रायपुर: चार साल में 6 जिले बनाने के बाद सरकार ने छत्तीसगढ़ का नया प्रशासनिक नक्शा तैयार है। छत्तीसगढ़ इंफोटेक प्रमोशन सोसाइटी में बने इस नक्शे में प्रदेश के 33 जिलों की सीमा रेखा को स्पष्ट किया गया है। इस साल अस्तित्व में आये पांच नये जिलों को अलग-अलग रंगों से चिन्हित किया गया है। मध्य प्रदेश से अलग होकर नवम्बर 2000 में छत्तीसगढ़ जब अस्तित्व में आया था तो उसके पास केवल 16 जिले थे।
छत्तीसगढ़ में पहला प्रशासनिक विभाग सात साल बाद हुआ। तत्कालीन भाजपा सरकार ने साल 2007 में दो नये जिले बनाये। उस समय दंतेवाड़ा से अलग कर बीजापुर और बस्तर से अलग कर नारायणपुर को जिला बनाया था। जनवरी 2012 में एक बड़ा प्रशासनिक विभाजन हुआ। उस साल 9 नए जिले बनाए गये। इनमें सुकमा, कोंडागांव, बालोद, बेमेतरा, बलौदा बाजार-भाटापारा, गरियाबंद, मुंगेली, सूरजपुर और बलरामपुर-रामानुजगंज शामिल थे। 2018 में कांग्रेस सरकार सत्ता में आई। उसने फरवरी 2020 में बिलासपुर से अलग कर गोरेला-पेंड्रा-मरवाही को नया जिला बना दिया।
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2022 में सरकार ने पहले मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, मोहला-मानपुर-अम्बागढ़ चौकी, सारंगढ़-बिलाईगढ़ और सक्ती की घोषणा की। खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव के समय राजनांदगांव से अलग कर खैरागढ़-छुईखदान-गंडई को नया जिला बनाने का वादा भी जुड़ गया। इस साल सितम्बर में ये पांच नये जिले भी अस्तित्व में आ गये। पिछले चार सालों में सरकार ने छह नये जिले बना दिये। वहीं 77 नई तहसीलें भी बनाई गई हैं। सरकार ने वर्ष 2019 में तीन नई तहसीलों का गठन किया। वर्ष 2020 में 21 और वर्ष 2022 में 43 तहसीलें बन गई हैं। इसी सप्ताह 25 नई तहसीलों का उद्घाटन हुआ है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में अब जिलों की संख्या 33 और तहसीलों की संख्या बढ़कर 227 हो चुकी है। अभी ये 233 होने वाले हैं।
इन तारीखों पर हुआ नये जिलों का उद्घाटन
10 फरवरी 2020 को गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले की औपचारिक शुरुअात हुई। इस साल दो सितम्बर को मोहला-मानपुर-अम्बागढ़ चौकी का उद्घाटन हुआ। तीन सितम्बर को सारंगढ़-बिलाईगढ़ और खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिलों की शुरुआत हुई। वहीं 9 सितम्बर को मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर और सक्ती जिले का शुभारंभ किया गया। उद्घाटन समारोह में खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल वहां पहुंचे थे। सभी नये जिलों में कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक पदस्थ किए जा चुके हैं। अन्य विभागों के जिला स्तरीय अधिकारियों की नियुक्ति हो चुकी है। लोगों को राजस्व प्रशासन के साथ जिले में कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलना शुरू हो चुका है।
प्रशासनिक पुनर्गठन के पीछे नागरिक सुविधा और राजनीति दोनों
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि नये जिलों और तहसीलों का पुनर्गठन प्रशासनिक विकेंद्रीकरण के लिये किया गया है। ऐसा इसलिए ताकि प्रशासन लोगों के करीब पहुंचे। दूर-दराज के लोगों को जिला और तहसील मुख्यालय आने में तकलीफ न उठाना पड़े। राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल का कहना है, प्रशासनिक विकेंद्रीकरण से जनसुविधा में वृद्धि होगी और विकास की गति तेज होगी। इस पुनर्गठन के पीछे राजनीति भी बड़ी वजह है। इन क्षेत्रों में जिला गठन की पुरानी मांग को सरकार ने आकार देकर लोकप्रियता हासिल करने की भी कोशिश की है।
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पिछले तीन सालों में ऐसे बढ़े अनुविभाग
इस सरकार ने वर्ष 2020 में दंतेवाड़ा जिले में बड़े बचेली और बिलासपुर जिले के तखतपुर को अनुविभाग बनाया। वर्ष 2021 में कोरबा जिले के पाली, बस्तर में लोहाण्डीगुड़ा को अनुविभाग बनाया गया। वहीं वर्ष 2022 में मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में भरतपुर, खड़गवां को नया अनुविभाग बनाया गया हैं। सूरजपुर जिले में भैयाथान, बलरामपुर-रामानुगंज जिले में बलरामपुर और राजपुर, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले में मरवाही, सक्ती जिले में मालखरोदा, रायपुर जिले में तिल्दा-नेवरा को नया अनुविभाग बनाया गया। उसके अलावा महासमुंद जिले में बागबाहरा, गरियाबंद जिले में मैनपुर, दुर्ग जिले में धमधा, कबीरधाम जिले में सहसपुर-लोहारा, बस्तर जिले में तोकापाल, बीजापुर जिले में भोपालपट्टनम और भैरमगढ़ में अनुविभाग का गठन किया गया है।
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