- कहा- गृहस्थ जीवन में जीना सीखें भगवान शिव से
- मेहर वाटिका में नरसिंह अवतार, वामन अवतार, राम अवतार के साथ धूमधाम से मना श्री कृष्ण जन्मोत्सव
- कोरबा लोकसभा की सांसद ने लिया आशीर्वाद
कोरबा (BCC NEWS 24): ठण्डु राम परिवार (कादमा वाले) के द्वारा मेहर वाटिका में आयोजित हो रही कथा के चौथे दिन रविवार को व्यासपीठ से आचार्य अतुल कृष्ण भारद्वाज ने ज्ञान की महिमा के बारे में श्रद्धालु जनों को बताया।
कथा व्यास से अतुल कृष्ण भारद्वाज ने कहा कि मनुष्य को गृहस्थ जीवन जीने के लिए भगवान शिव के आदर्शों पर चलना चाहिए। भगवान शिव अपने विवाह के श्रृंगार से समाज को बताना चाहते हैं कि मेरे सिर पर नाग विराजमान है, जिसका तात्पर्य है कि संसार के समस्त प्राणियों के सिर पर कालरूपी नाग बैठा है, जो प्रत्येक दिन उसकी आयु को खा रहा है। भगवान शेर की खाल धारण कर यह बताना चाह रहे हैं कि मनुष्य को गृहस्थ जीवन संयमित जीवन सिंह की तरह जीना चाहिए, क्योंकि शेर अपने जीवन मैं एक नारीव्रत धारी है। लोगों ने कहा है कि विवाह में दुल्हा घोड़े पर बैठता है, परन्तु भगवान शिव नन्दी पर बैठे हैं, जिसका तात्पर्य यह है कि नन्दी धर्म का प्रतीक है और घोड़ा काम का प्रतीक है। भगवान शिव पूरे शरीर पर चिता की राख लपेटे हैं, जिसका तात्पर्य यह है कि दुनिया के सभी प्राणियों को एक दिन चिता में है जाना है। कथाव्यास ने भगवान श्री राम एवं भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का सुन्दर वर्णन करते हुए कहा है कि जब-जब धरती पर अधर्म का बोलबाला होता है, तब-तब भगवान किसी ना किसी रूप में धरती पर अवतरित होकर असुरों का नाश करते हैं, जिससे अधर्म पर धर्म की विजय होती है। भगवान को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को फ्रिज में बने फ्रिजर की तरह होना चाहिए अर्थात काम, क्रोध, मोह, लालच एवं ईर्ष्या को त्याग कर भक्ति एवं सच्चे मन की साधना से प्राप्त कर सकते हैं।
निर्मल मन जन सो मोहि पावा, मोहि कपन छल, छिद्र न भावा
त्रेतायुग में जब असुरों की शक्ति बढ़ने लगी, धर्म प्रायः लुप्त हो रहा था, तब माँ कौशल्या की कोख से भगवान श्री राम ने जन्म लिया। द्वापर में माँ देवकी की कोख से भगवान श्री कृष्ण के रूप में अवतार लिया। पूज्य व्यास ने कहा कि भगवान कण-कण में विराजमान हैं, सर्वत्र विद्यमान हैं। प्रेम से पुकारने पर कहीं भी प्रकट हो सकते हैं। भगवान तो निर्मल मन एवं भक्ति देखते हैं, इसीलिए कहा गया है कि “हरि व्यापक सर्वत्र समाना, प्रेम से प्रकट होंही मैं जाना”
भगवान श्री कृष्ण के जन्म पर कथा व्यास ने सुन्दर भजन
नंद लाला प्रकट भयो आज, बृज में लडुआ बटत है
कौन पुण्य देवकी ने किन्हों की गोद में झूले नंदलाल, बृज में लडुआ बटत है…” को सुनकर भवन में उपस्थित हजारों श्रोता झूम उठे। भवन का दृश्य ऐसा दिखाई पड़ रहा था, जैसे साक्षात भगवान प्रकट हुए हैं। कथा व्यास ने धर्म और सम्प्रदाय में अन्तर को समझाते हुए बताया कि धर्म व्यक्ति को अन्दर से एकजुटता का भाव पैदा कराता है, वहीं सम्प्रदाय व्यक्ति को बाहर रूप में एक बनाता है। धर्म और सम्प्रदाय की व्याख्या करते हुए कथा व्यास ने कहा है कि एक पुस्तक, एक पूजा स्थल, एक पैगम्बर, एक पूजा पद्धति मनुष्य को सीमित व संकुचित बनाती है, जबकि ईश्वर को विभिन्न रूपों में विभिन्न माध्यमों से स्मरण करना, दर्शन करना मात्र सनातन धर्म सिखाता है। आज मेरे देश की संस्कृति, सभ्यता, खान-पान इत्यादि पर पाश्चात्य संस्कृति का असर दिखाई पड रहा है। कथा व्यास ने माता और बहनों से आग्रह किया कि गर्भवती माताओं का चिन्तन-मनन, खान-पान, पठन-पाठन, रहन-सहन होने वाले बच्चे पर अत्यन्त प्रभाव डालते हैं इसीलिए गर्भावस्था के समय माताओं को भगवत भजन का स्मरण करने के साथ सात्विक भोजन एवं आध्यात्मिक चिन्तन-मनन करना चाहिए।
सांसद, महापौर ने भी लिया आशीर्वाद
आज की कथा में कोरबा लोकसभा क्षेत्र की सांसद श्रीमती ज्योत्स्ना चरणदास महंत ने पहुंचकर कथा श्रवण करते हुए पुण्य लाभ अर्जित किया। सांसद ने व्यासपीठ व आचार्य अतुल कृष्ण से आशीर्वाद लिया। कथा आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि भागवत कथा का आयोजन होते रहना चाहिए जिससे हमें अपने सनातन धर्म के बारे में जानने-समझने के साथ-साथ भगवत प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। सांसद के साथ महापौर राजकिशोर प्रसाद, पूर्व सांसद प्रतिनिधि हरीश परसाई, निगम सभापति श्याम सुंदर सोनी, पूर्व महापौर जोगेश लाम्बा, श्रीमती ऊषा तिवारी, कांग्रेस कमेटी शहर जिलाध्यक्ष श्रीमती सपना चौहान, पार्षद संतोष राठौर, पोषक दास महंत, वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक तिवारी, भाजपा नेता गोपाल मोदी ने भी आचार्य का आशीर्वाद लेकर कथा श्रवण किया।
(Bureau Chief, Korba)