Wednesday, August 6, 2025

नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर में तबाह चीन में बनी PL-15E मिसाइल के मलबे की डिमांड, अमेरिका-जापान समेत 7 देशों ने भारत से मांगा मलबा, तकनीक जानना है मकसद

नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना (IAF) ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की PL-15E मिसाइल को अपने एयर डिफेंस सिस्टम से तबाह कर दिया था। यह मिसाइल चीन में बनी थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फाइव आइज देश (अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड) के अलावा फ्रांस और जापान इस मिसाइल के मलबे की जांच करना चाहते हैं, ताकि यह पता कर सकें कि इसे बनाने के लिए चीन ने किन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है।

9 मई को पंजाब के होशियारपुर जिले में एक खेत से PL-15E मिसाइल के टुकड़े बरामद किए गए थे। इसके बाद 12 मई को वायु सेना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहली बार इसका मलबा दिखाया था।

12 मई को नई दिल्ली में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारतीय सैन्य अधिकारी तबाह मिसाइल का मलबा दिखाते हुए। यह मलबा चीन में डेवलप PL-15E मिसाइल का बताया गया।

12 मई को नई दिल्ली में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारतीय सैन्य अधिकारी तबाह मिसाइल का मलबा दिखाते हुए। यह मलबा चीन में डेवलप PL-15E मिसाइल का बताया गया।

पहली बार PL-15E मिसाइल का इस्तेमाल हुआ

भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी के मुताबिक, पाकिस्तान ने JF-17 लड़ाकू विमान से चीन में बनी PL-15E मिसाइल दागी थी। लेकिन उसे हवा में ही नाकाम कर दिया गया, जिससे वह अपने निशाने तक नहीं पहुंच सकी। रिपोर्ट्स के मुताबिक पहली बार किसी संघर्ष में PL-15E मिसाइल का इस्तेमाल हुआ है।

PL-15E मिसाइल की एडवांस तकनीक और लंबी रेंज की वजह से चीन की सरकारी मीडिया जैसे ग्लोबल टाइम्स और चीन के रक्षा विश्लेषकों इसे पश्चिमी देश और भारत के लड़ाकू विमानों के लिए चुनौती बताते रहे हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत को जो टुकड़े मिले हैं, अगर वे सही-सलामत हैं, तो उनसे बहुत अहम जानकारी मिल सकती है। जैसे-

  • मिसाइल का रडार कैसे काम करता है (रडार सिग्नेचर के जरिए)
  • उसकी मोटर कैसे बनी है (मोटर स्ट्रक्चर के जरिए)
  • मिसाइल को रास्ता दिखाने वाली टेक्नोलॉजी (गाइडेंस सिस्टम के जरिए)
  • AESA रडार (यानि एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे) के बारे में भी कई जरूरी बातें पता चल सकती हैं

अमेरिका से जापान तक मलबे में ले रहे दिलचस्पी

फाइव आइज देश: ये पांच देश (अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड) खुफिया जानकारी साझा करते हैं। वे PL-15E के मलबे की जांच कर चीन की एडवांस मिसाइल तकनीक को समझना चाहते हैं।

फ्रांस: PL-15E मिसाइल का मुकाबला फ्रांस के राफेल जेट में इस्तेमाल होने वाली मीट्योर मिसाइल से माना जाता है। फ्रांस इस मिसाइल की रडार सिग्नेचर, मोटर स्ट्रक्चर, और गाइडेंस तकनीक को समझना चाहता है।

जापान: इंडो-पैसिफिक रीजन में चीन की बढ़ती आक्रामकता की वजह से जापान अपने मिसाइल डिफेंस सिस्टम को अपग्रेड करना चाहता है।

ये सभी देश PL-15E मिसाइल के रडार, मोटर, गाइडेंस सिस्टम, और एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे (AESA) रडार टेक्नीक को रिवर्स इंजीनियरिंग के जरिए समझना चाहते हैं।

पाकिस्तान के JF-17 से दागी गई थी मिसाइल

IAF के एयर मार्शल एके भारती ने 12 मई को बताया था कि ‘पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ हमले में इसी चीनी मिसाइल का इस्तेमाल किया था।’

यह मिसाइल पाकिस्तानी JF-17 फाइटर जेट से दागी गई थी। इसे भारत के S-400 और स्वदेशी आकाश तीर एयर डिफेंस सिस्टम ने तबाह कर दिया था।

