Monday, October 6, 2025

ईरान अपनी करेंसी से 4 जीरो हटाने जा रहा, अब 10,000 रियाल की कीमत सिर्फ 1 रियाल होगी, महंगाई की वजह से उठाया कदम, अभी 1 डॉलर = 11 लाख 50 हजार रियाल

तेहरान: ईरान अपनी करेंसी रियाल से 4 जीरो हटाने जा रहा है। आसान तरीके से समझे तो जल्द ही 10,000 रियाल की कीमत सिर्फ 1 रियाल होगी। इसे ईरानी संसद की मंजूरी मिल गई है। यह कदम बढ़ती महंगाई की वजह से उठाया गया है।

फिलहाल, इंटरनेशनल मार्केट में 1 डॉलर के वैल्यू 11.50 लाख रियाल पहुंच चुकी है। ये प्रस्ताव को कई साल से तैयार किया जा रहा था।

ईरानी संसद की आर्थिक समिति के प्रमुख शम्सोल्दीन हुसैन ने सरकारी टीवी को बताया कि ये बदलाव 2 साल बाद लागू होगा। बदलाव के बाद भी पुरानी रियाल करेंसी को तीन साल तक इस्तेमाल किया जा सकेगा।

ईरान में गरीबी दर 35% से ज्यादा बनी हुई है।

ईरान में गरीबी दर 35% से ज्यादा बनी हुई है।

मंहगाई से बचने के लिए ईरान ने उठाया कदम

यह कदम मुख्य रूप से मुद्रा के अवमूल्यन (devaluation) और उच्च मुद्रास्फीति (inflation) से निपटने के लिए उठाया गया है।

  • उच्च मुद्रास्फीति (मंहगाई): ईरान में पिछले कई वर्षों से मुद्रास्फीति 30-40% से ऊपर बनी हुई है। मई 2025 में यह 38.7% थी।
  • खरीदारी में बड़े नंबर का इस्तेमाल: रियाल की कीमत इतनी गिर चुकी है कि 1 अमेरिकी डॉलर के लिए लगभग 1,150,000 रियाल लगते हैं। इससे बिल, बैंक स्टेटमेंट और दैनिक खरीदारी में बड़े-बड़े नंबर्स (जैसे लाखों-करोड़ों) का इस्तेमाल होता है, जो जटिल है।
  • नोट छपाई की लागत कम करना: बड़े नोट छापने और हैंडल करने में ज्यादा खर्च होता है। छोटे नंबर्स से प्रिंटिंग और लॉजिस्टिक्स सस्ती हो जाएगी।
  • करेंसी मजबूत करना: यह कदम मुद्रा की कीमत बढ़ाने की कोशिश है। जिससे, दूसरे देशों की करेंसी के मुकाबले रियाल की हालात सुधरेगी। हालांकि, इसका सीधा असर ट्रेड पर पड़ सकता है।

रियाल में बदलाव से असर

  • लेन-देन को आसान बनाना: चार जीरो हटने से रियाल की इकाइयां छोटी हो जाएंगी। उदाहरण के लिए, अगर अभी कुछ खरीदने के लिए 10,00,000 रियाल चाहिए, तो सुधार के बाद वही चीज 100 रियाल में मिलेगी।
  • महंगाई पर कोई सीधा असर नहीं: यह सुधार केवल मुद्रा की इकाइयों को बदलता है, न कि उसका वास्तविक मूल्य। अगर महंगाई को नियंत्रित नहीं किया गया, तो रियाल का मूल्य कम होता रहेगा।
  • बैंकिंग और डिजिटल पेमेंट में सुविधा: कंप्यूटर और मोबाइल ऐप में बड़ी संख्या के कारण होने वाली जटिलताएं कम होंगी।
  • मनोवैज्ञानिक प्रभाव: छोटी संख्याओं से लोगों को मुद्रा का मूल्य समझने में सुविधा होगी, जिससे उनकी खरीदारी और वित्तीय योजना में आसानी हो सकती है। हालांकि ये केवल साइकोलॉजिकल असर है।
ईरान में मंहगाई दर 30-40% से ऊपर बनी हुई है। मई 2025 में यह 38.7% थी।

ईरान में मंहगाई दर 30-40% से ऊपर बनी हुई है। मई 2025 में यह 38.7% थी।

ईरान का दुनिया के साथ व्यापार और संबंध तनावपूर्ण

1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद से ही ईरान की अर्थव्यवस्था को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। महंगाई दर लगातार बढ़ रही है इसका मुख्य कारण रहा है आयात (इंपोर्ट) का ज्यादा होना और निर्यात (एक्सपोर्ट) का कम होना।

इससे रियाल की कीमत लगातार गिरती गई। 2023 में स्थिति इतनी खराब हुई कि महंगाई (मुद्रास्फीति) ने रियाल के अवमूल्यन (मूल्य में जानबूझकर की गई कमी) को भी पीछे छोड़ दिया। अवमूल्यन से देश की मुद्रा सस्ती हो जाती है, जिससे उसके उत्पाद विदेशी खरीदारों के लिए सस्ते होते हैं और निर्यात की मांग बढ़ती है।

अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों ने विदेशी मुद्रा की कमी को और गहरा दिया। ईरान का दुनिया के साथ व्यापार और संबंध तनावपूर्ण रहे। राजनीतिक अलगाव ने अर्थव्यवस्था को और कमजोर किया, जिससे रियाल का मूल्य और गिरा।

अमेरिका ने लगा रखा है प्रतिबंध

अमेरिका ने एटमी प्रोग्रामों और सुरक्षा कारणों से ईरान पर कई प्रतिबंध लगा रखे हैं। ट्रम्प प्रशासन ने ईरान के खिलाफ ‘मैक्सिमम प्रेशर’ नीति अपनाई, जिसमें तेल निर्यात, बैंकिंग, और शिपिंग पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए। साथ ही ईरानी तेल खरीदने वाली कंपनियों को भी दंडित किया।

अक्टूबर 2025 तक, यूएन सैंक्शन ने ईरान के हथियार कार्यक्रमों पर और प्रतिबंध बढ़ाए। इन पाबंदियों के कारण विदेशी बैंकिंग लेन-देन मुश्किल हो गया, डॉलर और यूरो जैसी विदेशी मुद्रा कम आई, आयात महंगा और सीमित हो गया। साथ ही निवेश और व्यापार प्रभावित हुए।

प्रतिबंधों से तेल निर्यात कम हुआ, मंहगाई बढ़ी

  • तेल निर्यात में कमी: ईरान का तेल निर्यात 1.4-1.7 मिलियन बैरल/दिन से घटकर 2025 में 1 मिलियन बैरल/दिन तक पहुंच गया। इससे राजस्व में $5-10 बिलियन की कमी आई।
  • विदेशी मुद्रा की कमी: SWIFT से बहिष्कार और बैंकों पर प्रतिबंधों ने विदेशी मुद्रा भंडार को सीमित किया, जो 2024 में $26 बिलियन था और 2025 में $34 बिलियन अनुमानित है, लेकिन उपयोग में बाधा है।
  • महंगाई: रियाल का मूल्य 2023-2025 में 14% और गिरा, महंगाई 90% तक पहुंची। चार जीरो हटाने का फैसला इसी का नतीजा है।
  • आयात बाधित: दवाएं, चिकित्सा उपकरण, और मशीनरी आयात में कमी से मानवीय संकट और औद्योगिक उत्पादन प्रभावित हुआ।
  • व्यापारिक रास्ते सीमित: ईरान अब मुख्य रूप से चीन (90% तेल निर्यात), तुर्की, यूएई, और इराक के साथ व्यापार करता है। यूरोप और अमेरिका से व्यापार लगभग शून्य है।

ईरान की इकोनॉमी तेल निर्यात पर निर्भर

2024 में ईरान का कुल निर्यात लगभग 22.18 बिलियन डॉलर था, जिसमें तेल और पैट्रोकैमिकल्स का बड़ा हिस्सा था, जबकि आयात 34.65 बिलियन डॉलर रहा, जिससे व्यापार घाटा 12.47 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया।

2025 में तेल निर्यात में कमी और प्रतिबंध के कारण यह घाटा और बढ़कर 15 बिलियन डॉलर तक बढ़ा है। मुख्य व्यापारिक साझेदारों में चीन (35% निर्यात), तुर्की, यूएई और इराक शामिल हैं। ईरान चीन को 90% तेल निर्यात करता है।

ईरान ने पड़ोसी देशों और यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के साथ व्यापार बढ़ाने की कोशिश की है, जैसे कि INSTC कॉरिडोर और चीन के साथ नए ट्रांजिट रूट्स। फिर भी, 2025 में जीडीपी वृद्धि केवल 0.3% रहने का अनुमान है। प्रतिबंध हटने या परमाणु समझौते की बहाली के बिना व्यापार और रियाल का मूल्य स्थिर करना मुश्किल रहेगा।

ईरान के पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा तेल भंडार है। देश की इकोनॉमी ऑयल पर काफी ज्यादा निर्भर करती है।

ईरान के पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा तेल भंडार है। देश की इकोनॉमी ऑयल पर काफी ज्यादा निर्भर करती है।

तुर्किये समेत 3 देश ऐसा कर चुके

  • वेनेजुएला- लगातार उच्च महंगाई और राजनीतिक-आर्थिक संकट के कारण वेनेजुएला ने कई बार अपनी करेंसी बोलिवर से जीरो हटाए। बावजूद इसके, महंगाई अभी भी बहुत ज्यादा है।
  • तुर्किये- 2005 में तुर्की ने पुराने करेंसी तुर्की लीरा से 6 शून्य हटा कर नया लीरा पेश किया। इसका मकसद लेन-देन आसान बनाना और मुद्रा की छवि सुधारना था।
  • ब्राजील- 1990 के दशक में अत्यधिक मुद्रास्फीति के बाद ब्राजील ने करेंसी क्रूजिएरो से नए क्रूजिएरो में शून्य हटाए।
  • जिम्बाब्वे- 2000 के दशक में चरम महंगाई के कारण जिम्बाब्वे ने कई बार करेंसी जिम्बाब्वे डॉलर में शून्य हटाया। उन्हें विदेशी मुद्रा का इस्तेमाल करना पड़ा।


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