Wednesday, July 2, 2025

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने 26 मरीन राफेल फाइटर जेट की खरीदी को मंजूरी दी, फ्रांस से 64 हजार करोड़ में डील फाइनल, हिंद महासागर में बढ़ेगी क्षमता

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने फ्रांस से 26 मरीन राफेल फाइटर जेट की खरीदी को मंजूरी दे दी है। पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी (CCS) ने 9 अप्रैल को डील पर मुहर लगाई। भारत को 64 हजार करोड़ रुपए में 26 मरीन फाइटर मिलने हैं।

इसके बाद फ्रांस 22 सिंगल-सीटर और 4 ट्विन-सीटर जेट भारतीय नौसेना को सौंपेगा। इन्हें हिंद महासागर में चीन से मुकाबले के लिए INS विक्रांत पर तैनात किया जाएगा।

दोनों देशों के बीच 26 राफेल मरीन जेट की खरीद को लेकर कई महीनों से बातचीत चल रही थी। भारत नौसेना के लिए राफेल मरीन की डील उसी बेस प्राइज में करना चाहता था, जो 2016 में वायुसेना के लिए 36 विमान खरीदते समय रखी थी।

इस डील की जानकारी सबसे पहले PM मोदी की 2023 की फ्रांस यात्रा के दौरान सामने आई थी। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने लेटर ऑफ रिक्वेस्ट जारी किया था, जिसे फ्रांस ने दिसंबर 2023 में स्वीकार किया। इससे पहले सितंबर 2016 में 59 हजार करोड़ रुपए की डील में भारत वायुसेना के लिए फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीद चुका है।

पहले दौर की चर्चा जून 2024 में हुई थी

26 राफेल-एम फाइटर जेट खरीदने की डील पर पहले दौर की चर्चा जून 2024 में शुरू हुई थी। तब फ्रांस सरकार और दसॉ कंपनी के अधिकारियों ने रक्षा मंत्रालय की कॉन्ट्रैक्ट नेगोशिएशन कमेटी से चर्चा की थी। डील फाइनल होने पर फ्रांस राफेल-M जेट के साथ हथियार, सिमुलेटर, क्रू के लिए ट्रेनिंग और लॉजिस्टिक सपोर्ट मुहैया कराएगा।

इन हथियारों में अस्त्र एयर-टु-एयर मिसाइल, एयरक्राफ्ट कैरियर से ऑपरेट करने के लिए जेट में इंडियन स्पेसिफिक इन्हैंस्ड लैंडिंग इक्विपमेंट्स और जरूरी इक्विपमेंट्स शामिल किए गए हैं।

फ्रांस ने ट्रायल्स के दौरान इंडियन एयरक्राफ्ट कैरियर्स से राफेल जेट की लैंडिंग और टेक-ऑफ स्किल का प्रदर्शन किया है, लेकिन रियल टाइम ऑपरेशन के लिए कुछ और इक्विपमेंट्स का इस्तेमाल करना होगा।

हिंद महासागर में होगी राफेल मरीन जेट की तैनाती

नेवी के लिए खरीदे जा रहे 22 सिंगल सीट राफेल-एम जेट और 4 डबल ट्रेनर सीट राफेल-एम जेट हिंद महासागर में चीन से मुकाबले के लिए INS विक्रांत पर तैनात किए जाएंगे। भारतीय नौसेना इन विमानों को आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में INS डेगा में अपने होम बेस के रूप में तैनात करेगी।

नौसेना के डबल इंजन वाले जेट आमतौर पर दुनियाभर की एयरफोर्स द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे विमानों की तुलना में ज्यादा महंगे होते हैं, क्योंकि समुद्र में इनके ऑपरेशन के लिए अतिरिक्त क्षमताओं की जरूरत होती है। इनमें अरेस्टिंग लैंडिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले लैंडिंग गियर भी शामिल हैं।

