Saturday, July 12, 2025

कोरबा: बाढ़ में फंसे 17 लोगों को सुरक्षित बचाया गया, खेतों में काम करने गए थे नदी में 10 घंटे तक फंसे रहें

कोरबा: जिले में रविवार शाम को आई बाढ़ में फंसे 17 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है। पाली ब्लॉक के ग्राम ढुकुपथरा और पोंडी के लब्दापारा के ये ग्रामीण खेतों में काम करने गए थे।

भारी बारिश के कारण नदी में अचानक आई बाढ़ में ये लोग फंस गए। इनमें बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल थे। सूचना मिलते ही कलेक्टर अजीत वसंत के निर्देश पर बचाव अभियान शुरू किया गया।

पाली तहसीलदार सूर्य प्रकाश केशकर के नेतृत्व में राजस्व विभाग, पाली थाना, जिला आपदा प्रबंधन नगर सेना कोरबा और राज्य आपदा टीम बिलासपुर ने संयुक्त रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। रविवार शाम से शुरू हुआ यह ऑपरेशन सोमवार तड़के 3 बजे तक चला। ऑपरेशन के दौरान सभी 17 ग्रामीणों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।

सुरक्षित बचाए गए लोगों ने प्रशासन को दिया धन्यवाद

करीब 10 घंटे तक मौत से जूझने के बाद सुरक्षित लौटे ग्रामीणों के चेहरों पर राहत साफ झलक रही थी। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक ने प्रशासन की संयुक्त टीम को धन्यवाद देते हुए उनके कार्य की सराहना की।

उल्लेखनीय है कि जिला प्रशासन ने एक दिन पहले ही मीडिया और मुनादी के जरिए अलर्ट जारी किया था। नदी-नालों के किनारे रहने वालों को सतर्क रहने की सलाह दी गई थी। कोरबा और आसपास के जिलों में लगातार हो रही बारिश से नदियां और नाले उफान पर हैं। इससे जनजीवन प्रभावित हो रहा है।

युवक अपनी बाइक समेत फंस गया

युवक अपनी बाइक समेत फंस गया

लीलागर नदी में बहा युवक, बाइक नहीं बच सकी

बारिश का कहर यहीं नहीं थमा। सोमवार को हरदीबाजार से नेवसा की ओर लौट रहा ग्राम भेलवा डोंगरी निवासी 20 वर्षीय शंकर सिंह गोंड लीलागर नदी पार करते समय पुल के बीच पानी में फंस गया। नदी में तेज बहाव के कारण पुल से लगभग तीन फीट ऊपर तक पानी बह रहा था। युवक अपनी बाइक समेत फंस गया। आसपास के लोगों ने मदद कर उसे किसी तरह बाहर निकाला, लेकिन उसकी मोटरसाइकिल नदी में बह गई।

इस घटना का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि पुल से पानी का बहाव कितना तेज था। यह मार्ग बिलासपुर-सिपत को जोड़ने वाला मेन रास्ता है, जिस पर रोज़ाना हज़ारों लोग, स्कूली बच्चे और ग्रामीण आवागमन करते हैं।

पुल निर्माण अधूरा, हादसे का खतरा बना रहता है

पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा लीलागर नदी पर करीब 1 करोड़ 75 लाख रुपए की लागत से 60 मीटर लंबा नया पुल बनाया जाना था, लेकिन एक साल बीतने के बाद भी यह अधूरा पड़ा है। पुराना पुल हर बारिश में डूब जाता है, जिससे लोग जान जोखिम में डालकर नदी पार करते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि ठेकेदार की लापरवाही के कारण निर्माण कार्य में देरी हो रही है और हादसों की आशंका बनी रहती है।


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