Sunday, July 6, 2025

कोरबा: शहर से बस ढाई किमी दूर हाथियों का झुंड.. आसपास के गांवों से देखने आ रहे लोग, वन विभाग और पुलिस की टीम मौजूद

कोरबा: जिले में दर्जन भर से अधिक हाथियों का दल शहर के नजदीक पहुंच गया है। शहरी क्षेत्र से करीब 3 किमी दूर हाथियों का झुंड ग्राम सोनपुरी के जंगल में विचरण कर रहा है। हरदीबाजार के ग्राम रेंकी से निकलकर हाथी गुरुवार रात यहां पहुंचे, जिससे ग्रामीणों के साथ ही वन विभाग में हड़कंप है। हाथियों के कारण कोई जनहानि न हो, इस बात का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।

कोरबा में 13 हाथियों का दल शहरी क्षेत्र की ओर रुख करने लगा है। हरदीबाजार के ग्राम रेंकी से निकलकर हाथियों का दल कोरबा वन परिक्षेत्र के ग्राम सोनपुरी से सटे हसदेव नदी के किनारे के इलाके में पहुंच गया है। हाथियों के दल में बेबी एलीफैंट भी शामिल है। करीब 6 शावकों के दल में शामिल होने के कारण हाथियों के आसपास जाना खतरनाक माना जा रहा है। वन विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि शावक की सुरक्षा को लेकर हाथी आक्रामक हो जाते हैं और किसी पर भी हमला कर देते हैं।

हाथियों का झुंड।

हाथियों का झुंड।

इधर ग्राम सोनपुरी के पास हाथियों के पहुंचने से ग्रामीणों में दहशत है। वन विभाग की चेतावनी के बावजूद हाथियों को देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई है। सूचना के बाद वन विभाग के साथ ही पुलिस की टीम भी मौके पर पहुंचकर लोगों को समझा रही है। लोगों को हाथियों के पास जाने और उनका वीडियो बनाने के लिए मना किया जा रहा है, लेकिन लोग इस बात को नजरअंदाज कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस इलाके में हाथी पहले बार आए हैं। उन्होंने कहा कि जंगलों के लगातार कटने के कारण हाथी भटककर रिहायशी क्षेत्रों का रुख कर रहे हैं।

हाथियों को देखने जुटी भीड़।

हाथियों को देखने जुटी भीड़।

ग्रामीण दुर्गा पटेल ने बताया कि उसने हाथियों को पहली बार इतने करीब से देखा है। ग्रामीण शिव कुमार लहरे ने कहा कि कोरबा शहर के इतने पास हाथी पहली बार हाथी पहुंचे हैं। हाथियों को देख वो हैरान है। शुक्रवार सुबह से ही आसपास के कई गांवों के ग्रामीण हाथियों को देखने यहां पहुंचे हुए हैं। वन विभाग के कर्मचारी ईश्वर कुजूर ने बताया कि ग्रामीणों की भीड़ देखकर पुलिस भी काफी परेशान है। वन विभाग की टीम मौके पर डटी हुई है और हाथियों की निगरानी में लगी हुई है। वन विभाग का प्रयास है कि हाथी शहरी क्षत्रों का रुख न करें, इस कारण उन्हें बरबसपुर के रास्ते जंगलों में खदेड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

हाथियों को देखने आसपास के गांवों से आ रहे लोग।

हाथियों को देखने आसपास के गांवों से आ रहे लोग।

3 दिन पहले जान बचाकर भाग रहा एक शख्स हुआ था घायल

हाथियों का ये दल बिलासपुर के सीपत से होते हुए मंगलवार रात हरदीबाजार के पास ग्राम रेंकी के लाल मठिया पारा पहुंचा था। हाथियों से बचकर भाग रहा एक ग्रामीण भी गड्ढे में गिरकर घायल हो गया था। ग्रामीणों को जब गांव के पास एक दर्जन हाथियों के होने का पता चला, तो वे उन्हें देखने के लिए यहां पहुंचने लगे। इतनी भीड़ को वन विभाग भी नहीं संभाल सका। हाथी से कुछ ही दूरी पर ग्रामीण सेल्फी और वीडियो लेते नजर आए। इधर एक ग्रामीण हाथियों के झुंड को देखकर भाग ही रहा था कि वो गड्ढे में जा गिरा, जिससे वो गंभीर रूप से घायल हो गया है। घायल को 108 एंबुलेंस के जरिए अस्पताल में भर्ती कराया गया।

वन विभाग और पुलिस की टीम गांव में मौजूद।

वन विभाग और पुलिस की टीम गांव में मौजूद।

घायल व्यक्ति रामकुमार ग्राम रेकी की रामपुर बस्ती का रहने वाला है। अन्य ग्रामीणों के साथ वो भी हाथियों के झुंड को देखने गया हुआ था, जब हाथियों ने उसे दौड़ाया। जिस वक्त सभी भाग रहे थे, उसी दौरान वो गड्ढे में गिर गया और गंभीर रूप से घायल हो गया। वन विभाग हाथियों के मूवमेंट पर नजर बनाए हुए है। डिप्टी रेंजर कीर्ति कुमार ने बताया कि हाथियों को लेकर आसपास के गांवों में मुनादी कराई जा रही है कि कोई जंगल की ओर नहीं जाए और हाथियों से दूर रहे।

इससे पहले सीपत पहुंचा था हाथियों का ये दल

इससे पहले जांजगीर-चांपा जिले से 11 हाथियों का ये दल बिलासपुर जिले के सीपत क्षेत्र के सोंठी सर्किल में पहुंचा था। क्षेत्र के लोगों की सुरक्षा को देखते हुए स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने मुनादी करवाकर आसपास के गांवों के स्कूलों को बंद कराया। नवापारा बिटकुला, खम्हरिया, सोंठी व जेवरा समेत आसपास के सभी स्कूलों में दो दिन से पढ़ाई नहीं हुई, ताकि बच्चे अपने अपने घर पर सुरक्षित रहें।

सोमवार की देर रात हाथियों का दल लीलागर नदी पार कर सोंठी सर्किल में पहुंच गया था। यहां हाथियों के कारण किसी भी तरह की जनहानि या मालहानि नहीं हुई। हाथियों का ये दल पहले रायगढ़ और उसके बाद जांजगीर-चांपा जिले में पहुंचा था। मस्तूरी के करीब पहुंचने की सूचना के बाद बिलासपुर वन मंडल ने वनकर्मियों की ड्यूटी लगा दी थी, लेकिन वे इस क्षेत्र से नहीं आए और आगे बढ़कर अब कोरबा जिले में पहुंच गए हैं।


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