नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) की समय सीमा एक सप्ताह बढ़ा दी है। आयोग ने रविवार को कहा कि अब अंतिम मतदाता सूची 14 फरवरी 2026 को प्रकाशित की जाएगी।
मतदाता जोड़ने-हटाने का एन्यूमरेशन पीरियड यानी वोटर वेरिफिकेशन अब 11 दिसंबर तक चलेगा, जो पहले 4 दिसंबर तक तय था। वहीं, पहले ड्राफ्ट लिस्ट 9 दिसंबर को जारी होनी थी, लेकिन अब इसे 16 दिसंबर को जारी किया जाएगा।
दरअसल बिहार के बाद देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में SIR 28 अक्टूबर से शुरू हुआ है। इस प्रोसेस में वोटर लिस्ट का अपडेशन होगा। नए वोटरों के नाम जोड़े जाएंगे और वोटर लिस्ट में सामने आने वाली गलतियों को सुधारा जाएगा।
99.53% फॉर्म लोगों तक पहुंचे
शनिवार को चुनाव आयोग ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि 51 करोड़ मतदाताओं के लिए बनाए गए गणना फॉर्म में से 99.53% फॉर्म लोगों तक पहुंचा दिए गए हैं। इनमें से लगभग 79% फॉर्म का डिजिटलीकरण भी पूरा हो चुका है। यानी यानी घर-घर से BLO जो फॉर्म भरकर लाते हैं, उनमें लिखे नाम, पते और अन्य विवरण को ऑनलाइन सिस्टम में दर्ज किए जा चुके हैं।
कांग्रेस का आरोप- SIR प्रक्रिया में BLO की मौत मर्डर है
SIR प्रक्रिया को लेकर लगातार विपक्ष हमलावर हैं। कांग्रेस ने प्रक्रिया के दौरान काम के दबाव के चलते जान गंवाने वाले BLO की मौत को मर्डर बताया था। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा था कि 20 दिनों में 26 BLOs की मौत दिनदहाड़े मर्डर जैसी है। सुप्रिया ने गोंडा के BLO विपिन यादव का जिक्र करते हुए कहा कि उनके परिवार ने बताया है कि उन पर वोटर लिस्ट से पिछड़े वर्ग के लोगों के नाम हटाने का दबाव था।
सुप्रिया ने कहा था कि यह कोई कहानी नहीं बल्कि देश के सामने एक कड़वा सच है। इतनी जल्दी क्या है? थोड़ा समय लेकर SIR करवाओ। SIR का मामला कोई छोटा मामला नहीं है। यह वोट चोरी का सबसे ताकतवर तरीका है, और इसीलिए इसका इतने खुलेआम इस्तेमाल किया जा रहा है।
SIR मामला सुप्रीम कोर्ट में, 2 दिसंबर को सुनवाई
SIR का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच चुका है। SIR के खिलाफ दायर तमिलनाडु, बंगाल और केरल की याचिका पर लगातार सुनवाई हो रही है। इस दौरान चुनाव आयोग ने कहा- SIR प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक दल जानबूझकर डर का माहौल बना रही हैं।
चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने केरल सरकार की याचिका पर केंद्र और राज्य चुनाव आयोग से 1 दिसंबर तक जवाब देने को कहा है। अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी।
वहीं, तमिलनाडु में याचिका पर 4 दिसंबर और पश्चिम बंगाल की याचिका पर 9 दिसंबर को सुनवाई होगी। इसी दिन चुनाव आयोग राज्य की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट भी जारी करेगा।
बेंच ने कहा- अगर राज्य सरकार मजबूत आधार देती हैं तो हम तारीख बढ़ाने का निर्देश दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि SIR पहले कभी नहीं हुआ, तो यह वजह EC के फैसले को चुनौती देने का आधार नहीं बन सकती।
नीचे देखें 12 राज्यों की लिस्ट जहां SIR हो रहा
- अंडमान निकोबार
- छत्तीसगढ़
- गोवा
- गुजरात
- केरल
- लक्षद्वीप
- मध्य प्रदेश
- पुडुचेरी
- राजस्थान
- तमिलनाडु
- उत्तर प्रदेश
- पश्चिम बंगाल
SIR की प्रोसेस को 7 सवाल-जवाब में जानें
1. SIR क्या है
यह चुनाव आयोग की एक प्रक्रिया है। इसमें वोटर लिस्ट अपडेट की जाती है। इसमें 18 साल से ज्यादा के नए वोटर्स को जोड़ा जाता है। ऐसे लोग जिनकी मौत हो चुकी है। जो शिफ्ट हो चुके हैं उनके नाम हटाए जाते हैं। वोटर लिस्ट में नाम, पते में हुई गलतियों को भी ठीक किया जाता है। BLO घर-घर जाकर खुद फॉर्म भरवाते हैं।
2. पहले किस राज्य में हुआ?
