Tuesday, December 2, 2025

              मॉस्को: रूसी संसद में भारत से रक्षा समझौते पर वोटिंग आज, पुतिन के दौरे से पहले मंजूरी मिलेगी; एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों का इस्तेमाल कर सकेंगे

              मॉस्को: रूसी संसद के निचले सदन स्टेट डूमा में आज भारत के साथ रक्षा समझौते को मंजूरी देने के लिए वोटिंग होगी। दोनों देशों के बीच इस साल फरवरी में रेसिप्रोकल एक्सचेंज ऑफ लॉजिस्टिक्स एग्रीमेंट (RELOS) पर साइन हुए थे। अब इस समझौते को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से पहले मंजूरी मिलने वाली है।

              RELOS एक लॉजिस्टिक सपोर्ट समझौता है। इसका मकसद दोनों देशों की सेनाओं के बीच तालमेल को आसान बनाना है। इसके तहत सैन्य अभ्यास, आपदा राहत और अन्य संयुक्त अभियानों में दोनों देशों को एक-दूसरे की सैन्य सुविधाओं का इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी।

              यह समझौता 18 फरवरी 2025 को मॉस्को में भारत के राजदूत विनय कुमार और रूस के तत्कालीन उप रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन ने साइन किया था। यह भारत और रूस के बीच सैन्य सहयोग को और मजबूत करेगा।

              तस्वीर भारतीय राजदूत विनय कुमार और तत्कालीन रूसी उप रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन की है।

              तस्वीर भारतीय राजदूत विनय कुमार और तत्कालीन रूसी उप रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन की है।

              क्यों खास है RELOS समझौता

              RELOS को दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी में अब तक के सबसे अहम रक्षा समझौतों में से एक माना जा रहा है। यह एक डिफेंस लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज समझौता है।

              इसके जिसके तहत भारत और रूस की सेनाएं एक-दूसरे के सैन्य बेस, बंदरगाह (Ports), एयरफील्ड और सप्लाई पॉइंट का इस्तेमाल कर सकेंगी।

              यह उपयोग सिर्फ ईंधन भरने, मरम्मत, स्टॉक रिफिल, मेडिकल सपोर्ट, ट्रांजिट और मूवमेंट जैसे कामों के लिए होगा।

              भारत ने ऐसे ही समझौते अमेरिका (LEMOA), फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और कई अन्य देशों के साथ किए हैं। अब रूस भी इसमें शामिल हो रहा है।

              रूस अभी इसे क्यों मंजूरी दे रहा

              पुतिन इस हफ्ते गुरुवार को भारत दौरे पर आने वाले हैं। भारत-रूस के बीच सालाना बैठक में रक्षा सहयोग और मिलिट्री एक्सरसाइज मुख्य मुद्दा होंगे।

              फरवरी में इस समझौते पर साइन होने के बाद अभी तक इसे रूसी संसद की मंजूरी नहीं मिली है। रूस की सिस्टमेटिक प्रक्रिया के तहत संसद की मंजूरी जरूरी है। इसीलिए पुतिन के भारत दौरे से पहले इस पर वोटिंग की जा रही है।

              डिफेंस समझौते पर सबसे ज्यादा फोकस रहेगा

              पुतिन की इस यात्रा में सबसे ज्यादा फोकस डिफेंस समझौते पर रहेगा। रूस पहले ही कह चुका है कि वो भारत को अपना SU-57 स्टेल्थ फाइटर जेट देने के लिए तैयार है।

              यह रूस का सबसे एडवांस लड़ाकू विमान है। भारत पहले ही अपने वायुसेना बेड़े को मजबूत करने के लिए नए विकल्प तलाश रहा है।

              इसके अलावा भविष्य में S-500 पर सहयोग, ब्रह्मोस मिसाइल का अगला वर्जन और दोनों देशों की नौसेनाओं के लिए मिलकर वॉरशिप बनाने जैसी योजनाओं पर बातचीत होने की उम्मीद है।

              रूसी S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने की उम्मीद

              न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, भारत रूस से कुछ और S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने पर बातचीत हो सकती है। क्योंकि यह पाकिस्तान के खिलाफ हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान काफी प्रभावी रहे थे।

              ऐसे पांच सिस्टम्स की डील पहले ही हुई थी, जिनमें से 3 भारत को मिल चुके हैं। चौथे स्क्वाड्रन की डिलीवरी रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण रुकी हुई है।

              S-400 ट्रायम्फ रूस का एडवांस्ड मिसाइल सिस्टम है, जिसे 2007 में लॉन्च किया गया था। यह सिस्टम फाइटर जेट, बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइल, ड्रोन और स्टेल्थ विमानों तक को मार गिरा सकता है।

              यह हवा में कई तरह के खतरों से बचाव के लिए एक मजबूत ढाल की तरह काम करता है। दुनिया के बेहद आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम में इसकी गिनती होती है।


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