कोरबा (BCC NEWS 24): रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर के कारण असहनीय पीड़ा और फिर लकवाग्रस्त होकर चलने-फिरने लायक नहीं रह गए मरीज को सफल आपरेशन से नई जिंदगी मिली है। इस तरह का मामला न्यू कोरबा हॉस्पिटल में आया जिसे न्यूरोसर्जन डॉ. दिविक एच. मित्तल ने हल कर उसके परिजन को बड़ी राहत दी है।
नावापारा मड़वारानी निवासी राज कुमार 40वर्षीय को रीढ़ की हड्डी में कई दिन से दर्द हो रहा था। धीरे-धीरे दर्द बढ़ता गया और अचानक असहनीय दर्द के साथ चक्कर आने की भी शिकायत बढ़ने लगी। परेशान परिजन कई अस्पतालों का चक्कर लगाते रहे लेकिन मरीज को कोई आराम नहीं मिला और वह काफी कमजोर होने लगा। कमर के नीचे के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया,उसके दोनों पैरों को लकवा मार चुका था जिससे चलने-फिरने में असहाय हो गया। सब जगह से थक- हार कर परिजन मरीज को उसी हालत में लेकर न्यू कोरबा हॉस्पिटल पहुंचे। मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए आईसीयू में रखा गया। रीढ़ के हड्डी का एमआरआई करने पर पता चला कि एल-2 व एल-3 के बीचों बीच के हिस्से में 5 सेंटीमीटर के आकार का गांठ बना हुआ था, गांठ को परिवार के लोग देखकर हैरान रह गए। परिजनों ने तब राहत की सांस ली जब डॉ. मित्तल ने ऑपरेशन हो जाने की बात कही। डॉ. मित्तल ने एनेस्थेटिस्ट डॉ. रोहित मजुमदार, देवेंद्र मिश्रा, राम कोसले सहित सहयोगी टीम के साथ ऑपरेशन किया। 7 घण्टे तक चला ऑपरेशन पूर्णत: सफल रहा और मरीज धीरे-धीरे सामान्य होने लगा। फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. यशा मित्तल व डॉ. अमन श्रीवास्तव के प्रयास से मरीज को चलाया-फिराया गया। मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है और अब वह स्वस्थ है। मरीज के परिजनों ने डॉ. डी.एच. मित्तल सहित उनकी टीम का आभार जताया है।
रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर ही पैरों में सुन्नपन की वजह- डॉ.मित्तल
डॉ. मित्तल ने बताया कि शरीर के निचले हिस्से में आने वाले सुन्नपन और कमजोरी को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। कई बार यह सामान्य बीमारी नहीं होती है। रीढ़ की हड्डी व गर्दन में ट्यूमर होने के कारण भी ऐसा हो सकता है। इसके डायग्नोस और इलाज में देरी करने पर लकवा आने का खतरा बढ़ जाता है। रीढ़ की हड्डी और इसकी नस में होने वाला ट्यूमर किसी भी उम्र में हो सकता है। बच्चों में भी यह बीमारी हो जाती है। कभी-कभी यह ट्यूमर हड्डी की नस में हो जाता है। यदि शरीर के दूसरे हिस्से जैसे ब्रेस्ट, दिमाग, लंग्स में ट्यूमर है तो यह रीढ़ की हड्डी तक फैल जाता है। कई बार नस दबने से भी यह हिस्सा कमजोर पड़ने से मरीज सुन्नपन की शिकायत करता है। इसे नजरअंदाज करने पर लकवा आने की संभावना बढ़ जाती है। रीढ़ की हड्डी के ऊपरी और निचले हिस्से में गांठ होने पर लंबे समय तक लकवा, सुन्नपन और कमजोरी की शिकायत रहती है। लकवे से बचने के लिए ये लक्षण आते ही मरीज को बिना देर किए स्क्रीनिंग करवानी चाहिए।