टोक्यो: जापान में PM शिगेरू इशिबा ने 7 सितंबर 2025 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। अब उनकी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) पार्टी में 4 अक्टूबर को पार्टी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव है।
जापान में बहुमत वाली पार्टी का अध्यक्ष ही पीएम बनता है। ऐसे में यह चुनाव जो भी जीतेगा उसे संसद में वोटिंग के बाद PM बनाया जाएगा। पार्टी अध्यक्ष पद बनने की रेस में पांच उम्मीदवार हैं। लेकिन मुकाबला दो उम्मीदवारों के बीच ही है।
क्योडो न्यूज की तरफ से रविवार को किए गए सर्वे के मुताबिक, पूर्व आर्थिक सुरक्षा मंत्री साने ताकाइची 34.4% वोट के साथ सबसे आगे हैं। दूसरे नंबर पर कृषि मंत्री शिंजिरो कोइजुमी हैं, जिन्हें 29.3% लोगों का समर्थन मिला है।
अगर ताकाइची यह चुनाव जीतती हैं तो वह जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनेंगी। वहीं, कोइजुमी चुनाव जीतते हैं तो वे देश के सबसे युवा (45 साल) पीएम बनेंगे।
पांच दावेदार जो इशिबा की जगह लेंगे…
- साने ताकाइची- LDP की दक्षिणपंथी कंजर्वेटिव, अबे की करीबी। संविधान संशोधन, राष्ट्रीय सुरक्षा पर मुखर । 2024 इलेक्शन में रनर-अप। पहली महिला पीएम बनने की दावेदार। भारत को स्पेशल स्ट्रैटेजिक पार्टनर मानती हैं। क्वाड और इंडो-पैसिफिक में सहयोग बढ़ाने पर जोर।
- शिंजिरो कोइजुमी- पूर्व पीएम जुनिचिरो कोइजुमी के बेटे। युवा, मीडिया-फ्रेंडली, समलैंगिक विवाह, लिंग समानता पर उदार। 2024 इलेक्शन में तीसरे स्थान पर। सबसे युवा पीएम बनने की संभावना। भारत को ‘ग्लोबल पार्टनर’ मानते हैं। टेक और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर पर भारत से साझेदारी बढ़ाना चाहते हैं।
- योशिमासा हयाशी- कई कैबिनेट पदों पर काम करने का अनुभव। पार्टी में एकता और आर्थिक स्थिरता पर फोकस है। भारत को मजबूत पार्टनर मानते हैं। फ्री एंड ओपन इंडो-पेसिफिक में सहयोग बढ़ाना चाहते हैं।
- तोशिमित्सु मोटेगी- अर्थव्यवस्था, व्यापार विशेषज्ञ। ट्रम्प के साथ टैरिफ समझौता करने में खास भूमिका थी। G4 (जापान-भारत-जर्मनी-ब्राजील) में UNSC रिफॉर्म के लिए भारत का समर्थन। विदेश मंत्री के तौर पर भारत के साथ रक्षा, डिजिटल और जलवायु सहयोग बढ़ाया।
- ताकायुकी कोबायाशी- हार्वर्ड ग्रेजुएट। फाइनेंस मिनिस्ट्री में काम करने का अनुभव। क्वाड फ्रेमवर्क में भारत को महत्वपूर्ण मानते हैं, लेकिन स्पष्ट बयान कम। रक्षा और अर्थव्यवस्था में साझेदारी को बढ़ावा।
बहुमत नहीं मिलने पर दोबारा वोटिंग होती है
LDP के अध्यक्ष चुनाव में पार्टी के विधायक और सांसद के अलावा पार्टी मेंबर भी वोटिंग करते हैं। यदि पहले दौर में किसी को 51% वोट यानी स्पष्ट बहुमत न मिले, तो टॉप के दो उम्मीदवारों के बीच दूसरा दौर होता है।
पार्टी अध्यक्ष का चुनाव जीतने के बाद विजेता को संसद में पीएम के लिए नामित किया जाएगा। बहुमत हासिल करने के बाद वह पीएम पद की शपथ लेगा।
PM शिगेरू इशिबा ने इस्तीफा क्यों दिया
शिगेरू इशिबा सितंबर 2024 में पीएम बने थे। वे पार्टी में ‘आउटसाइडर’ थे, यानी उनका कोई गॉडफादर नहीं था। उन्होंने वादा किया था कि महंगाई और आर्थिक समस्याओं को ठीक करेंगे, लेकिन उनका समय मुश्किल भरा रहा।
1. चुनावी हार का झटका: अक्टूबर 2024 के निचले सदन (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव) चुनाव में LDP-कोमेइतो गठबंधन बहुमत हार गया। फिर जुलाई 2025 के ऊपरी सदन (हाउस ऑफ काउंसलर्स) चुनाव में भी बुरी हार हुई। पार्टी को 1955 के बाद पहली बार दोनों सदनों में बहुमत गंवाना पड़ा।
2. पार्टी का दबाव: हार के बाद पार्टी के अंदरूनी लोग इशिबा पर इस्तीफे का दबाव डालने लगे। इनका आरोप है कि इशिबा ‘बहुत उदार’ हैं, जबकि पार्टी को कंजर्वेटिव लीडर चाहिए। इशिबा ने 7 सितंबर 2025 को उन्होंने इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा- मैं पार्टी में फूट नहीं चाहता। अब नई पीढ़ी को मौका दूंगा।
शिंजो आबे की पार्टी कमजोर क्यों हो रही है?
जापान में शिंजो आबे सबसे लंबे समय (2006-07 और 2012-20) तक पीएम रहे । उनके ‘अबे नोमिक्स’ (आर्थिक सुधार) से जापान की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई, लेकिन 2020 में स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे दिया।
2022 में उनकी हत्या हो गई, जो पार्टी के लिए बड़ा झटका था। LDP अब कमजोर हो रही है, क्योंकि पार्टी के कई स्कैंडल्स उजागर हो रहे हैं।
- फंडिंग स्कैंडल (2023-24)- पार्टी के गुटों (फैक्शन्स) ने फंडरेजर इवेंट्स से लाखों येन (जापानी करेंसी) सीक्रेट अकाउंट में ट्रांसफर किए, जो कानून के खिलाफ था। इस मामले में 82 विधायक फंसे, जिनमें आबे गुट के कई मेंबर थे। इससे जनता का भरोसा कमजोर हुआ। 2022 में आबे की हत्या के बाद यूनिफिकेशन चर्च (एक विवादास्पद धार्मिक समूह) से LDP का लिंक भी सामने आए।
- चुनावी असफलता- 2024-25 के चुनावों में LDP को बुरी हार मिली। वोटर महंगाई, चावल की कीमत और कमजोर करेंसी से परेशान हैं। इससे युवा वोटर्स का रुझान दक्षिणपंथी पार्टियों की ओर हो रहा हैं, जो जापान फर्स्ट और एंटी-इमिग्रेशन जैसे नारे लगाती हैं।
- आंतरिक कलह- शिंजो आबे के बाद पार्टी में कई गुट बन गए हैं। अब पार्टी में कंजर्वेटिव और रिफॉर्मिस्ट (सुधारवादी) गुटों में झगड़ा है। सांसेइतो जैसी दक्षिणपंथी पार्टियां LDP के कंजर्वेटिव वोट में सेंधमारी कर रही हैं। फिलहाल LDP पहली बार अल्पमत सरकार चला रही है। विपक्ष मजबूत हो रहा है।

(Bureau Chief, Korba)