छत्तीसगढ़: जांजगीर-चांपा जिले में बोरवेल के लिए खोदे गए गड्ढे में फंसा राहुल अब सिर्फ 3 फीट दूर रह गया है। राहुल तक पहुंचने के लिए टनल बनाने का काम जारी है। बीच-बीच में चट्टान बाधा बन रही है। इसे देखते हुए बिलासपुर से मशीन मंगवाई गई है। हालांकि राहुल की सुरक्षा और मिट्टी धसकने के डर को देखते हुए काम की स्पीड कम है। इधर, एक बार फिर से रस्सी लेकर भी NDRF बच्चे को निकालने के प्रयास में है। बीच में खबर थी कि राहुल की हलचल कम हो गई है, लेकिन प्रशासन ने कहा है कि हम बच्चे को देख पा रहे हैं, वह सांस ले रहा है।
गांव के सभी बोर को खोलकर पानी छोड़ा जा रहा है।
अब जबकि रेस्क्यू का काम जारी है। गड्ढे में पानी रिस रहा है। जिसे बाल्टी-बल्टी से निकाला जा रहा था। मगर वह ज्यादा देर तक संभव नहीं है। इसलिए कलेक्टर के निर्देश पर पिहरीद गांव में जल स्तर को कम किया जा रहा है। जिससे की उस गड्ढे में पानी का रिसाव नहीं हो। गांव के सभी बोर को चालू करा दिया गया। वहीं गांव के 2 स्टाप डैम है। जिसे बंद करा दिया गया है। टनल की खुदाई के दौरान काफी डस्ट निकल रहा है। पानी मारकर डस्ट को कंट्रोल किया जा रहा है। प्रशासन ने कहा है कि अब भी 4 से 5 घंटे का वक्त और लग सकता है।
पिहरीद गांव के बोरवेल में गिरे 10 साल का राहुल को करीब 73 घंटे से ज्यादा हो चुके हैं। राहुल 60 फीट से भी नीचे गड्ढे में फंसा हुआ है। रविवार शाम तक रोबोटिक्स तरीका फेल हो जाने के बाद रात में टनल के सहारे बाहर निकालने का प्लान बनाया गया है। टनल की राह में एक बड़ी चट्टान आ गई है। ज्यादा बड़ी मशीन का उपयोग यहां करने से आसपास कम्पन की संभावना बढ़ जाएगी। इसलिए सूझबूझ और एक्सपर्ट के बीच चर्चा करके ही फैसला लिया जा रहा है।
रात के वक्त राहुल सो गया था। मूवमेंट नहीं होने के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन बंद करना पड़ा। इस बीच सुबह करीब 5 बजे जब मूवमेंट हुआ तो उसे पीने के लिए फ्रूटी और खाने के लिए केले दिए गए।
बिलासपुर से ड्रिल मशीन मौके पर पहुंच गई है। सीएम भूपेश ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी।
अब तक क्या-क्या हुआ
- बच्चा शुक्रवार दोपहर 2 बजे के आसपास गायब हुआ। उसका कुछ पता नहीं चल रहा था।
- बच्चे को ढूंढने के दौरान माता-पिता को बोरवेल से आवाज आई।
- डायल 112 को सूचना दी गई। प्रशासनिक अमले को इसकी जानकारी मिली।
- शुक्रवार शाम 5 बजे से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया।
- देर शाम फिर कलेक्टर, एसपी की मौजूदगी में जेसीबी से खुदाई का काम शुरू किया गया। SDRF, NDRF की टीम पहुंची।
- देर रात तक सेना के जवान भी मौके पर पहुंच गए थे।
- शनिवार को रोबोट इंजीनियर महेश अहीर को बुलाया गया। मगर वह नहीं आ सका।
- शनिवार को ही रस्सी से बच्चे को निकालने का प्रयास किया गया। वह भी असफल रहा।
- रविवार को बच्चे को रोबोट से निकालने का प्रयास किया गया। ये भी असफल रहा।
- रविवार को माइनिंग एक्सपर्ट को बुलाया गया। फिर टनल बनाने का काम शुरू किया गया।
- चट्टान बीच में आ गई, जिसे तोड़ा जा रहा है।
- बड़ी मशीन से ड्रिलिंग का काम रोक दिया गया। अब छोटे मशीन से ही ड्रिल किया जा रहा है।
टनल बनाने में चट्टान बाधा बन रही है। चट्टान को तोड़ने का काम जारी है।
बड़ी ड्रिल मशीन से खुदाई नहीं कर सकते, कंपन का खतरा
बीच में चट्टान की वजह से रेस्क्यू टीम को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है। बड़ी ड्रिल मशीन का उपयोग भी नहीं किया जा रहा, क्योंकि इससे आसपास कंपन हो सकती है। बाकी का काम छोटी ड्रिल मशीन और हाथ के खुदाई के जरिए किया जा रहा था, लेकिन छोटी मशीन से भी परेशानी हो रही है। इसलिए बिलासपुर से ऐसी मशीन को बुलाया गया है, जो आकार में थोड़ी छोटी है। अब इसी मशीन से टनल बनाई जा रही है।
कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला (ब्लैक टीशर्ट में) लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी कर रहे हैं।
रात में राहुल सो गया, कोई मूवमेंट नहीं होने के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन को रोक दिया गया।
बिलासपुर से मंगाई गई ड्रिल मशीन से टनल बनाने का काम जारी है।
10 जून को बोरवेल में गिरा था राहुल
राहुल साहू (10) का शुक्रवार दोपहर 2 बजे के बाद से कुछ पता नहीं चला। जब घर के ही कुछ लोग बाड़ी की तरफ गए तो राहुल के रोने की आवाज आ रही थी। गड्ढे के पास जाकर देखने पर पता चला कि आवाज अंदर से आ रही है। बोरवेल का गड्ढा 80 फीट गहरा है। ये भी बताया गया है कि बच्चा मूक-बधिर है, मानसिक रूप से काफी कमजोर है। जिसके कारण वह स्कूल भी नहीं जाता था। घर पर ही रहता था। पूरे गांव के लोग भी 2 दिन से उसी जगह पर टिके हुए हैं, जहां पर बच्चा गिरा है। राहुल अपने मां-बाप का बड़ा बेटा है। उसका छोटा भाई 2 साल छोटा है। पिता की गांव में बर्तन की दुकान है।
राहुल मानसिक रूप से कमजोर है, वह बोल-सुन नहीं सकता। वह मूवमेंट करके रेस्क्यू टीम का पूरा सहयोग कर रहा है।