कोरबा: जिले के पोड़ीबाहर में सरकारी स्कूल के शिक्षक देवकीनंदन वैष्णव के छोटे बेटे हिमांशु ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। शिक्षक ने कहा कि उन्होंने बेटे को आज तक कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी, लेकिन उसके बावजूद उसने आत्मघाती कदम उठा लिया। मामला सिविल लाइन थाना क्षेत्र का है।
कोरबा के सिविल लाइन पुलिस थाना अंतर्गत पोड़ीबाहर में शिक्षक देवकीनंदन वैष्णव का घर है। वे खुद कुरुडीह मिडिल स्कूल में शिक्षक और संकुल प्रभारी भी हैं। शुक्रवार सुबह उन्हें घटना की जानकारी हुई कि उनके 22 साल के बेटे हिमांशु वैष्णव ने आत्महत्या कर ली है। पिता देवकीनंदन ने बताया कि गुरुवार रात बेटा घर लौटा था। इसके बाद वो अपने कमरे में जाकर सो गया। शुक्रवार सुबह जब वो देर तक नहीं उठा, तो उसे देखने वे कमरे में गए, लेकिन वो वहां नहीं था। थोड़ी देर बाद लोगों से पता चला कि उसने पेड़ पर साड़ी से फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली है।
हिमांशु वैष्णव को एक्टिंग का था शौक।
पिता ने बताया कि उन्होंने बेटे को पॉलिटेक्निक की पढ़ाई के लिए राजधानी रायपुर भेजा था, लेकिन वो वहां गलत संगति में पड़ गया। वहां से वापस लौटने के बाद वो पूरी तरह बिगड़ चुका था। कई बार समझाने के बाद भी उस पर कुछ असर नहीं हुआ। आए दिन नशा करना और घर पर उत्पात मचाना उसकी आदत बन गई थी। कुछ दिनों पहले ही उसने 75,000 रुपए का आईफोन जिद करके लिया था। वे भी उसकी हर इच्छा पूरा करते आ रहे थे, लेकिन अंत में उसने यह घातक कदम उठा लिया। उसकी गतिविधियां पिछले कुछ दिनों से सामान्य नहीं थी। परिवार उस पर नजर भी रख रहा था, लेकिन कोई उपाय काम नहीं आया।
हिमांशु वैष्णव पड़ गया था गलत संगत में।
मृतक के दोस्तों ने बताया कि हिमांशु को वे लोग एक्टर कहकर पुकारते थे। वो फिल्मी हीरो की कॉपी बहुत अच्छी तरह से करता था और सभी दोस्तों का लाडला था। वो इंस्टाग्राम पर रील बनाकर डालता था, जिसे लोग काफी पसंद करते थे। लेकिन उसने फांसी लगाकर खुदकुशी क्यों कर ली, उन्हें भी समझ में नहीं आ रहा है। वहीं शिक्षक पिता ने ये भी बताया कि कुछ दिनों से उसकी मनमानी मांगें जारी थीं और हमने इसे पूरा भी किया। केवल उसके दबाव के कारण ही कार भी खरीदी गई थी।
पुलिस जांच में जुटी।
घटना की सूचना मिलने पर पुलिस भी मौके पर पहुंची। सिविल लाइन थाना प्रभारी नितिन उपाध्याय ने बताया कि युवक के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। ये छोटा भाई था। इसका बड़ा भाई है, जो बालको में काम करता है। फिलहाल मामले की जांच चल रही है और परिजनों, दोस्तों व परिचितों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों की गैर जरूरी मांगों को पूरा नहीं करना चाहिए और दबाव बनाने पर उन्हें समझाने की कोशिश करनी चाहिए। अगर वे समझाने पर नहीं मानें, तब भी उनकी नाजायज मांगों को पूरा नहीं किया जाना चाहिए और अगर व्यवहार में नकारात्मक बदलाव देखें, तो मनोवैज्ञानिक की सलाह लेनी चाहिए।