क्या हैं राफेल मरीन फाइटर जेट की खासियतें…

  • राफेल मरीन भारत में मौजूद राफेल फाइटर जेट्स से एडवांस्ड है। इसका इंजन ज्यादा ताकतवर है, इसलिए यह फाइटर जेट INS विक्रांत से स्की जंप कर सकता है।
  • यह बहुत कम जगह पर लैंड भी कर सकता है। इसे ‘शॉर्ट टेक ऑफ बट एरेस्टर लैंडिंग’ कहते हैं।
  • राफेल के दोनों वैरिएंट में लगभग 85% कॉम्पोनेंट्स एक जैसे हैं। इसका मतलब है कि स्पेयर पार्ट्स से जुड़ी कभी भी कोई कमी या समस्या नहीं होगी।
  • यह 15.27 मी. लंबा, 10.80 मी. चौड़ा, 5.34 मी. ऊंचा है। इसका वजन 10,600 किलो है।
  • इसकी रफ्तार 1,912 kmph है। इसकी 3700 किमी की रेंज है। यह 50 हजार फीट ऊंचाई तक उड़ता है।
  • यह एंटीशिप स्ट्राइक के लिए सबसे बढ़िया माना जा रहा है। इसे न्यूक्लियर प्लांट पर हमले के नजरिए से भी डिजाइन किया गया है।

पहली खेप में 2-3 साल लग सकते हैं, वायुसेना के लिए विमान आने में 7 साल लगे थे

INS विक्रांत के ट्रायल शुरू हो चुके हैं। उसके डेक से फाइटर ऑपरेशन परखे जाने बाकी हैं। सौदे पर मुहर लगने के कम से कम एक साल तक टेक्निकल और कॉस्ट से जुड़ी औपचारिकताएं पूरी होंगी।

एक्सपर्ट के मुताबिक नौसेना के लिए राफेल इसलिए भी सही है, क्योंकि वायुसेना राफेल के रखरखाव से जुड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार कर चुकी है। यही नौसेना के भी काम आएगा। इससे काफी पैसा बच जाएगा।

सूत्रों का कहना है कि राफेल-M की पहली खेप आने में 2-3 साल लग सकते हैं। वायु सेना के लिए 36 राफेल का सौदा 2016 में हुआ था और डिलीवरी पूरी होने में 7 साल लग गए थे।

जब नौसेना के पास मिग-29 था तो राफेल-एम की जरूरत क्यों?

  • INS विक्रांत के एविएशन फैसिलिटी कॉम्प्लेक्स यानी AFC को मिग-29 फाइटर प्लेन के लिहाज से तैयार किया गया था। मिग रूस में बने फाइटर प्लेन हैं, जो हाल के सालों में अपने क्रैश को लेकर चर्चा में रहे हैं। इसलिए भारतीय नौसेना अगले कुछ सालों में अपने बेड़े से मिग विमानों को पूरी तरह से हटाने जा रही है।
  • मिग में आ रही दिक्कतों से नौसेना को ये एहसास हो गया कि मिग की जगह उसे या तो राफेल-एम या F-18 सुपर हॉर्नेट लड़ाकू विमान लाने की जरूरत है।
  • नौसेना ने 2022 में कहा था कि विक्रांत को मिग-29 के लिहाज से डिजाइन किया गया था, लेकिन वह इसकी जगह बेहतर डेक-बेस्ड फाइटर प्लेन की तलाश कर रही है।
  • इसके लिए फ्रांस के राफेल-एम और अमेरिका के बोइंग F-18 ‘सुपर हॉर्नेट’ फाइटर प्लेन की खरीद के लिए भी बातचीत चल रही है, लेकिन अब नौसेना फ्रांस के राफेल-एम को खरीदने पर सहमत हुई है।
  • दरअसल, नौसेना ने सबसे पहले फ्रांसीसी राफेल-एम और अमेरिकी F-18 सुपर हॉर्नेट विमान की गोवा में टेस्टिंग की। टेस्टिंग के बाद नौसेना ने रक्षा मंत्रालय को बताया कि राफेल-एम उसकी जरूरतों के लिए सबसे बेहतर है। इस तरह से टेस्टिंग में राफेल-एम ने बाजी मारी और नौसेना इसकी डील के लिए आगे बढ़ गई।
  • आने वाले सालों में नौसेना की योजना तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के नौसेना वर्जन को विक्रांत पर तैनात करने की है। तेजस देश में बन रहा ट्विन-इंजन डेक-बेस्ड फाइटर प्लेन है।
  • हालांकि DRDO द्वारा बनाए जा रहे तेजस को तैयार होने में अभी 5-6 साल का वक्त लगेगा। इसके 2030-2032 तक नेवी को मिल पाने की संभावना है।
  • चीन अब अपने तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान का परीक्षण कर रहा है। यह 80 हजार टन से अधिक वजनी है। इससे पहले उसने 60,000 टन वजनी लियाओनिंग और 66,000 टन वजनी शांदोंग को भी चीन नेवी में शामिल कर चुका है। ऐसे में भारत भी चीन से मुकाबले के लिए अपनी नेवी की ताकत को बढ़ा रहा है।

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