Monday, October 20, 2025

KORBA : एकल शिक्षक से दो शिक्षिकाओं वाला बना आदर्श विद्यालय – प्राथमिक शाला बनबाँधा की बदलती तस्वीर

कोरबा (BCC NEWS 24): जिले के पाली विकासखंड के छोटे से ग्राम बनबाँधा में स्थित प्राथमिक शाला बनबाँधा आज शिक्षा के क्षेत्र में एक नई मिसाल पेश कर रही है। कभी यह विद्यालय एकल शिक्षकीय स्कूल था, जहाँ 63 बच्चों की शिक्षा की ज़िम्मेदारी केवल एक ही शिक्षिका पर थी। लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। छत्तीसगढ़ शासन की युक्तियुक्तकरण योजना के अंतर्गत यहाँ दूसरी शिक्षिका के रूप में श्रीमती उमा पाल की नियुक्ति हुई है। उन्होंने 5 जून 2025 को विद्यालय में पदभार ग्रहण किया। इससे पहले वे अन्य विद्यालय में पदस्थ थीं, और अब इस स्कूल में जुड़कर बच्चों की शिक्षा में नई ऊर्जा लेकर आई हैं।

विद्यालय की प्रधानपाठिका श्रीमती अंजली सोनकर बताती हैं कि पहले अकेले सभी कक्षाओं की पढ़ाई कराना काफी चुनौतीपूर्ण था। कई बार कुछ कक्षाएं पूरी तरह संचालित नहीं हो पाती थीं। परंतु अब दो शिक्षिकाओं की उपस्थिति से स्कूल में हर कक्षा की नियमित पढ़ाई हो रही है। बच्चों के चेहरों पर भी इस बदलाव की खुशी साफ झलकती है। कक्षा दो के श्लोक, कक्षा तीन की अंकिता और आँचल कहती हैं कि “नई मैडम के आने से अब हमें बहुत अच्छा लगता है। पहले कम पढ़ाई होती थी, अब रोज़ नई बातें सीखने मिलती हैं।” कक्षा चौथी के नमन खैरवार, सतवीर, और कक्षा पाँचवीं की नाजनी व शालिनी भी मुस्कुराते हुए बताते हैं, “अब दो मैडम हैं, हर दिन क्लास लगती है, हम सब खूब पढ़ते हैं और मिड-डे मील में स्वादिष्ट खाना भी मिलता है।

नवनियुक्त शिक्षिका उमा पाल का कहना है कि बच्चे अब उनसे घुलमिल गए हैं और वे पूरी लगन से पढ़ाई में जुट गए हैं। “मुझे यहाँ पढ़ाने में बहुत आनंद आ रहा है। बच्चे उत्साहित हैं और हर दिन कुछ नया सीखने की जिज्ञासा दिखाते हैं।” प्रधानपाठिका अंजली सोनकर गर्व से कहती हैं कि यह विद्यालय 1976 से संचालित है और अब यह अपने सुनहरे दौर की ओर लौट रहा है। दो शिक्षिकाओं के सहयोग से विद्यालय में न केवल शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ी है बल्कि बच्चों की उपस्थिति और सीखने का स्तर भी बेहतर हुआ है। युक्तियुक्तकरण योजना ने प्राथमिक शाला बनबाँधा जैसे छोटे स्कूल को नई दिशा दी है कृ जहाँ पहले संसाधनों की कमी थी, अब वहाँ उत्साह, सहयोग और समर्पण का माहौल है। यह कहानी इस बात का प्रमाण है कि सही योजना और समर्पित शिक्षकों के प्रयास से गाँव का हर बच्चा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकता है।



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