Tuesday, August 26, 2025

मुंबई: INS उदयगिरि-INS हिमगिरी इंडियन नेवी में शामिल हुए, दोनों स्वदेशी युद्धपोत, दुश्मन के रडार में नहीं आएंगे; ब्रह्मोस, बराक-8 जैसी मिसाइलों से लैस

मुंबई: इंडियन नेवी को मंगलवार को दो नए युद्धपोत INS उदयगिरि और INS हिमगिरि मिले। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, ये दोनों स्वदेशी जहाज हैं। इन्हें इस तरह डिजाइन किया गया है कि ये दुश्मन के रडार, इंफ्रारेड और ध्वनि सेंसर से बचे रहेंगे। इनकी तैनाती इंडो-पेसिफिक क्षेत्र में होगी, जिससे नौसेना की ताकत बढ़ेगी।

दोनों युद्धपोत ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल और भारत-इजराइल बराक-8 लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली (LRSAM) से लैस हैं। इनमें 76mm नौसैनिक बंदूकें और समुद्री युद्ध में पानी के अंदर चलने वाला टारपीडो विस्फोटक हथियार भी है।

INS हिमगिरि को कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने बनाया है। इसका नाम पुराने INS हिमगिरि से लिया गया हैै। INS उदयगिरि को मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने बनाया है। इसका नाम आंध्र प्रदेश की उदयगिरि पर्वत सीरीज के नाम पर रखा गया है, जो सिर्फ 37 महीनों में बना है।

INS उदयगिरि में एडवांस स्टेल्थ फीचर्स हैं, जो इसे दुश्मन के रडार, इंफ्रारेड (गर्मी सेंसर) और ध्वनि सेंसर से बचाने में मदद करते हैं।

INS उदयगिरि में एडवांस स्टेल्थ फीचर्स हैं, जो इसे दुश्मन के रडार, इंफ्रारेड (गर्मी सेंसर) और ध्वनि सेंसर से बचाने में मदद करते हैं।

दोनों युद्धपोत परियोजना 17 अल्फा (P-17A) का हिस्सा हैं। इनके आने से भारत की समुद्री रक्षा को बड़ी मजबूती मिली है।

दोनों युद्धपोत परियोजना 17 अल्फा (P-17A) का हिस्सा हैं। इनके आने से भारत की समुद्री रक्षा को बड़ी मजबूती मिली है।

18 जून: देश को मिला पहला शैलो वाटर क्राफ्ट INS अर्णाला

18 जून को देश के पहले एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASW-SWC) INS अर्णाला का कमीशन हुआ था। इसे विशाखापट्टनम के नेवी डॉकयार्ड में कमीशन किया गया था। कार्यक्रम में चीफ गेस्ट के तौर पर CDS जनरल अनिल चौहान मौजूद रहे थे।

महाराष्ट्र के वसई के ऐतिहासिक अर्णाला किले के नाम पर इसे यह नाम दिया गया। यह जहाज हिंद महासागर में नौसेना की दमदार मौजूदगी के लिए डिजाइन किया गया। जो उथले पानी में दुश्मन पनडुब्बियों का पता लगाने, ट्रैक और डिएक्टिवेट करने में सक्षम है।

INS अर्णाला को 8 मई को भारतीय नौसेना को सौंपा गया था। 18 जून औपचारिक रूप से शामिल करने का प्रतीक रही। मेसर्स गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) कोलकाता और मेसर्स L&T शिपबिल्डर्स के साथ पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के तहत डिजाइन और बनाया गया।

15 जनवरी 2025 को तीन वॉरशिप INS सूरत (डिस्ट्रॉयर), INS नीलगिरि (स्टेल्थ फ्रिगेट) और INS वाघशीर (सबमरीन) कमीशन किए थे। पीएम मोदी ने कहा था कि इन तीनों अल्ट्रा-मॉर्डन वॉर शिप से नेवी की ताकत और बढ़ी है।

भारतीय नौसेना कितनी मजबूत

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय नौ सेना के पास कुल 20 पनडुब्बियां हैं। इनमें 2 परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां, एक परमाणु-संचालित अटैकर पनडुब्बी, 17 ट्रेडिशनल डीजल-इलेक्ट्रिक अटैकर पनडुब्बियां हैं। 13 विध्वंसक (Destroyers) जहाज हैं।

इनके अलावा 15 फ्रिगेट्स, 18 कॉर्वेट्स, एक उभयचर परिवहन डॉक (INS जलाश्व), 4 टैंक लैंडिंग जहाज, 8 लैंडिंग क्राफ्ट यूटिलिटी, एक माइन काउंटरमेजर जहाज और 30 गश्ती जहाज हैं। भारतीय नौसेना का लक्ष्य 2035 तक 175 जहाजों की नौसेना बनाना है, जिसमें 50 जहाज वर्तमान में निर्माणाधीन हैं।

2025 तक, भारतीय नौसेना के पास लगभग 135+ युद्धपोत सक्रिय सेवा में हैं। इनमें विभिन्न प्रकार के जहाज शामिल हैं। वहीं, INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत समेत 2 मॉडर्न विमानवाहक पोत हैं।



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