कोरबा : मानसून आगमन के 43 दिन बाद भी बांगो बांध में पर्याप्त जल भराव नहीं हो सका है। अभी पांच दिन से हुई वर्षा का कुछ असर दिखाई पड़ा है। बांध के जल स्तर में 1.01 मीटर वृद्धि हुई है । वर्तमान में प्रतिदिन बांध में औसतन 580 क्यूसेक पानी आ रहा है। वहीं सिंचाई के लिए पानी की जरूरत कम होने पर नहर में कम पानी छोड़ा जा रहा। वहीं हाइडल प्लांट को 12 की जगह दस घंटे चलाया जा रहा, इसलिए पानी की खपत कम हो रही है। यही वजह है कि बांध में पानी का भराव तेजी से होने लगा है। मानसून से पहले बांध का जल स्तर 348.58 मीटर था। वर्तमान भराव 349.59 हो गया है।
बांध में पिछले चार साल से पूरी तरह नहीं भर पा रह। वर्तमान में 45 प्रतिशत पानी ही बांध में शेष है, यह बीते वर्ष की तुलना में 13 प्रतिशत कम है। वर्षा जल में कमी और मड भरने की वजह से बांध की जल संग्रहण क्षमता लगातार कम हो रही है। पिछले पांच दिनों से हो रही वर्षा और मानसून की सक्रियता से खेतों में पानी की मांग कम हो गई है। वर्तमान में दर्री बांध के दायी तट नहर से 302.85 क्यूसेक व बायी तट नहर से 705.50 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। दर्री बांध में ऊपरी क्षेत्र से बहकर आ रहे पानी के कारण सात नंबर गेट को खोल कर 2,799 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। बांध के पानी भराव क्षेत्र में साल दर साल मड (कीचड़) की परत बढ़ रही है। इससे उसकी जल संग्रहण क्षमता घटने लगी है।
जल संसाधन विभाग ने साल भर पहले दिल्ली की (आरसीटी) रिमोर्स सेंसर टेक्निक टीम से सर्वेक्षण कराया था। टीम ने रिपोर्ट जारी कर दी है। 40 साल के भीतर 151.3 मिलियन क्यूसेक मीटर जल संग्रहण में कमी आ गई है। अब मिट्टी निकालने के लिए जल संसाधन को शासन से राशि आवंटन का इंतजार है। वर्षा के दौरान ऊपरी क्षेत्र से आने वाली पानी के साथ हर साल मिट्टी भी बहकर आती है। समय रहते कीचड़ नहीं निकाली गई तो बांध की भराव क्षमता घटती चली जाएगी। बांगो बाध की कुल जल भराव क्षमता 3,046 मिलियन क्यूबिक मीटर है। मिट्टी भराव के कारण इसकी क्षमता 2,894.70 मिलियन क्यूबिक मीटर हो गई है। बांगो बांध में जल भराव कोरिया जिले में होने वाली वर्षा जल पर निर्भर है। मानसूनी वर्षा मैदानी क्षेत्रों से मिट्टी भी लेकर आती है। वर्ष-दर- वर्ष मिट्टी की परत बांध की जल सतह पर बढ़ती जा रही है।
इसकी जांच जल संसाधन विभाग ने रिमोर्ट सेंसर टेक्निक से जांच कराया है। यह वह तकनीक है जो इस बात की जानकारी देते है कि वर्ष वार मिट्टी की परत कितनी जमी है। जल संसाधन विभाग ने दो साल पहले निदान के लिए मिट्टी निकालने के लिए प्राक्कलन तैयार राशि 10 करोड़ राशि की मांग की थी। तकनीकी संस्थान से जांच के बाद भी राशि आवंटन की जाती है। यही वजह है कि अब तक मड निकालने के लिए राशि जारी नहीं हुई है। बांध की सुरक्षा की दृष्टि से मड का बाहर निकाला जाना अति आवश्यक है। बांगो बांध की तरह मिट्टी भराव का असर दर्री बांध में पड़ रहा है। बराज के भराव का भी जल संसाधन ने तकनीकी आकलन कराया है। बांध के भूमिगत सतह से 941 इंच तक पानी का भराव किया जाता है। इससे अधिक होने पर गेट खोल दी जाती है। बराज का कुल जल संग्रहण क्षेत्र 7723 वर्ग किलो मीटर है। माना जा रहा है कि पूरे भराव क्षेत्र में मिट्टी भरने का असर होने से जल भराव आठ फीसदी कम हो गया है। दर्री बांध के दाएं और बाएं तट नहर से जलापूर्ति होती हैं। मिट्टी भराव का असर नहर में भी देखी जा रही।
24 छोटे-बड़े उद्योगों को की जाती है जलापूर्ति
