सुकमा: छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में माओवादियों ने एक गांव के उपसरपंच और शिक्षा दूत की डंडे से पीट-पीटकर हत्या कर दी है। इनपर पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाकर जन अदालत में सैकड़ों ग्रामीणों के सामने मौत की सजा दी। वारदात के बाद दोनों के शवों को गांव के नजदीक फेंक दिया है। बताया जा रहा है कि, कुछ दिन पहले नक्सलियों ने उपसरपंच और शिक्षा दूत समेत 10 ग्रामीणों का अपहरण किया था। 2 की हत्या के बाद अन्य 8 लोगों को धमकी देकर रिहा कर दिया है।
बुरकापाल गांव के उपसरपंच माड़वी गंगा, शिक्षा दूत सुक्का समेत 10 गांव वालों को नक्सली बंदूक के बल पर उठाकर ले गए थे। जिसके बाद माओवादियों ने 28 जून को ताड़मेटला गांव के जंगल में जन अदालत लगाई। इसमें सैकड़ों ग्रामीणों को बुलाया गया था। नक्सलियों ने बाकी 8 ग्रामीणों को धमकी दी है। पुलिस की मुखबिरी करने का अगर हमें पता चला तो इसका अंजाम बुरा होगा। इस वारदात के बाद नक्सलियों की दक्षिण बस्तर डिवीजन कमेटी ने प्रेस नोट जारी कर हत्या की जिम्मेदारी ली है।
समाज के लोगों ने की थी रिहाई की अपील
नक्सलियों ने जब सभी का अपहरण किया था तो उसके बाद समाज के लोग भी सामने आए थे। उन्होंने मीडिया के माध्यम से नक्सलियों से सभी को रिहा करने की अपील की थी।
इससे पहले मिल चुकी थी धमकी
सूत्रों की मानें तो इससे पहले नक्सलियों ने माड़वी को धमकी भी दी थी। ऐसा बताया जा रहा है कि, उसपर नक्सलियों ने पुलिस की मुखबिरी करने का आरोप लगा रहे हैं। हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। उपसरपंच के परिजन भी काफी परेशान हैं। उन्होंने ने भी रिहाई की मांग की है।
क्या होती है जनअदालत?
बस्तर में नक्सलियों की अपनी सरकार चलती है जिसे वे जनताना सरकार कहते हैं। जिसके तहत नक्सली जन अदालत लगाते हैं। इसमें इलाके के ग्रामीण भी मौजूद होते हैं। नक्सली जिसे अगवा करते हैं, उसे जनता के सामने खड़ा किया जाता है। नक्सली जनता से पूछते हैं इसका क्या किया जाए। अधिकांश मामलों में नक्सली हत्या करते हैं, अगर कोई छोटा मामला हो तो पिटाई कर चेतावनी देकर छोड़ देते हैं।