KORBA: कोरबा जिले में पीसीवी वैक्सीन (Vaccine) लगाने के कुछ ही घंटे बाद डेढ़ महीने के बच्चे की मौत हो गई। रिसडी वार्ड क्रमांक 32 में रहने वाले दिलबोध और कांति बाई के बच्चे हर्षित को टीका लगवाने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अनीता रात्रे आंगनबाड़ी केंद्र लेकर गई थी।
शुक्रवार को माता-पिता बच्चे को लेकर आंगनबाड़ी केंद्र (Anganwadi Center) पहुंचे थे, जहां अनीता रात्रे ने उसे टीका लगाया। इसके कुछ ही देर बाद हर्षित को बुखार आ गया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि वैक्सीन लगने के बाद हल्का बुखार आना नॉर्मल है। लेकिन बच्चे का बुखार बढ़ता चला गया। शनिवार सुबह बच्चे ने दम तोड़ दिया। बताया गया कि बच्चा रोत को सोया था, फिर अगले दिन सोकर ही नहीं उठा। परिजनों ने देखा तो उसके सांसें नहीं चल रही थीं। इसके बाद परिजन बच्चे के शव को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंच गए। उसे गेट का पास रख दिया और बस्तीवालों के साथ मिलकर विरोध-प्रदर्शन करने लगे।
पुलिस जांच में जुटी।
परिजनों ने बच्चे को एक्सपायरी डेट का टीका लगाने का आरोप लगाया है। ग्रामीणों और माता-पिता ने मौत की जांच की मांग की है। साथ ही ANM अनीता रात्रे पर कड़ी कार्रवाई की मांग भी गांववालों ने की है। इधर ग्रामीणों के कलेक्टर कार्यालय में विरोध करने की सूचना मिलने पर तहसीलदार मुकेश देवांगन, ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर दीपक राज, सीएसपी कोरबा और रामपुर चौकी प्रभारी भी दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने परिजनों को काफी समझाया और जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया, तब जाकर वे माने। इसके बाद बच्चे के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया।
परिजनों ने लगाया आरोप।
हर्षित की मां कांति बाई ने बताया कि दो बेटियों के बाद एक बेटा हुआ था। परिवार में खुशी का माहौल था, लेकिन लापरवाही ने उसके बच्चे की जान ले ली। अब उसे न्याय चाहिए। वहीं कोरबा तहसीलदार मुकेश देवांगन ने कहा कि घटना की सूचना पर वे कलेक्टर कार्यालय पहुंचे हैं। परिजनों के आरोपों की जांच कराई जाएगी।
बीएमओ डॉ दीपक राज ने बताया कि स्वास्थ्य कर्मी अनीता रात्रे ने आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चे को टीका लगाया था, लेकिन मौत के कारणों की सही वजह पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में अगर एक्सपायरी डेट का टीका लगाने की रिपोर्ट मिलती है, तो संबंधित टीम के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पीसीवी टीका।
क्या है PCV टीका?
बच्चों के फेफड़ों को किसी भी तरह के संक्रमण से सुरक्षित करने के लिए न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन यानी पीसीवी वैक्सीन लगाई जाती है। ये वैक्सीन बच्चों को निमोनिया से बचाती है। इस वैक्सीन की बच्चों को डेढ़ माह और साढ़े 3 माह की आयु होने पर दो डोज दी जाती है और 9 माह की आयु में बूस्टर डोज दी जाती है।
जन्म से लेकर 5 साल तक के बच्चों में निमोनिया का खतरा सबसे अधिक रहता है। यही वजह है कि निमोनिया से बचाव के लिए समय पर टीकाकरण करवाना जरूरी है। हर साल 12 नवंबर को राष्ट्रीय निमोनिया दिवस मनाया जाता है। निमोनिया से बचाव के लिए पीसीवी का टीका कारगर होता है। पहला टीका जन्म से डेढ़ माह पर पोलियो खुराक, पेंटा और आईपीवी के साथ दिया जाता है। दूसरा टीका साढ़े 3 माह पर ओपीवी, पेंटावेलेंट, एफ आईपीवी और रोटा के साथ और 9 माह पर खसरे के टीके के साथ बूस्टर डोज दिया जाता है। यह सभी प्रकार के टीके सरकारी चिकित्सालयों और स्वास्थ्य केन्द्रों पर नि:शुल्क लगते हैं।
पीसीवी टीका निमोनिया के साथ ही बच्चे को दिमागी इन्फेक्शन से भी सुरक्षा प्रदान करने में मदद करता है। ये न्यूमोकोकस बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है। पीसीवी एक सुरक्षित वैक्सीन है। इसे लगाने के बाद हल्का बुखार या टीका देने की जगह पर लालीपन हो सकता है।
अंबिकापुर में 5 दिन पहले हुई थी 4 बच्चों की मौत
अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रविवार रात एक साथ 4 नवजात बच्चों की मौत हो गई थी। मृत नवजात के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया था। राजमाता देवेंद्र कुमारी सिंहदेव मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जच्चा-बच्चा अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में कई नवजात भर्ती थे। रविवार रात करीब 11 बजे अस्पताल की बिजली अचानक गुल हो गई थी। करीब 4 घंटे बाद जब बिजली आई, तो एक-एक कर 4 नवजातों की सांसें थम चुकी थीं।
अंबिकापुर में हुई थी 4 बच्चों की मौत।
परिजनों का कहना था कि अस्पताल में लाइट गुल होने के बाद वार्मर ने काम करना बंद कर दिया था। लाइट आने पर बच्चों को वार्मर पर रखा गया। इसके बाद बच्चों की मौत होने लगी थी। इस आरोप पर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन का कहना था कि इन बच्चों में हार्ट प्रॉब्लम थी। जिनका जन्म समय से पहले हो गया था। इसके चलते बच्चों को वेंटिलेटर पर रखा गया था। बिजली गुल होने से कोई समस्या नहीं हुई थी।
वहीं छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा था कि अस्पताल में बिजली का बैकअप भी है, जनरेटर भी है। 2020 में भी ऐसी घटना हुई थी, जिसमें हमने 1 दिन में 4 से 5 बच्चों को खो दिया था। उसके बाद अब हमने 4 बच्चों को खोया है यह दुखद स्थिति है। वहीं घटना के मामले में जांच टीम ने रिपोर्ट शासन को भेज दी थी, जिसके बाद गुरुवार को इस घटना में जवाबदार शिशु रोग विभाग की एचओडी सुधा सिंह, एमएस डॉ लखन सिंह और अस्पताल की सुपरिटेंडेंट प्रियंका कुरील को नोटिस जारी किया गया है।