कोरबा: जिले में प्रसव पीड़ा से जूझ रही मेरई गांव की आदिवासी महिला को समय पर सरकारी एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिल सकी, जिसके कारण घर पर ही उसका प्रसव कराया गया। हालत बिगड़ने पर महिला और नवजात को अस्पताल ले जाया गया। कुछ घंटे बाद कटघोरा सीएचसी में दोनों की मौत हो गई।
कोरबा में इन्हें मृत घोषित किया गया और पंचनामा की कार्रवाई के बाद शव का पोस्टमॉर्टम करवाकर परिजनों को सौंप दिया गया। पोड़ी उपरोड़ा सब डिवीजन के अंतर्गत आने वाले मेरई गांव की निवासी प्रमिला नेति के दो बच्चे हैं। उसके पहले से एक बेटी और एक बेटा है। अपने तीसरे बच्चे के लिए वो गर्भवती थी। मृतका के पति राज सिंह ने बताया कि शनिवार को प्रसव पीड़ा बढ़ने पर सरकारी एंबुलेंस को कॉल किया, लेकिन जवाब मिला कि सभी वाहन व्यस्त हैं।
समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण मां और बच्चे की मौत हुई।
ऐसे में गांव की ही मितानिन के जरिए घर पर प्रसव कराया गया। मां और बच्चे की हालत बिगड़ने पर 108 एंबुलेंस के माध्यम से दोनों को जटगा के स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। यहां जब हालत नहीं सुधरी, तो दोनों को कटघोरा सीएचसी लाया गया, जहां बच्चे को तो डॉक्टरों ने जांच के बाद मृत घोषित कर दिया। वहीं मां की भी थोड़ी ही देर के बाद मौत हो गई।
कोरबा जिला अस्पताल में कराया गया शव का पोस्टमॉर्टम।
जिला अस्पताल चौकी प्रभारी रविन्द्र कुमार जनार्दन ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में मृतका के परिजनों का बयान लिया है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने पर मौत के कारणों का पता चल सकेगा।इस मामले में 108 एंबुलेंस के जिला प्रभारी अमित कुमार ने बताया कि जच्चा-बच्चा को फोन करने पर पहले जटगा उपस्वास्थ्य केंद्र और फिर कटघोरा स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। जिला स्वास्थ्य अधिकारी एस एन केसरी ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है। बीएमओ को जांच के लिए कहा गया है। प्रसूता और बच्चे की मौत कब और कैसे हुई है, इसकी जांच की जा रही है।