पहले फेज में बिहार में हुआ। फाइनल लिस्ट में 7.42 करोड़ वोटर्स हैं।
3. कौन करेगा?
SIR वाले 12 राज्यों में करीब 51 करोड़ मतदाता हैं। इस काम में 5.33 लाख बीएलओ (BLO) और 7 लाख से ज्यादा बीएलए (BLA) राजनीतिक दलों की ओर से लगाए जाएंगे।
4. SIR वाले राज्यों में विधानसभा चुनाव कब

5. SIR में वोटर को क्या करना होगा
SIR के दौरान BLO/BLA वोटर को फॉर्म देंगे। वोटर को उन्हें जानकारी मैच करवानी है। अगर दो जगह वोटर लिस्ट में नाम है तो उसे एक जगह से कटवाना होगा। अगर नाम वोटर लिस्ट में नहीं है तो जुड़वाने के लिए फॉर्म भरना होगा और संबंधित डॉक्यूमेंट्स देने होंगे।
6. SIR के लिए कौन से दस्तावेज मान्य
- पेंशनर पहचान पत्र
- किसी सरकारी विभाग द्वारा जारी पहचान पत्र
- जन्म प्रमाणपत्र
- पासपोर्ट
- 10वीं की मार्कशीट
- स्थायी निवास प्रमाणपत्र
- वन अधिकार प्रमाणपत्र
- जाति प्रमाणपत्र
- राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) में नाम
- परिवार रजिस्टर में नाम
- जमीन या मकान आवंटन पत्र
- आधार कार्ड
7. SIR मकसद क्या है
1951 से लेकर 2004 तक का SIR हो गया है, लेकिन पिछले 21 साल से बाकी है। इस लंबे दौर में मतदाता सूची में कई परिवर्तन जरूरी हैं। जैसे लोगों का माइग्रेशन, दो जगह वोटर लिस्ट में नाम होना।
डेथ के बाद भी नाम रहना। विदेशी नागरिकों का नाम सूची में आ जाने पर हटाना। कोई भी योग्य वोटर लिस्ट में न छूटे और कोई भी अयोग्य मतदाता सूची में शामिल न हो।
यह भी जानिए…
सवाल- नाम सूची से कट गया तो क्या करें?
जवाब- ड्राफ्ट मतदाता सूची के आधार पर एक महीने तक अपील कर सकते हैं। ईआरओ के फैसले के खिलाफ डीएम और डीएम के फैसले के खिलाफसीईओ तक अपील कर सकते हैं।
सवाल- शिकायत या सहायता कहां से लें?
हेल्पलाइन 1950 पर कॉल करें। अपने बीएलओ या जिला चुनाव कार्यालय सेसंपर्क करें।
सवाल- बिहार की मतदाता सूची दस्तावेजों में क्यों जोड़ी गई?
जवाब- यदि कोई व्यक्ति 12 राज्यों में से किसी एक में अपना नाम मतदाता सूची मेंशामिल करवाना चाहता है और वह बिहार की एसआईआर के बाद की सूचीका अंश प्रस्तुत करता है, जिसमें उसके माता-पिता के नाम हैं, तो उसेनागरिकता के अतिरिक्त प्रमाण प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी। सिर्फजन्मतिथि का प्रमाण देना पर्याप्त होगा।
सवाल- क्या आधार को पहचान के प्रमाण के रूप में मान्यता दी गई है?
जवाब- सितंबर में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद चुनाव आयोग ने बिहार के चुनावअधिकारियों को निर्देश दिया था कि आधार कार्ड को मतदाताओं की पहचानस्थापित करने के लिए एक अतिरिक्त दस्तावेज के रूप में स्वीकार कियाजाए।
आयोग ने स्पष्ट किया है कि आधार केवल पहचान प्रमाण के रूप मेंस्वीकार किया जाएगा, नागरिकता प्रमाण के रूप में नहीं।

(Bureau Chief, Korba)




