Sunday, May 5, 2024
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महासमुंद: रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रिपा) बदली ग्रामीण महिलाओं की तक़दीर….

  • अलग-अलग तरह के स्वादिष्ट नमकीन बनाने में इन दिनों जुटी समूह की महिलाएं

महासमुंद: छत्तीसगढ़ में सरकार के स्तर से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। महिलाएं अब खुद हुनरमंद होकर छोटे-मोटे रोजगार के जरिये स्वाबलंबी बनने की ओर अग्रसर होने लगी हैं। ज़िले के बाग़बाहरा ब्लॉक के गांव एम.के. बाहरा में ऐसा ही एक जय माँ लक्ष्मी महिला स्वयं सहायता समूह नमकीन सलोनी (मठरी) बनाकर अपनी स्वांवलंबन की राह पर है।

रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रिपा) बदली ग्रामीण महिलाओं की तक़दीर

महिला स्वसहायता समूह में दस महिलाएं हैं। ये अलग-अलग तरह के स्वादिष्ट नमकीन बनाने में इन दिनों जुटी हुई हैं। यहाँ की गौठान में हाल ही में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रिपा) के तहत स्थापित नमकीन बनाने की मशीन और पैकेजिंग मशीन से समूह की क़िस्मत बदल रही है। कम मेहनत और ज़्यादा काम होने लगा है। महिलाओं की आय भी बढ़ रही है। अब उनके द्वारा तैयार की हुई नमकीन सलोनी (मठरी) का आसपास के स्थानीय बाज़ारों के साथ ज़िले के अन्य दुकानों, घरों में भी जल्द चाय की चुस्की के साथ देखने मिलने वाला हैं। स्थानीय बाज़ार में माँग के अनुरूप स्वसहायता समूह की महिलायें अलग-अलग प्रकार के नमकीन, सलोनी (मठरी ) बनाने में जुटी है। जल्द ही नाम का पंजीयन कराकर इसे बाज़ार में उतारा जाएगा। फ़िलहाल सैंपल के तौर पर बनाना शुरू किया है। इन्हें राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन(एनआरएलएम) के द्वारा एक माह का प्रशिक्षण दिया गया है।

समूह की अध्यक्ष श्रीमती योगेश्वरी साहू और सचिव श्रीमती तुमेश्वरी साहू कहती है कि पहले वह खेती-बाड़ी में काम करती थी। जिसमें मुझे कम आमदनी मिलती थी जो परिवार के लिए कम पड़ती थी। किंतु जबसे गांव में शासन की योजना से गौठान बनाये गये तब से गांव की महिलाओं को काम मिलने लगा। वे पहले वर्मी खाद भी बनाते जिससे आय भी होती। वे कहती है कि उनके 10 महिलाओं का एक जय माँ लक्ष्मी नाम से समूह है। इस समूह की महिलायें मिल कर काम करती है। जब से रीपा के अन्तर्गत नमकीन बनाने की मशीन लगी है। उससे समूह की महिलाओं की क़िस्मत बदल रही है। सुबह से आकर 12 बजे तक नमकीन सलोनी बनाते है। हाल ही में डेढ़ क्विंटल से अधिक सलोनी बनाकर उसकी पैकेजिंग की जा चुकी है। शुरुआत में बेचने में दिक़्क़त है।लेकिन स्थानीय बाज़ार और हाट बाज़ार में जाकर प्रचार कर इसे बेचा जाएगा। इसके अलावा घर-घर जाकर भी इसके बारे में बताया जा रहा है। सी-मार्ट के ज़रिए भी विक्रय किया जाएगा। इसका स्थानीय होना और गुणवत्तापूर्ण स्वादिष्ट होना इसकी मुख्य वजह होने से इसे स्थानीय लोग जल्द पसंद करेंगे। कुछ गांव के लोगों ने चाय की चुस्की के साथ इसे ख़ाना शुरू किया है तारीफ़ भी की। जल्द ही नाम का पंजीयन कराकर इसे बाज़ार में उतारा जाएगा। फ़िलहाल सैंपल के तौर पर बनाना शुरू किया है।

समूह की सचिव ने नमकीन सलोनी बनाने की विधि बतायी कि पहले मिक्सिंग मशीन में मैदा, घी, अज़वाईंन, नमक, कस्तूरी मेथी पानी आदि मिलाकर मिक्सिंग मशीन में गूँथा जाता है। उसके बाद रोलर से प्रेस कर उसे लगे कटर से छोटे और विभिन्न आकर में शेप देकर उसे गर्म तेल की कढ़ाई में पकाया जाता है। उसके बाद पैकिंग मशीन में पैक करने की ज़रूरत होती है। ज़िला प्रशासन ने पैकेजिंग मशीन भी उपलब्ध करायी है। जिसके द्वारा कप फिलर में पैक किया जाता है।

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