- धान खरीदी केंद्र में सुव्यवस्थित व्यवस्था से किसानों के चेहरे पर मुस्कान
- राज्य सरकार की किसान हितैषी नीतियों के लिए जताया आभार
कोरबा (BCC NEWS 24): छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की शुरुआत होते ही किसानों के चेहरों पर नई उम्मीद और आत्मविश्वास की चमक स्पष्ट झलकने लगा है। इसी सकारात्मक माहौल का सुन्दर दृश्य पाली विकासखण्ड के बक्साही धान उपार्जन केंद्र में देखने को मिला, जहाँ किसान बूंदलाल मरकाम ने अपनी मेहनत से उपजी फसल को सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर बेचा। किसान बूँदलाल ने बताया कि उनके 10 सदस्यीय परिवार की आजीविका का मुख्य साधन कृषि है। उनके पास कुल 1.7760 हेक्टेयर कृषि भूमि है, जिस पर वे अपने परिवार के सहयोग से खेती का कार्य करते हैं। खेती ही उनके परिवार के भरणदृपोषण और आजीविका का आधार है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष उनकी खेती से लगभग 90 क्विंटल धान का उत्पादन हुआ था, जिसके विक्रय से उन्होंने परिवार के खर्चों, बच्चों की शिक्षा, तथा खेती के अन्य जरूरी कार्यों में उपयोग किया। इस आय से उनके परिवार को आर्थिक रूप से काफी सहारा मिला।
कृषक बताते हैं कि खरीदी केंद्र में व्यवस्थाएँ अधिक सुव्यवस्थित, पारदर्शी और किसान हितैषी हैं। समय पर तुलाई, बारदाने की उपलब्धता की सुचारू प्रक्रिया ने धान बेचने की प्रक्रिया को सरल और तनावमुक्त बना दिया है। आज वे अपना 30 क्विंटल धान विक्रय करने के लिए उपार्जन केंद्र आए हैं। शेष धान कटाई कार्य पूर्ण होने पर आगे भी वे धान विक्रय करेंगें। उन्होंने बताया कि धान विक्रय हेतु उन्होंने टोकन मोबाइल के माध्यम से ऑनलाइन प्राप्त किया, जिससे उन्हें काफी सहूलियत हुई।ऑनलाइन टोकन मिलने से उन्हें न तो मंडी में अनावश्यक प्रतीक्षा करनी पड़ी और न ही किसी प्रकार की भीड़भाड़ का सामना करना पड़ा। बूँदलाल ने बताया कि ऑनलाइन व्यवस्था के चलते पूरा प्रक्रिया पारदर्शी तथा सुगम हो गई है। वे बताते हैं कि पहले टोकन व नंबर प्राप्त करने के लिए लंबी लाइनें लगती थीं, जिससे समय और मेहनत दोनों की बर्बादी होती थी। लेकिन अब मोबाइल पर ही टोकन प्राप्त हो जाने से उनका समय बचता है और वे खेत के अन्य कार्यों पर ध्यान दे पाते हैं। प्रदेश की किसान हितैषी नीतियों की सराहना करते हुए किसान बूंदलाल ने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और राज्य सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया। उनका कहना है कि समर्थन मूल्य पर धान खरीदी से किसानों को आर्थिक सुरक्षा मिलती है, जिससे परिवार का भरण-पोषण, अगली फसल की तैयारी और बेहतर कृषि उपकरणों में निवेश करने में मदद मिलती है।

(Bureau Chief, Korba)




