कोरबा: जिले में हसदेव दर्री डैम में मछली पकड़ने के लिए डाले गए जाल में 8 फीट लंबा अजगर फंस गया। रूमगरा से नहाने आए कुछ लोगों की नजर अचानक से जाल में फंसे अजगर पर पड़ी, तो वे डर के मारे नहर में उतरे ही नहीं। लोगों ने इस बात की सूचना स्नेक रेस्क्यू टीम को दी।
सूचना मिलते ही स्नेक रेस्क्यू टीम प्रमुख और वन विभाग के सदस्य जितेन्द्र सारथी अपनी टीम के साथ पहुंचे। उन्होंने जाल को बाहर निकाला और फिर उसे ब्लेड से काटकर अजगर को आजाद किया। वन विभाग के उच्च अधिकारियों को जानकारी देने के बाद अजगर को जंगल में छोड़ दिया गया। स्नेक कैचर जितेन्द्र सारथी ने बताया कि इससे पहले भी कई बार मछली पकड़ने के लिए जाल बिछाया जा चुका है, जिसमें फंसकर दूसरे जीवों की मौत तक हो जाती है।
स्नेक कैचर जितेंद्र सारथी।
हसदेव नदी कोरिया जिले की कैमूर की पहाड़ियों से निकलकर कोरबा, बिलासपुर जिलों में बहती हुई महानदी में मिल जाती है। इस नदी पर हजारों किसान अपने खेतों की सिंचाई के लिए आश्रित हैं। इस नदी में काफी मछलियां हैं, जिन्हें पकड़ने के लिए गांववाले और किसान जाल डालते हैं, लेकिन कभी-कभी इसमें मछलियों की जगह दूसरे जीव-जंतु फंस जाते हैं।
8 फीट का अजगर रेस्क्यू किया गया।
गरियाबंद में जाल में फंसी थी 4 आंखों वाली डेविल फिश
एक महीने पहले गरियाबंद जिले के ग्राम चिखली में किसान के जाल में 4 आंखों वाली डेविल फिश फंस गई थी। उसे देख किसान भी हैरान रह गया था। जब उसने जाल निकाला, तो उसमें से दुर्लभ ब्लैक टाइगर फिश निकली। ऐसी मछली इस इलाके में किसान नवल सिंह ने पहली बार देखी थी, जिसकी 4 आंखें हों और जो देखने में इतनी खतरनाक हो। इधर तिरंगा चौक पर इस दुर्लभ और खतरनाक दिखने वाली मछली को देखने के लिए भीड़ जुट गई। ये मछली गरियाबंद के पंटोरा की पैरी नदी में एक ग्रामीण को मिली।
4 आंखों वाली मछली।
ग्राम चिखली के किसान नवल सिंह 12 जनवरी को पैरी नदी में मछली पकड़ने के लिए गए थे। उन्होंने नदी में जाल डाला हुआ था। जब उन्होंने जाल को बाहर निकाला, तो उसमें अलग तरह की मछली फंसी हुई मिली। नवल ने बताया कि वो तुरंत मछली को लेकर अपने परिचित एल्डरमैन बाबा सोनी के पास गया। वहां एल्डरमैन मुकेश रामटेके समेत कई लोग जुट गए। मुकेश ने बताया कि इस किस्म की मछली को हमारे क्षेत्र में पहली बार देखा जा रहा है। गूगल पर सर्च करने पर पता चला कि इसे सकर माउथ कैटफिश कहते हैं। यह मछली भारत से हजारों किलोमीटर दूर दक्षिण अमेरिका की अमेजन नदी में पाई जाती है। इसे ब्लैक टाइगर फिश या ब्लैक टाइगर श्रृंप (झींगा) भी कहा जाता है।
मछुआरों के जाल में फंसा था 60 किलो वजनी कछुआ भी
जांजगीर-चांपा जिले के बिर्रा गांव के पास स्थित बसंतपुर बैराज में 60 किलो वजनी विशालकाय कछुआ मिला था। 3 जनवरी को ये कछुआ मछुआरों की जाल में फंस गया था। इस कछुए को देखने के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर पहुंच गए थे। पुलिस को भी मामले की सूचना मिली। जिसके बाद वो मौके पर पहुंची और कछुए को महानदी के गहरे पानी में छोड़ दिया गया।
जानकारी के अनुसार, बिर्रा थाना क्षेत्र के बसंतपुर गांव में स्थानीय मछुआरे अजय चौहान, धनीराम पटेल, सीताराम, लालू यादव, रोशन पटेल मंगलवार को मछली पकड़ने गए थे। उन्होंने बैराज में जाल डाला हुआ था। लेकिन जब उन्होंने जाल निकाला, तो उसमें से 60 किलो वजनी कछुआ निकला। कछुए को देखकर मछुआरे काफी खुश हो गए। इधर जैसे ही स्थानीय लोगों को इसकी जानकारी मिली, तो वे बड़ी संख्या में कछुए को देखने पहुंच गए। लोगों ने इसकी जानकारी तत्काल बिर्रा पुलिस को भी दी, जिसके बाद पुलिस ने वन विभाग के उच्च अधिकारियों से भी संपर्क किया और उनसे राय ली गई कि कछुए का क्या किया जाए।