Thursday, April 24, 2025
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नई दिल्ली: अब 10 लाख से ज्यादा के लग्जरी-आइटम्स की खरीदी पर 1% TCS लगेगा, सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन

नई दिल्ली: अब 10 लाख रुपए से ज्यादा की वॉच, पेंटिंग्स, सनग्लास, शूज, होम थिएटर सिस्टम्स और हेलिकॉप्टर जैसे लग्जरी आइटम्स की खरीद पर सरकार ने 1% टैक्स कलेक्शन ऐट सोर्स (TCS) लागू किया है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज यानी CBDT ने बुधवार (23 अप्रैल) को एक नोटिफिकेशन जारी कर इसका ऐलान किया है।

CBDT ने कहा है कि सरकार ने लग्‍जरी खर्चों पर नजर रखने और 10 लाख रुपए से ज्यादा के लेन-देन को इनकम टैक्‍स रिटर्न में दर्ज कराने के लिए हाई-वैल्‍यू शॉपिंग पर टैक्‍स का दायरा बढ़ा दिया है। इस टैक्‍स को वसूलने की जिम्मेदारी सेलर यानी विक्रेता की होगी। लग्जरी आइटम्स पर 1% TCS 22 अप्रैल से लागू कर दिया गया है।

अब से 10 लाख रुपए से ज्यादा की खरीदारी पर सेलर को 1% TCS वसूलना होगा। केंद्र सरकार ने TCS के तहत लग्‍जरी वस्तुओं की एक डिटेल्‍ड लिस्‍ट जारी की है। जिसका मकसद टैक्स बेस को बढ़ाना और हाई-एंड खर्चों पर नजर रखना है।

लग्जरी आइटम्स की लिस्ट, जिनपर 1% TCS लगेगा

1. लग्जरी रिस्ट वॉच

2. एंटीक, पेंटिंग, स्कल्पचर जैसे आर्ट पीसेज

3. कलेक्टिबल्स जैसे कॉइन, स्टाम्प

4. यॉट, रोइंग बोट, कैनोई, हेलीकॉप्टर

5. पेयर ऑफ सनग्लासेस

6. बैग जैसे हैंडबैग, पर्स

7. पेयर ऑफ शूज

8. स्पोर्ट्स वियर एंड इक्विपमेंट जैसे गोल्फ किट, स्की वियर

9. होम थिएटर सिस्टम

10. रेस क्लबों में होर्स रेसिंग के लिए होर्स और पोलो के लिए होर्स

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज का नोटिफिकेशन। इसमें लग्‍जरी आइटम्स की लिस्‍ट शामिल है।

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज का नोटिफिकेशन। इसमें लग्‍जरी आइटम्स की लिस्‍ट शामिल है।

जुलाई 2024 के बजट प्रस्ताव के बाद अब जाकर केंद्र ने लग्‍जरी आइटम्‍स की लिस्‍ट जारी की है। बजट में हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल (HNIs) के लग्‍जरी आइटम्स पर बढ़ते खर्च को देखते हुए 10 लाख रुपए से ज्यादा की खरीद पर टैक्स लगाने का प्रावधान किया गया था। हालांकि, तब सरकार ने ये स्पष्ट नहीं किया था कि किन वस्तुओं को ‘लग्‍जरी’ माना जाएगा। अब इस लिस्ट से टैक्स के लिहाज से ‘लग्‍जरी गुड्स’ की परिभाषा स्पष्ट हो गई है।

क्या है TCS?

TCS का मतलब टैक्स कलेक्शन ऐट सोर्स होता है। इसका मतलब स्रोत पर एकत्रित टैक्स (इनकम से इकट्ठा किया गया टैक्स) होता है। TCS का भुगतान सेलर, डीलर, वेंडर, दुकानदार की तरफ से किया जाता है। हालांकि, वह कोई भी सामान बेचते हुए खरीदार या ग्राहक से वो टैक्स वसूलता है।

वसूलने के बाद इसे जमा करने का काम सेलर या दुकानदार का ही होता है। इनकम टैक्स एक्ट की धारा 206C में इसे कंट्रोल किया जाता है। कुछ खास तरह की वस्‍तुओं के विक्रेता ही इसे कलेक्‍ट करते हैं। इस तरह का टैक्‍स तभी काटा जाता है जब पेमेंट एक सीमा से ज्‍यादा होता है।


Muritram Kashyap
Muritram Kashyap
(Bureau Chief, Korba)
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