Sunday, July 6, 2025

कोरबा : जिले में लिथियम के बाद अब होगी दुर्लभ खनिज यूरेनियम की खोज, जल्द शुरू हो सकता है सर्वेक्षण

कोरबा: बिजली और कोयला के लिए पहचाने जाने वाले कोरबा में अब यूरेनियम की खोज की जाएगी, कोरबा में पहले ही लिथियम का भंडार मिल चुका है। इसके बाद अब यहां यूरेनियम की संभावना तलाशी जा रही है। छत्तीसगढ़ शासन के खनिज साधन विभाग ने एक आदेश जारी किया है। जिसमें कोरबा के दार्शनिक स्थल कोसगाई के समीप गांव, धनगांव–गढतारा में यूरेनियम के लिए सर्वेक्षण की बात कही गई है। आने वाले पांच वर्षों के लिए परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय इस गांव में अनुसंधान करेगा। गांव के एक सीमित क्षेत्र को आरक्षित कर दिया गया है। जहां यूरेनियम के भंडार की तलाश शुरू की जाएगी। धनगांव–गढतारा को आने वाले पांच वर्ष की अवधि के लिए परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय को सौंपा गया है। जहां, वह अनुसंधान करेंगे। छत्तीसगढ़ के खनिज साधन विभाग के जारी आदेश के अनुसार इस गांव के पांच वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को आरक्षित किया गया है। जहां परमाणु खनिज रियायत नियम 2016 के तहत यूरेनियम, लिथियम और एसोसिएटेड मिनरल का पूर्वेक्षण कार्य किया जाएगा।

जल्द शुरू हो सकता है सर्वेक्षण

खनिज साधन विभाग के विशेष सचिव सुनील कुमार जैन द्वारा जारी आदेश के तहत गांव, धनगांव–गढ़तारा के पांच वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को आरक्षित किया गया है। जिस पर भारत सरकार के परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय को एक्सप्लोरेशन एजेंसी के रूप में अधिसूचित किया गया है। अब यही एजेंसी इस गांव को एक्सप्लोर करेगी और यहां यूरेनियम जैसे बेहद दुर्लभ खनिज की तलाश करेगी।

क्या है यूरेनियम

यूरेनियम का उपयोग सेना द्वारा परमाणु पनडुब्बियों और परमाणु हथियारों को शक्ति प्रदान करने के लिए किया जाता है। यूरेनियम का उपयोग परमाणु बिजली उत्पादन के लिए भी किया जा रहा है। दुनिया भर के ज्यादातर विकासशील देश जिसमें भारत भी शामिल है। वह अभी कोयला आधारित बिजली पर निर्भर हैं।लेकिन विकसित देश अब परमाणु पर आधारित बिजली के उत्पादन की तरफ बढ़ रहे हैं। इसके लिए यूरेनियम का उपयोग किया जाता है। यूरेनियम पृथ्वी पर पाए जाने वाला बेहद दुर्लभ खनिज पदार्थ है। एक किलो यूरेनियम की कीमत लगभग तीन करोड रुपये है।

लिथियम ब्लाक को पहले ही किया जा चुका है नीलाम

हाल ही में कोरबा जिले के कटघोरा में मौजूद लिथियम ब्लाक को नीलाम किया गया था। गांव घुचापुर और इसके आसपास के 250 हेक्टेयर क्षेत्र को लिथियम ब्लाक के तौर पर चिन्हित किया गया था।


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