Janjgir-Champa: छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की लापरवाही के चलते भगवत प्रसाद चंद्रा के खाते से बिना जानकारी के 16 बार में 1.33 लाख से अधिक रुपए निकाल लिए गए थे। इस मामले में राज्य उपभोक्ता फोरम ने बैंक को दोषी मानते हुए ग्राहक को 1लाख 33 हजार 890 रुपए 45 दिनों के अंदर भुगतान करने का फैसला सुनाया है।
इसके साथ ही मानसिक क्षतिपूर्ति के लिए 20 हजार और वाद व्यय के लिए 4000 रुपए भुगतान करने के आदेश दिए हैं। फोरम ने 27 जुलाई 2023 से भुगतान तिथि तक 6 प्रतिशत ब्याज (वार्षिक) की दर से पैसा लौटाने कहा है।
छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता फोरम।
यह है पूरा मामला
भारतीय स्टेट बैंक के डभरा शाखा के ग्राहक भगवत प्रसाद चंद्र ने पैसे कटने की शिकायत बैक में की थी। बैंक की सलाह पर पुलिस से शिकायत की गई, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिस पर पीड़ित ने जिला उपभोक्ता आयोग जांजगीर चांपा में शिकायत दर्ज कर क्षतिपूर्ति की मांग की थी।
बैंक ने पेश की थी यह दलील
जिला आयोग में प्रकरण पहुंचने के बाद स्टेट बैंक ने अपने बचाव में कहा था कि खाता धारक के खाते से उसका आधार नंबर और मोबाइल नंबर लिंक कराया गया था। अकाउंट होल्डर की राशि कस्टमर सर्विस सेंटर से मोबाइल का प्रयोग कर निकाला गया है। बैंक ने यह बताया कि जो मोबाइल नंबर है, वह खाता धारक के भाई का है।
हालांकि इस पूरे मामले में जिला आयोग ने यह पाया कि बैंक की लापरवाही के कारण भगवत प्रसाद के अकाउंट में किसी दूसरे का आधार और मोबाइल नंबर लिंक हो गया था। इसके उपयोग से उनके खाते से दूसरे व्यक्ति ने पैसा निकाल लिए। बैंक के सेवा में कमी के चलते पीड़ित के पक्ष में फैसला सुनाया था।
बैंक ने किया राज्य उपभोक्ता फोरम में अपील
इस फैसले पर एसबीआई बैंक ने राज्य उपभोक्ता फोरम में अपील की है कि इस प्रकरण में जस्टिस गौतम चौरड़िया और सदस्य प्रमोद कुमार वर्मा ने सुनवाई में यह पाया कि जिस आधार नम्बर को ग्राहक के खाते से लिंक बताया गया है, वही सही नहीं है।
पीड़ित ने बताया कि उसके आधार नम्बर और मोबाइल नम्बर कभी उसके बैक अकाउंट से नहीं जोड़ा गया। बैंक ने कहा कि अगर ग्राहक ने कभी भी बैंक को आधार कार्ड और मोबाइल नम्बर खाते से जोड़ने के लिए कहा है, तो बैंक को उस आवेदन को प्रकरण में प्रस्तुत किया जाना चाहिए था।
आयोग ने यह पाया कि इसके लिए बैंक जिम्मेदार है। इस प्रकार भारतीय स्टेट बैंक की अपील को खारिज कर जिला आयोग के पारित आदेश को यथावत रखा गया। जिसके अनुसार भारतीय स्टेट बैंक द्वारा परिवादी को 45 दिवस के अंदर सभी राशि का भुगतान करने कहा गया है।
(Bureau Chief, Korba)