली, देवलसुरा, तेतला व आसपास के क्षेत्रों में किए गए सर्वे में पहले ही हीरे के मौजूदगी की जानकारी मिली है। जीएसआई इन इलाकों का हवाई सर्वे के साथ मैग्नेटिक सर्वे भी कर चुकी है।
देश का 28% प्रदेश में
खनिज विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक देश के कुल हीरा भंडार का 28.26 फीसदी हिस्सा छत्तीसगढ़ के भूगर्भ में है। भारत में कुल 46 लाख कैरेट हीरा भंडार की संभावना है, जबकि छत्तीसगढ़ में लगभग 13 लाख कैरेट हीरे की उम्मीद है।
अध्ययन… बड़े क्षेत्र में सोने की खान के आसार
जिओ-केमिकल अध्ययनों के मुताबिक महासमुंद जिले के बसना, चंद्रखुरी, बड़ाडोंगरी और जमनीडीह, शिशुपाल पहाड़ी क्षेत्र के लिमऊगुड़ा, जम्हारी, मल्दामाल, साजापाली और बसना क्षेत्र के चंदखुरी, कांदाडोंगरी, रूपापाली, धामन घुटकुरी, चपिया गांवों के नीचे किम्बरलाइट चट्टानों की मौजूदगी पाई है।
इस आधार पर एजेंसियों को इस क्षेत्र में हीरे और सोने की खान मिलने का अनुमान हैं। सर्वे इस साल के अंत तक पूरा होगा। सोने के लिए छत्तीसगढ़ के अलावा मध्य प्रदेश, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, लक्षदीप, राजस्थान में भी सर्वे हो रहा है।
प्रदेश में हीरा और सोना नहीं निकाल सके दशकों से
कानूनी उलझन में फंस गया हीरा
देश में गुणवत्ता के मामले में दूसरे नंबर यानी जैम कैटेगरी का हीरा छत्तीसगढ़ में गरियाबंद का है। तीन दशक पहले पायलीखंड, कोदोमाली, जांगड़ा, टेम्पल और बेहराडीह में 6 किंबरलाइट पाइप मिले थे।
बेहराडीह में ही 13 लाख कैरेट हीरा मिलने का अनुमान है। विशेषज्ञों के मुताबिक यहां खनन होने लगे तो सरकार को हजार करोड़ रुपए सालाना आय होने लगेगी। लेकिन राज्य बनने के बाद 22 साल से यह खदान कानूनी उलझन में है और एक कैरेट हीरा नहीं निकला। सिर्फ तस्करी की खबरें आती हैं।
सोनाखान के पूर्वेक्षण में 40 साल
इसी तरह लगभग 40 साल पहले यूएनडीपी -डीजीएम के सर्वे में बलौदाबाजार के बघमरा में सोने की खदान होने की पुष्टि हो चुकी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यहां 2700 किलो सोना मिलने का अनुमान है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इस खदान से पांच टन (लगभग 5000 किलो) सोना निकाला जा सकता है।
लगभग 40 साल तक अलग-अलग क्लीयरेंस में फंसी इस खदान को पिछले साल ही सरकार ने पूर्वेक्षण के लिए नीलाम किया, लेकिन अब तक यह शुरू नहीं हो सका है।