Saturday, July 27, 2024
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कोरबा: इम्यूनोथेरेपी से चौथे स्टेज कैंसर का पूर्ण इलाज संभव – डॉ.रवि जैसवाल

  • इम्यूनोथेरेपी के साईड-इफैक्ट बहुत ही कम, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर करती कैंसर को समाप्त

कोरबा (BCC NEWS 24): इम्यूनोथेरेपी पद्धति से इलाज कर मरीज के चौथे स्टेज का कैंसर भी ठीक किया जाना अब पूर्ण रूप से संभव हो चुका है, इम्यूनोथेरेपी के साईड-इफैक्ट कीमोथेरेपी की अपेक्षा बहुत ही कम होते हैं, इस थेरेपी में मरीज को केवल इंजेक्शन लगाया जाता है, जिससे मरीज के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता इतनी बढ़ जाती है कि मरीज का शरीर ही कैंसर के सेल्स को मारकर कैंसर को समाप्त कर देते है। फेफडे के कैंसर, रेक्टल कैंसर, मुंॅह, बड़ी आंत, किडनी ब्लेडर आदि के कैंसर में इम्यूनोथेरेपी बहुत ही ज्यादा सक्सेजफुल है।

मध्य भारत के जाने माने कैंसर विशेषज्ञ तथा रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल रायपुर के कैंसर चिकित्सक डॉ.रवि जैसवाल ने उक्ताशय की जानकारी देते हुए बताया कि इम्यूनोथेरेपी कैंसर का लेटेस्ट व प्रभावी इलाज है, जो कीमोथेरेपी से होने वाले साईड-इफैक्ट से मरीज को बचाता है क्योंकि इस थेरेपी में कीमोथेरेपी की अपेक्षा साईड-इफैक्ट बहुत ही कम होते हैं, केवल कुछ ही मरीजों में सामान्य साईड-इफैक्ट हो सकते हैं। उन्हेने बताया कि इम्यूनोथेरेपी उन मरीजों के लिए हैं जिन पर यह थेरेपी प्रभावी रूप से काम कर सकती है, इसके लिए मरीज का ’’ मॉलीकुलर ’’ टेस्ट किया जाता है, यदि टेस्ट पॉजिटिव होता है तो उस मरीज का इलाज इम्यूनोथेरेपी से किया जाता है। डॉ.रवि जैसवाल ने बताया कि फेफडे के कैंसर, रेक्टल कैंसर, मुंॅह, बड़ी आंत, किडनी तथा ब्लेडर आदि के कैंसर में इम्यूनोथेरेपी बहुत ही ज्यादा सक्सेजफुल होती है।

सैकड़ों मरीजों का हो रहा इम्यूनोथेरेपी से इलाज

डॉ.रवि जैसवाल ने आगे बताया कि वर्तमान में रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल रायपुर में सैकड़ों मरीजों का इलाज इम्यूनोथेरेपी के द्वारा किया जा रहा है तथा बिना किसी खास साईड-इफैक्ट के वे कैंसर की जंग जीत रहे हैं। उन्होने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि मरीजों के चौथे स्टेज का कैंसर भी इस थेरेपी से ठीक किया जा रहा है।

कैंसर का रोग अब असाध्य नहीं

डॉ. रवि जैसवाल ने कहा कि कैंसर रोग अब असाध्य नहीं रह गया बल्कि यह पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है तथा मरीज पूर्ण रूप से सामान्य जीवन जी सकता है। उन्होने कहा कि कैंसर से घबराने की आवश्यकता अब नहीं है, जरूरी यह है कि मरीज का सही इलाज किया जाए तथा इलाज के प्रोटोकाल का पूर्ण रूप से पालन किया जाए।

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