बांगों बांध के पानी से 24 छोटे-बड़े औद्योगिक संयंत्र के अलावा रायगढ़, जांजगीर तीन लाख 62 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि में को जलापूर्ति होती है। पानी का उपयोग सिंचाई और उद्योग के अलावा निस्तारी के लिए भी होता। अकेले शहरी क्षेत्र दो बड़े जल आवर्धन योजनाओं से शहर के नौ लाख आबादी को जल आपूर्ति होती है। शहर के अलावा अब उपनगरीय क्षेत्रों व अन्य जिलों में पेयजल निदान के लिए पानी की मांग बढ़ने लगी है। ऐसे में जल भराव क्षमता में कमी योजनाओं के विफलता का कारण बन सकता है। मानसून में इस बार पूर्ण भराव नहीं हुई तो इसका सीधा असर सिंचाई और औद्योगिक संयंत्रों की आपूर्ति पर होगा।
ऊपरी क्षेत्र कोरिया जिले के वर्षा पर भराव निर्भर
बांगो बांध में पानी का भराव ऊपरी क्षेत्र कोरिया जिले में होने वाली वर्षा पर निर्भर है। नया कोयला खदान खोलने के लिए हसदेव के मुहाने लगे जंगल की कटाई की जा रही है। यही वजह है कि क्षेत्र में प्रतिवर्ष औसतन वर्षा दर घट रही है। सिंचाई और औद्योगिक संस्थान में पानी की कमी की आशंका को देखते हुए हाइडल प्लांट चलाने के समय को कम कर दिया गया है। वर्तमान में प्लांट को तीन घंटे ही संचालित किया जा रहा हैं। बांध को पूरा भरने में मानसून के दौरान 55 प्रतिशत पानी भराव की आवश्यकता होगी।
कृषि रकबा में वृद्धि, इसलिए वार्षिक खपत बढ़ी
जल खपत होने के पीछे धान फसल के रकबा में वृद्धि होना भी शामिल है। समर्थन मूल्य में धान की खरीदी मिलने से किसानों की खेती के प्रति रूचि बढ़ी है। तीन साल के भीतर अकेले धान के रकबा में कोरबा, जांजगीर और रायगढ़ में 46,000 हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। दीगर फसल की तुलना में धान उपज में सर्वाधिक पानी की खपत होती है। मानसून का दौर होने के बावजूद रबी की तुलना में खरीफ के दौरान बांध से पानी छोड़ा जाता है। धान का रकबा बढ़ने के साथ लघु व कुटीर उद्योगों के लिए भी से बांध से पानी की मांग भी बढ़ गई है। कम वर्षा की तुलना में पानी की आवश्यकता अधिक होने से बांध के भराव में असर होेना स्वाभाविक है।
जर्जर नहरों की नहीं हुई मरम्मत, तट टूटने का खतरा
बांगो बांध से जल प्रदान करने एवज में प्रति वर्ष शासन को 48 करोड़ राजस्व की आय होती है। इस खूबी के बाद भी नहर के जीर्णोद्धार की दिशा में कारगर कदम नहीं उठाया जा रहा। उद्योग और सिंचाई के लिए पानी देने का मुख्य आधार शहर के निकट निर्मित दर्री बांध है। यहां से निकली दायीं तट नहर 18 व बायी तट नहर 38 किलोमीटर तक विस्तारित है। दोनों नहरों की दशा जर्जर हो चुकी है। समय पर मरम्मत नहीं कराने का खामियाजा किसानों का भुगतना पड़ता है। अगस्त माह उमरेली के निकट बहने वाली नहर के टूट जाने 80 किसानों 386 एकड़ फसल को नुकसान हुआ था। सुधार के अभाव में इस बार भी तट टूटने की आशंका बनी है।
0 फैक्ट फाइल
18,847- हेक्टेयर जल भराव क्षेत्र
359.66- मीटर जल संग्रहण क्षमता
352.93-मीटर वर्तमान जल भराव
2,55,000-हेक्टेयर खरीफ का सिंचित रकबा
1,78,500- हेक्टेयर रबी का सिंचित रकबा
120- मेगावाट जल विद्युत उत्पादन क्षमता
इनका कहना
मानसून आगमन के बाद बांगो बांध के जल स्तर में लगभग एक मीटर की वृद्धि हुई है। अच्छी वर्षा होने की वजह से सिंचाई के लिए पानी की मांग भी कम हुई है। हाइडल प्लांट 12 की जगह 10 घंटे चलाया जा रहा है। उम्मीद है इस वर्ष बांध पूरा भर जाएगा।
एसके तिवारी, मुख्य कार्यपालन अभियंता, बांगो परियोजना
(Bureau Chief, Korba)