सक्ती: जिले में सास की हत्या करने वाले दामाद को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। हत्या 13 जून 2021 को हुई थी। सास अपनी बेटी-दामाद का झगड़ा सुलझाने के लिए आई थी। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने फैसला सुनाया।
अपर जिला एवं सत्र न्यायालय सक्ती के एजीपी ऋषिकेश चौबे ने बताया कि 13 जून 2021 को रात लगभग 8 बजे उमेद बाई अपने घर में खाना खाने की तैयारी कर रही थी। उसी समय उसका पति आरोपी समारु राम सिदार उर्फ गब्बर निवासी ग्राम गढ़पारा दतोद आया और गालीगलौज करने लगा। उसने अपने पति को समझाने के लिए अपनी मां पितर बाई को बुलाया।
मां पितर बाई बेटी-दामाद का झगड़ा सुलझाने के लिए आई। वो दामाद को समझाने की कोशिश कर रही थी, तभी आरोपी ने कुल्हाड़ी से सास पर जानलेवा हमला कर दिया। सिर पर कुल्हाड़ी लगने से सास गंभीर रूप से घायल हो गई। उसे जैजैपुर अस्पताल ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे बिलासपुर रेफर किया गया। बुजुर्ग को बिलासपुर ले जाया रहा था, लेकिन उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।
अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने फैसला सुनाया।
घटना की सूचना पुलिस थाना जैजैपुर में दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने महिला के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवाया। आरोपी के खिलाफ IPC की धारा 294, 506बी, 302, 323, 307 के तहत केस दर्ज किया गया। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी ने कोर्ट में बताया कि उसकी सास पितर बाई अपनी बेटी को सब्जी देने के लिए आई थी, रास्ते में पानी और कीचड़ था, जिसमें वो फिसल गई और वहीं पर किसी नुकीली चीज से उसका सिर टकरा गया, जिससे सास की मौत हो गई।
आरोपी ने कहा कि उसने कोई अपराध नहीं किया है। सास से उसका कोई विवाद नहीं था, दोनों के संबंध अच्छे था, वह निर्दोष है, उसे झूठा फंसाया गया है। शासन की ओर से कुल 17 गवाहों को पेश किया गया। शासन की ओर से बताया गया कि अभियोजन के पास आरोपी के द्वारा अपराध किए जाने के संबंध में पर्याप्त गवाह है। आरोपी ने ही अपनी सास पितर बाई की कुल्हाड़ी से वार कर हत्या की है, इसलिए उसे कठोर से कठोर सजा मिलनी चाहिए।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद द्वितीय अपर सत्र न्यायालय की पीठासीन अधिकारी डॉ. ममता भोजवानी ने पाया कि पति-पत्नी के बीच हुई लड़ाई में मृतका हमेशा अपनी बेटी का पक्ष लेती थी, जिसके कारण गुस्से में आरोपी ने कुल्हाड़ी से सास की हत्या कर दी। कोर्ट ने आरोपी समारू राम को दोषी करार दिया। उन्होंने अपने आदेश में आरोपी को धारा 302 के तहत आजीवन कारावास और 25 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। अभियोजन पक्ष की ओर से शासकीय अधिवक्ता अपर लोक अभियोजक ऋषिकेश चौबे ने पैरवी की।