- पीएम विश्वकर्मा योजना में प्रशिक्षण के साथ रामकुमार को मिला औजार
कोरबा (BCC NEWS 24): मिट्टी के घड़े, सुराही, गुल्लक सहित बच्चों के खेल-खिलौने तैयार करने वाले कुम्हार रामकुमार प्रजापति अपने जिस परम्परागत व्यवासाय से जुड़कर पैरों पर खड़े थे, एक दिन तेज आंधी ने उनके पैरों को ऐसा जख्म दिया कि उनका व्यवसाय ही चौपट नहीं हुआ अपितु इस व्यवसाय से किनारा कर सदा के लिए मुख्य मोड़ लेने का भी मन बन गया। समय के साथ मिट्टी के बर्तन तैयार करने वाले कुम्हारों की पूछ-परख न होने और कोई प्रोत्साहन भी नहीं मिलने का दर्द था, जो रामकुमार की कला को हतोत्साहित करता था। कई पीढ़ी से कुम्हारी से ही जीवनयापन करते आए रामकुमार के पास वहीं पुराने चाक और औजार थे, जिसमें उनके दादा-परदादा काम करते आए थे। समय के साथ तैयार नये चाक, औजार खरीदने के लिए रामकुमार का मन तो बनता था, पर आमदनी ही इतनी नहीं हो पाती थी कि वह कुछ नए औजार खरीद सकें और अपने व्यवसाय को फायदेमंद बना सकें। आने वाले दिनों में परम्परागत व्यवसाय से नाता तोड़ने का मन बना चुके रामकुमार को जब प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना की जानकारी मिली तो मानों उनकी उम्मीदों को पंख लग गए और दम तोड़ती व्यवसाय को संजीवनी। पीएम विश्वकर्मा योजना में आवेदन करने के पश्चात स्टायफंड के साथ प्रशिक्षण भी मिला और पहचान पत्र बनने के साथ इलेक्ट्रानिक चाक और टूल किट भी मिला। इसके साथ ही रामकुमार को बिना गारंटर के एक लाख रूपए तक लोन ले सकने की वह उम्मीद का आधार भी मिला, जिसकी बदौलत वह अपने परम्परागत व्यवसाय को अपनी सुविधा और आवश्यकताओं के हिसाब से खड़ कर सकता है।
कोरबा जिले के पाली विकासखंड के ग्राम मादन में रहने वाले रामकुमार प्रजापति ने बताया कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना की जानकारी मिलने के बाद उन्होंने भी आवेदन दिया। उद्योग विभाग से चिन्हांकन और लाइवलीहुड कॉलेज में एक सप्ताह तक आजीविका को बढ़ाने प्रशिक्षण दिया गया। चूंकि अपने व्यवसाय को छोड़कर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा था, इसलिए योजना में प्रशिक्षण के दौरान स्टायफंड की व्यवस्था भी दी। मुझे भी एक सप्ताह प्रशिक्षण के दौरान चार हजार रूपए प्राप्त हुए। रामकुमार ने बताया कि यहा मेरा पीएम विश्वकर्मा योजना का कार्ड भी बनाया गया। इस कार्ड से ऐसा लगा कि आज से मेरी एक नई पहचान बन रही है। उन्होंने बताया कि मैं मिट्टी के घड़े, दीये सहित अन्य बर्तन बनाने के लिए हाथ वाले पुराने चाक का ही इस्तेमाल करता था। इस चाक में बल लगाने के साथ ही घड़े और अन्य पात्र बहुत कम संख्या में बन पाते थे। इलेक्ट्रानिक चाक और अन्य टूल की सहायता से वह जल्दी-जल्दी मिट्टी की सामग्री बना लेता है। इसमें बल भी अधिक नहीं लगता है। उन्होंने बताया कि मुझे बिना गांरटर के एक लाख रूपए तक लोन लेने की सुविधा भी मिली है, और समय पर लोन की राशि जमा कर देने पर तीन लाख तक की राशि लोन में मिल सकती है, ताकि मैं अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा सकूं। रामकुमार ने खुशी जताते हुए बताया कि एक बार बाजार में सामान बेचते समय तेज आंधी चली, इस दौरान झोपड़ी टूट जाने से उसका दायां पैर बुरी तरह से चोटिल हो गया और वह तब से ठीक से खड़ा ही नहीं हो पाया। इस बीच अपने व्यवसाय में बहुत अधिक लाभ नहीं मिलने और किसी प्रकार का प्रोत्साहन व संबल नहीं मिलने से भी आने वाले दिनों में इससे नाता तोड़ना चाहता था। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पीएम विश्वकर्मा योजना लागू किए जाने और परम्परागत व्यवसाय से जुड़े लोगों को प्रोत्साहन दिये जाने से मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं और जीवनयापन के इस माध्यम को उत्साह के साथ करने लगा हूं। कुम्हार राम कुमार ने बताया कि वह पाली क्षेत्र के बाजारों में अपनी दुकान लगाता है, इससे उसका जीवनयापन होता है।
(Bureau Chief, Korba)