एयर मार्शल एके भारती ने तब कहा था कि हमारी स्वदेशी आकाश मिसाइल और S-400 सिस्टम ने दिखा दिया कि भारत किसी भी हवाई खतरे का जवाब देने में सक्षम है।

JF-17 थंडर फोर्थ जेनरेशन का मल्टी-रोल एडवांस्ड एयर क्राफ्ट है। बेहद कम वजन के साथ हर मौसम में काम करने के लिए अनुकूल है। यह हवा से हवा और हवा से सतह पर हमला करने वाला मल्टी-रोल लड़ाकू विमान है।

JF-17 थंडर फोर्थ जेनरेशन का मल्टी-रोल एडवांस्ड एयर क्राफ्ट है। बेहद कम वजन के साथ हर मौसम में काम करने के लिए अनुकूल है। यह हवा से हवा और हवा से सतह पर हमला करने वाला मल्टी-रोल लड़ाकू विमान है।

चीन की PL-15E के मुकाबले में अन्य मिसाइलें

मीट्योर (फ्रांस): मीट्योर में सॉलिड-फ्यूल रैमजेट इंजन का इस्तेमाल होता है, जो इसे 4 मैक (करीब 4800 KM) स्पीड देता है। मीट्योर की रेंज 200 किलोमीटर से ज्यादा है। यह मिसाइल एक्टिव रडार सीकर तकनीक से लैस है। हालांकि PL-15E की लॉन्ग रेंज और AESA तकनीक उसे मीट्योर से ज्यादा खतरनाक बनाती है।

भारत के राफेल फाइटर जेट में मीट्योर मिसाइल ही लगी है।

भारत के राफेल फाइटर जेट में मीट्योर मिसाइल ही लगी है।

AIM-260 JATM (अमेरिका): PL-15E के जवाब में अमेरिका AIM-260 डेवलप कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह मिसाइल 200 KM के रेंज तक टारगेट हिट करने में सक्षम होगी। इसके साथ ही इसकी स्पीड 5 मैक (6000 किमी) तक होगी। हालांकि अभी तक इसे लेकर कोई ऑफिशियल डिटेल नहीं दी गई है।

PL-17 (चीन): यह नेक्स्ट जेनरेशन मिसाइल है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मिसाइल में एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकल स्कैनड ऐरे (AESA) रडार सीकर होगा। इसमें AI-बेस्ड नेविगेशन सिस्टम और 400 किमी की रेंज तक टारगेट हिट करने की कैपेसिटी होगी। यह मिसाइल 6 मैक (7200 किमी) की स्पीड से टारगेट हिट कर सकेगी।

अस्त्र Mk-2 (भारत): यह बियॉन्ड विजुअल रेंज (BVR) हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। इसकी रेंज 150-160 किमी है। इस मिसाइल में ड्यूल-पल्स सॉलिड रॉकेट मोटर है। इसके साथ ही एडवांस AESA रडार सीकर और टू-वे डेटा लिंक जैसी खूबियां हैं।

अस्त्र Mk-2 मिसाइल 4.5 मैक (करीब 5500 हजार किमी) की स्पीड से टारगेट हिट कर सकती है। यह मिसाइल इस साल या 2026 तक इस्तेमाल में लाई जाएगी।

अस्त्र Mk-2 मिसाइल 4.5 मैक (करीब 5500 हजार किमी) की स्पीड से टारगेट हिट कर सकती है। यह मिसाइल इस साल या 2026 तक इस्तेमाल में लाई जाएगी।

पहलगाम हमले के 15 दिन बाद PAK पर एयर स्ट्राइक

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकियों ने धर्म पूछकर 26 टूरिस्ट की हत्या कर दी थी। महिलाओं और बच्चों के सामने पुरुषों को सिर और सीने में गोली मारी थी। घटना के दौरान प्रधानमंत्री मोदी सऊदी अरब में थे। वे दौरा बीच में ही छोड़कर देश लौटे और कैबिनेट की मीटिंग बुलाई।

पहलगाम घटना के 15 दिन बाद 7 मई की रात 1.5 मिनट पर सेना ने पाकिस्तान और PoK में 9 जगहों पर एयर स्ट्राइक की। 25 मिनट में 9 आतंकी ठिकाने तबाह कर दिए थे और 100 से ज्यादा आतंकियों को ढेर कर दिया।


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