Monday, August 4, 2025

नई दिल्ली: अब 16 या 18 डिग्री पर नहीं चला सकेंगे AC, सिर्फ 20 से 28 डिग्री के बीच ही सेट कर पाएंगे, ग्लोबल वॉर्मिंग और बिजली खपत रोकने केंद्र सरकार जल्द ला रही नया नियम

नई दिल्ली: आने वाले दिनों में अगर आप नया AC खरीदेंगे तो उसे 16 या 18 डिग्री पर नहीं चला सकेंगे, सिर्फ 20 से 28 डिग्री के बीच ही सेट कर पाएंगे। गर्मी के मौसम में AC से बिजली की खपत रोकने के लिए केंद्र सरकार जल्द ही नया नियम ला रही है।

सरकार का दावा है कि इससे बिजली की बचत होगी, बिल कम आएंगे और देशभर के लाखों उपभोक्ताओं के अगले तीन साल में 18,000-20,000 करोड़ रुपए की बचत होगी।

पावर मिनिस्टर मनोहर लाल खट्‌टर ने कहा- AC बनाने वाली कंपनियों के लिए नया नियम कूलिंग को और बेहतर बनाएगा। इससे गर्मियां बढ़ने पर बिजली की डिमांड और बिलों में होने वाली बढ़ोतरी को कम करने में मदद मिलेगी। जैसे ही नए नियम लागू होंगे, ये नियम हर सेक्टर में इस्तेमाल होने वाले एयर-कंडीशनर पर लागू होगा- चाहे वो घरों में हो या कॉमर्शियल जगहों जैसे ऑफिस, मॉल, होटल और सिनेमाघरों में, जहां अक्सर AC को सबसे लोएस्ट सेटिंग पर चलाया जाता है।

अब 8 सवालों के जवाब से जानिए, सरकार नियम क्यों ला रही…

सवाल 1: सरकार ने ये नियम क्यों बनाया?

जवाब: गर्मियां बढ़ने के साथ बिजली की डिमांड बहुत बढ़ रही है। इस साल जून में एक दिन में बिजली की मांग 241 गीगावाट तक पहुंच गई, जो इस साल की सबसे ज्यादा थी। सरकार का अनुमान है कि पीक डिमांड 270 गीगावाट तक जा सकती है।

AC की वजह से बिजली की खपत बहुत ज्यादा होती है, खासकर जब लोग इसे 16-18 डिग्री पर चलाते हैं। नए नियम से बिजली बचाने और पावर ग्रिड पर दबाव कम करने की कोशिश है। साथ ही, इससे लोगों के बिजली बिल भी कम होंगे और पर्यावरण को भी फायदा होगा। हर 1 डिग्री तापमान बढ़ाने पर 6% तक बिजली की बचत होती है।

सवाल 2: इस नियम से क्या फायदे होंगे ?

जवाब: इस नियम के कई फायदे बताए जा रहे हैं:

  • बिजली की बचत: यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की एक स्टडी के मुताबिक, AC के तापमान को स्टैंडर्ड करने से 2035 तक भारत की पीक बिजली डिमांड 60 गीगावाट कम हो सकती है। इससे 7.5 लाख करोड़ रुपए की बिजली और ग्रिड इन्फ्रास्ट्रक्चर की लागत बचेगी। बिजली की कम खपत से बिल भी कम आएगा।
  • पावर कट कम: बिजली की डिमांड घटने से पावर ग्रिड पर दबाव कम होगा और बिजली कटौती की समस्या कम होगी। वहीं कम बिजली खपत से कम कार्बन उत्सर्जन होगा।

सवाल 3: ये नियम कब लागू होगा?

जवाब: अभी इस नियम को लागू करने की तारीख की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। केंद्रीय मंत्री मनोहरलाल खट्टर ने कहा है कि इसे “जल्द ही” लागू किया जाएगा। सरकार AC बनाने वाली कंपनियों के साथ मिलकर तापमान के स्टैंडर्ड तय कर रही है। जैसे ही नियम नोटिफाई होंगे, सभी नए AC इस रेंज में बनाए जाएंगे।

सवाल 4: क्या ये नियम पुराने AC पर भी लागू होगा?

जवाब: अभी ये साफ नहीं है कि पुराने AC पर ये नियम लागू होगा या नहीं। लेकिन, नए नियम के तहत भविष्य में बनने वाले AC में टेक्नोलॉजी ऐसी होगी कि वो 20 डिग्री से नीचे कूलिंग न कर पाएं। पुराने AC वालों को शायद सॉफ्टवेयर अपडेट या टेक्निकल बदलाव करने पड़ें, लेकिन इसकी पुष्टि अभी बाकी है।

सवाल 5: क्या ये नियम गाड़ियों के AC पर भी लागू होगा?

जवाब: हां, ये नियम गाड़ियों में लगे AC पर भी लागू होगा। यानी, कारों और दूसरी गाड़ियों में भी AC को 20 डिग्री से नीचे सेट नहीं किया जा सकेगा। इसका मकसद गाड़ियों में बिजली या फ्यूल की खपत को कम करना है।

सवाल 6: इंडस्ट्री और लोग क्या कह रहे हैं?

जवाब: इस नियम को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया है। कुछ लोग इसे बिजली बचाने और पर्यावरण के लिए अच्छा कदम मान रहे हैं। लेकिन, कुछ का कहना है कि गर्मियों में 20 डिग्री की सीमा काफी नहीं होगी, खासकर उत्तर भारत में जहां तापमान 45 डिग्री के पार तक जाता है।

AC बनाने वाली कंपनियां, जैसे डैकिन, LG, और वोल्टास, सरकार के साथ मिलकर इस नियम को लागू करने की तैयारी कर रही हैं। SIAM यानी, सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स ने भी कहा है कि वो गाड़ियों के AC के लिए स्टैंडर्ड्स पर काम कर रहे हैं।

सवाल 7: दुनिया के बाकी देशों में क्या हो रहा है?

जवाब: इटली, जापान जैसे देशों में भी पब्लिक बिल्डिंग्स के लिए AC को मिनिमम 23°C पर रखने का नियम है। अधिकतम तापमान को 27°C से ज्यादा बढ़ने पर पाबंदी है।

सवाल 8: अभी का नियम क्या है?

जवाब: वर्तमान में कोई सरकारी नियम AC को किसी खास तापमान (जैसे 20 डिग्री या उससे ऊपर) पर सेट करने की पाबंदी नहीं लगाता। आप अपने AC को अपनी पसंद के हिसाब से किसी भी तापमान पर सेट कर सकते हैं, जैसे 16, 18, या 24 डिग्री।

सरकार और ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी यानी BEE की ओर से सुझाव दिया गया है कि AC को 24 डिग्री सेल्सियस पर चलाया जाए, क्योंकि ये बिजली बचाने और पर्यावरण के लिए अच्छा है। लेकिन, ये सिर्फ सलाह है, कोई कानूनी बाध्यता नहीं।


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